चीन का बाँध: एक जल विवाद जो युद्ध का कारण बन सकता है (China’s Dam: A Water Dispute that Could Lead to War)
चीन का बांध: भारत और बांग्लादेश के साथ युद्ध का खतरा?
यह तिब्बत में मौजूद दरिया का वह झुकाव है, जिसे “ग्रेट बैंड” भी कहते हैं। यारलुंग जांगबो रिवर में एक शानदार यू-टर्न, जो अपना रास्ता बदलकर पानी को इंडिया और बांग्लादेश की तरफ लेकर जाता है, जहां इसी रिवर को ब्रह्मपुत्र कहा जाता है। इंडिया में इसका नाम चाहे जो कुछ भी हो, इससे चाइना को कोई लेना-देना नहीं। चाइना की नजर तो कई सालों से इसी यू-टर्न पर है, जो कि कोई मामूली यू-टर्न नहीं, बल्कि यह आने वाले सालों में शायद इस रीजन में नई जंगें भी पैदा करवा सकता है। Jam TV की वीडियोस में एक बार फिर से खुशामदीद नाज़रीन!
Yarlung Tsangpo Grand Canyon: एक अद्भुत प्राकृतिक स्थल
यारलुंग जांगबो रिवर का यह हिस्सा हिमालय के ऊंचे-तरीन पहाड़ों से लिपटा हुआ है, जिसको “Yarlung Tsangpo Grand Canyon” भी कहते हैं। लंबाई में यह वादी 505 किमी तक फैली हुई है, जो एरिजोना के द ग्रैंड कैनियन से 50 किमी बड़ी और तीन गुना गहरी है। कैनियन दरअसल किसी भी वादी को कहते हैं जिसके बीच से पानी गुजर रहा हो। इस वादी का फायदा उठाते हुए चाइना ने यहां पर दुनिया का सबसे ताकतवर डैम बनाने का फैसला किया है। ठीक इस जगह पर, जो दुनिया की सबसे रिमोट लोकेशन है, इस यू-टर्न पर पिछले 20 सालों से चाइना की नजर है, और इसकी खास बात इसकी ढलान, यानी स्लोप है। ठीक इस जगह से देखा जाए, तो दरिया 7000 मीटर ऊंचे पहाड़ के साथ-साथ होता हुआ एक यू-टर्न बनाकर पहाड़ की दूसरी साइड से वापस आता है।
Yarlung Tsangpo Grand Canyon: पानी का अद्भुत झुकाव
मजे की बात यह है कि ठीक इस लोकेशन पर दरिया की ऊंचाई 2870 मीटर है, लेकिन यू-टर्न करने के बाद ठीक इस जगह पर दरिया की ऊंचाई सिर्फ 870 मीटर रह जाती है। यह करीब 2000 मीटर की स्लोप बनती है, यानी पहाड़ के वेस्ट में वही दरिया जो
Yarlung Tsangpo Grand Canyon: चीन का मेगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट
2870 मीटर ऊपर बह रहा था, वही दरिया सिर्फ थोड़ा सा फासला तय करने के बाद 2000 मीटर नीचे आ जाता है। चाइनीज एक्सपर्ट्स ने यहां डैम बनाने के कई प्रपोजल्स दे रखे हैं, जिसमें से एक है इस 7000 मीटर ऊंचे पहाड़ के बीच टनल खोदकर हाइड्रो पावर स्टेशन बनाना। अब क्योंकि पहाड़ के वेस्ट में बहने वाला दरिया 2870 मीटर की ऊंचाई पर है, तो अगर यहां से इसका रास्ता बंद करके पहाड़ के अंदर टनल खोदा जाए, और दरिया के पानी को सीधा पहाड़ के ईस्ट में बहने वाले दरिया में गिराया जाए, तो यह प्रोजेक्ट, एक अंदाजे के मुताबिक, 60 गिगावाट इलेक्ट्रिसिटी आसानी से जनरेट कर पाएगा। यह दुनिया के सबसे बड़े थ्री गॉर्जेस डैम से जनरेट होने वाली बिजली से भी तीन गुना ज्यादा है। इस प्रोजेक्ट को “Motuo Hydro Power Station” का नाम दिया गया है, जिसके टनल की लंबाई करीब 40 से 50 किलोमीटर लंबी होगी, जिसके बीच में एक दो नहीं बल्कि मल्टीपल टर्बाइंस लगाई जा सकेंगी।
Motuo Hydro Power Station: विशिष्ट डिजाइन और चुनौतियां
जहां कन्वेंशनल डैम में पानी को स्टोर किया जाता है, वहीं यहां पर डैम बनाने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी, क्योंकि दो तरफ से तो ऊंचे पहाड़ हैं, जो डैम की नेचुरल दीवार के तौर पर काम करेंगे, जबकि इस लोकेशन पर एक दीवार खड़ी करके पानी को रोका जा सकता है। अब अगर यहीं दीवार पर टर्बाइन लगाकर पानी को परली साइड पर गिराया गया, तो सिर्फ यह 200 मीटर ही नीचे गिरेगा, जिससे कम फोर्स जनरेट होगी, और अल्टीमेटली कम बिजली बनेगी।
