सावधान, कहीं आपके मोबाइल में यह चिन्ह तो नहीं दिख रहा?
सावधान, कहीं आपके मोबाइल में यह चिन्ह तो नहीं दिख रहा? कहीं आप भी मॉस्को के लोगों की तरह पेपर प्लेन, यह देखिए पेपर प्लेन फ्रांस की एंबेसी के सामने रखते नजर आ रहे हैं, वही पेपर प्लेन जो कि सिंबल है टेलीग्राम ऐप का, जिसे को-फाउंड किया था पावेल ड्यूरोव ने। जो कि पूरे ग्लोबल टेक इंडस्ट्री में फ्री स्पीच, प्राइवेसी, और सिक्योरिटी के लिए जाने जाते हैं। पूरी दुनिया में इनकी तारीफ की जाती है कि उन्होंने अपने देश तक को छोड़ दिया ताकि वह आम जनता तक एक ऐसा प्लेटफार्म, एक ऐसा सोशल मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ला सकें, जिसके ऊपर स्टेट की, यानी कि किसी भी सरकार की, कोई भी जो मॉडरेशन पॉलिसी है, वह ना लग सके। कोई भी देश की सरकार इस मैसेजिंग ऐप के मैसेजेस को ना पढ़ सके। कंप्लीट स्ट्रांग एनक्रिप्टेड, यानी कि आप जो संदेश भेजते हैं अपने अपनों को, और संवेदनशील संदेश, वह कोई और खोल कर नहीं दिख पाए। कोई भी देश की सरकार के हाथ में चाबी ना मिल पाए किसी के भी अकाउंट की। यह सोचकर पावेल ड्यूरोव ने एक प्लेटफॉर्म बनाया था।
पावेल ड्यूरोव की गिरफ्तारी: संदिग्ध परिस्थितियां
और अब उन्हें पकड़ लिया गया है। उनकी गिरफ्तारी बेहद संदिग्ध रूप से हुई है। हालांकि, न्यूज़ पोर्टल्स में अगर आप देखेंगे, उसे एकदम सामान्य प्रक्रिया के रूप में दिखाया जा रहा है। लेकिन इनकी गिरफ्तारी बेहद संदिग्ध और साजिशा तरीके से हुई है, ऐसा मालूम पड़ता है। वह कई दिनों तक अजरबैजान में थे और वहां से अजरबैजान के बाकू से वहां से उड़े, अपने प्राइवेट जेट में, और उसके बाद वह फ्रांस में उतर रहे थे। और फ्रांस में, पेरिस ले बोरगे एयरपोर्ट पर 24 अगस्त को रात 8:00 बजे, उन्हें नेशनल एंटी फ्रॉड ऑफिस एंड द कस्टम डायरेक्टरेट ऑफ फ्रांस ने पकड़ लिया। यह कहते हुए पकड़ लिया कि टेलीग्राम के अंदर आपने ऐसा बनाया है कि दुनिया की कोई सरकार इसके मैसेजेस को पढ़ नहीं सकती। आप किसी को चाबी नहीं देते किसी प्रकार की इन्वेस्टिगेशन करने के लिए।
टेलीग्राम पर प्रतिबंध और पावेल ड्यूरोव के आरोप
इस चक्कर में जो जुआ खेलते हैं, जो क्रिमिनल लोग हैं, जो टेररिज्म को बढ़ावा देते हैं, और इवन जो गलत फिल्में वगैरह दिखाते हैं, ले पदार्थ वगैरह दुनिया भर की चीजें जो होती हैं, वो आपके प्लेटफॉर्म पर इसी वजह से हो रही हैं, क्योंकि आपने इसकी चाबी जो है वो किसी भी देश की सरकार को नहीं दी है। यह कहकर उन्हें पकड़ लिया जाता है। अब इस बात में कितनी सच्चाई है, वीडियो में आगे जानेंगे। वैसे आपको एक छोटा सा, एक हिंट देते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के इस आर्टिकल को देखिए। आज का ही है, 27 अगस्त का। “Telegram to Be Banned in India If These Charges Come True” यानी कि टेलीग्राम को भारत में बैन किया जा सकता है अगर यह आरोप सही साबित हो गए। दोस्तों, हाल ही में एक बहुत बड़ा मूवमेंट हुआ था देश में NEET परीक्षाओं को लेकर और यह कहा गया था कि NEET परीक्षाओं में धांधली हुई है और पेपर लीक किया गया है। जो पेपर लीक किया गया था, वह इसी टेलीग्राम पर,
टेलीग्राम का उद्देश्य और पावेल ड्यूरोव की भूमिका
इस पे जांच कर रहे हैं। तो अब सवाल यह उठता है कि क्या…किसी देश की सरकार का हक ना हो, वह उसमें घुस कर के किसी भी व्यक्ति की कोई भी इंफॉर्मेशन निकाल कर उसे पॉलिटिकल पर्पस के लिए या किसी और पर्पस के लिए इस्तेमाल ना कर पाए। इसीलिए उन्होंने बनाया था, और इसीलिए उनकी काफी इज्जत थी ग्लोबल टेक वर्ल्ड में। बहुत अच्छी तरीके से एक सिग्निफिकेंट फिगर के रूप में जो पावेल ड्यूरोव थे, उन्हें दिखा जाता था। लेकिन दोस्तों, अब आपको बता रहे हैं, मेन कैच और क्यों हम बोल रहे हैं कि आपके मोबाइल में भी अगर टेलीग्राम होगा, तो जरा सा संभल जाइए। देखिए हुआ क्या है। फ्रांस में इन्हें पकड़ा गया, पर पावेल ड्यूरोव दरअसल रशिया में पैदा हुए थे, रशियन नागरिक थे, और बाद में उन्होंने रशिया छोड़ दिया था। इसके पीछे भी लंबी कहानी है। ध्यान से सुनिए।
पावेल ड्यूरोव और रूस सरकार की टक्कर
पावेल ड्यूरोव, जिन्होंने टेलीग्राम को को-फाउंड किया था, रशिया में पैदा हुए थे, और सन 2007 में ही उन्होंने Vkontakte नाम का एक ऐप जो था, वह को-फाउंड किया था, बनाया था, रूस के लिए, रूस का सोशल मैसेजिंग ऐप समझ लीजिए। बिल्कुल…
लेकिन उसके बाद शुरू हुआ उनके ऊपर दमन का चक्र। पावेल ड्यूरोव शुरू से ही फ्री स्पीच के एक्सप्रेशन के लिए लड़ाई लड़ते थे, प्राइवेसी के लिए लड़ाई लड़ते थे। और वह किसी को भी यह नहीं चाहते थे कि जो बातचीत हो रही है, दो लोगों के बीच में, वह किसी के सामने ना आ पाए। और रशियन एजेंसियां चाहती थीं कि पावेल ड्यूरोव उन्हें वह चाबी दे दें जिससे कि वह किसी के भी मैसेज को पढ़ सकें। अब इसका इस्तेमाल पॉलिटिकल तरीके से भी हो सकता है, किसी को फंसाने के लिए भी किया जा सकता है। पावेल ड्यूरोव ने उस प्रेशर को नजरअंदाज किया, लेकिन इवेंचुअली, रशियन गवर्नमेंट ने प्रेशर बढ़ाना शुरू किया।
यूक्रेनियन प्रदर्शन और टेलीग्राम का उपयोग
और फिर आया सन 2014 का वह वक्त जब रशियन अथॉरिटीज ने बुरी तरीके से पावेल ड्यूरोव को परेशान करना शुरू कर दिया। दरअसल, उस वक्त यूक्रेनियन प्रोटेस्टर्स, यूरोमेडन मूवमेंट कर रहे थे। वही कालखंड था जब रूस ने क्रिमिया इलाके पर, यूक्रेन के क्रिमिया इलाके पर आक्रमण करके उसे अपने देश में मिला लिया था। तो उसको लेकर यूक्रेनियन जो प्रोटेस्टर थे, आंदोलनकारी थे, वो यूरोमेडन मूवमेंट कर रहे थे, और उससे रिलेटेड जो भी प्रचार-प्रसार का काम होना था, वह टेलीग्राम के माध्यम से हो रहा था। इसलिए…
टेलीग्राम की स्थापना और ISIS की भर्ती
क्योंकि ली और यूएई में वह एराती सिटीजन है, यूनाइटेड अरब अमरेट के, वहां से उन्होंने फिर फॉर्म किया टेलीग्राम, सन 2013 में, अपने भाई निकोलाई के साथ में। ड्यूरोव ने जो है बनाया…
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ध्यान से सुनिए, और भारत में बैन भी हो सकता है, उसके बारे में बताएंगे। तो 2013 में उन्होंने…
उसमें जो अटैकर्स थे, उनका रिक्रूटमेंट जो किया गया था, उनकी भर्ती जो की गई थी, ISIS के जो रिक्रूटर्स थे, उन्होंने रिक्रूटमेंट जो किया था, वह टेलीग्राम के माध्यम से हो रहा है। उसकी जानकारी टेलीग्राम में आ रही है। तो रूस को लगा खराब कि यह पूरी इंफॉर्मेशन लीक कर दे करके, अब इसके बाद में पता नहीं क्या हुआ, साठगांठ हुई पावेल ड्यूरोव की रूस के साथ में या नहीं हुई, कहना मुश्किल है। यह सिर्फ एक थ्योरी है। लेकिन अजरबैजान जाते हैं, कई दिनों के लिए, पावेल ड्यूरोव, टेलीग्राम के को-फाउंडर, और कई दिनों तक वहां रहते हैं।
अजरबैजान, रूस और टेलीग्राम की जानकारी
अब अजरबैजान जो है, वह रूस का करीबी कंट्री है। क्या वहां पर रूसी ऑफिशियल ने उनको कांटेक्ट किया? और 2018 में जो बैन लगा के वापस हटा दिया गया था, टेलीग्राम को लेकर कुछ जानकारी, और ज्यादा जो है कोलैबोरेट करना शुरू कर दिया पावेल ड्यूरोव ने रशिया के ऑफिशियल्स के साथ में, अजरबैजान के साथ। यह इंफॉर्मेशन हो सकता है जो है लीक आउट हो गई हो यूरोपियन कंट्रीज को, वेस्टर्न कंट्रीज को, जो नहीं चाहते, जो नहीं चाहते कि टेलीग्राम की इंफॉर्मेशन पावेल ड्यूरोव दे दें रशियन अथॉरिटीज को। तो जैसे ही अजरबैजान से निकले, रूस के मित्र राष्ट्र अजरबैजान से निकले, पावेल ड्यूरोव, फ्रांस पहुंचे, तो फ्रांस की नेशनल फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन टीम ने उनको पकड़ लिया।
रूस का आरोप और पश्चिमी देशों का दबाव
अब रूस में यह आंदोलन चल रहा है कि गलत तरीके से पॉलिटिकल अरेस्ट किया गया है। क्योंकि, क्योंकि देखिए, रूस को डर है कि कहीं वेस्टर्न कंट्रीज, खासकर फ्रांस, पावेल ड्यूरोव को पकड़ करके वह चाबी ना ले ले, जिसको देने के लिए इंकार कर दिया था रूस को, पावेल ड्यूरोव ने। और वह चाबी अगर मिल गई, यह टेलीग्राम की, तो इसकी जो सेंसिटिव इंफॉर्मेशन, जो बातचीत रूसी करते हैं, वह इंफॉर्मेशन मिल सकती है वेस्टर्न कंट्रीज के हाथ में। यूक्रेन में जो हो रहा है, उसकी सेंसिटिव इंफॉर्मेशन मिल सकती है, और जिसके बाद में बैकफुट पर आ सकता है पूरा रूस।
पावेल ड्यूरोव की रिहाई की मांग और फ्रांस की प्रतिक्रिया
तो इस चक्कर में अब यह है कि रूस में आंदोलन चल रहा है कि भाई उसको आजाद करो, यह पॉलिटिकल, जियो पॉलिटिकल अरेस्ट है, नहीं होना चाहिए। फ्रांस कहता है कि नहीं भाई साहब, यह तो बहुत लंबे समय से इसका इन्वेस्टिगेशन चल रहा था।
दबा हो सकता है वेस्टर्न कंट्रीज का दबदबा, हो सकता है फ्रांस में सीधा घुसपैठ है अमेरिका की। तो अगर वह सारी इंफॉर्मेशन उससे ले ली गई, तो…
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