Motuo Hydro Power Station: खतरे का संभावित खतरा
लिहाजा, दीवार के पास से 40 या 50 किलोमीटर का टनल खोदकर उसको 2000 मीटर नीचे इस लोकेशन पर गिराया जाएगा। अब आप सोचें कि जहां थ्री गॉर्जेस डैम की दीवार 180 मीटर ऊंची है, और वह अभी तक का सबसे ज्यादा बिजली जनरेट करने वाला डैम है, तो यहां तो पानी 2000 मीटर तक नीचे जाएगा। पर जहां इसके फायदे हैं, वहीं ढेर सारे नुकसान भी। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चाइना को यह प्रोजेक्ट बनाने में काफी मुश्किलें पेश आ सकती हैं। सबसे पहले तो यह जगह तिब्बत की रिमोट लोकेशन पर है, जहां अभी तक कोई प्रॉपर रोड नेटवर्क नहीं है।
Motuo Hydro Power Station: तकनीकी चुनौतियां
इस डैम को बनाने के लिए मशीन कैसे पहुंचाई जाएंगी? जिसमें क्रेन्स वगैरह का पहुंचना तो शायद इतना बड़ा मसला ना हो, लेकिन 6000 टन वजनी और 150 मीटर लंबी टनल बोरिंग मशीन को इस ऊंचे पहाड़ों के बीच पहुंचाना इंजीनियर्स के लिए काफी मुश्किल टास्क हो सकता है। याद रहे कि जितना बड़ा टनल यहां बोर किया जाएगा, उतना ही फ्रांस और यूके को आपस में जोड़ने के लिए भी बोर किया गया था, जिसको “चैनल टनल” कहा जाता है। उसमें टोटल 6 साल का वक्त, और 6 बिलियन पाउंड से ज्यादा का खर्चा आया था, वह भी 1988 में, यानी आज के
Motuo Hydro Power Station: आर्थिक चुनौतियां
एस्टिमेट्स के मुताबिक, अगर चाइना यह दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रो पावर स्टेशन बनाता है, तो इसमें सिर्फ टनल खोदने में ही 30 से 40 बिलियन डॉलर्स का खर्चा आ सकता है। जी हां, 3400 अरब! जिसमें टर्बाइंस का खर्चा शामिल नहीं है। और क्योंकि इस टनल से हजारों क्यूबिक मीटर पानी गुजरेगा, तो जाहिर है इसको मजबूत बनाने के लिए टनल की दीवारों को कंक्रीट और स्टील के मोल्ड से ढका भी जाएगा। यह सब तो उस कंडीशन में होगा जब सब कुछ प्लान के मुताबिक चल रहा हो।
Motuo Hydro Power Station: भूकंप का खतरा
लेकिन अगर आपको नहीं पता, तो आपको बताते चलें कि यह जगह ठीक “फॉल्ट लाइन” के ऊपर मौजूद है, जहां “इंडियन प्लेट” और “यूरेशियन प्लेट” आपस में आकर मिलती हैं। यही वह जगह है जो दुनिया के सबसे खतरनाक अर्थक्वेक्स का एपीसेंटर थी। 1950 में यहां से सिर्फ 200 किमी दूर, इंडियन स्टेट आसाम में 8.5 मैग्निट्यूड का
Motuo Hydro Power Station: भूकंप का खतरा
earthquake आया था। और ईयर 1901 से लेकर आज तक पूरे हिमालय में 4000 से ज्यादा छोटे-बड़े अर्थक्वेक्स रिकॉर्ड किए जा चुके हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि वह डैम, जिनकी ऊंचाई 100 मीटर से ज्यादा है और वह फॉल्ट लाइन पर मौजूद हो, तो वह आसानी से 6 मैग्निट्यूड
Motuo Hydro Power Station: भूस्खलन का खतरा
earthquake ट्रिगर कर सकते हैं। इसके अलावा यह एरिया, जहां “Motuo Hydro Power Station” का प्रपोजल दिया गया है, यह जानलेवा लैंडस्लाइड्स का गढ़ भी है। 2021 में यहां लैंडस्लाइड की वजह से यारलुंग जांगबो रिवर का एक हिस्सा ब्लॉक हो गया था, जिसकी वजह से पानी को अपना रास्ता बदलना पड़ा। इसी एरिया में, इंडियन हिमालय में भी लैंडस्लाइड्स की वजह से फ्लैश फ्लड्स ट्रिगर हुए, जिसमें कई लोगों की जान गई, और उसने दो हाइड्रो पावर स्टेशंस को भी नुकसान पहुंचाया।
Motuo Hydro Power Station: भारत और चीन के बीच तनाव
इन सब मसलों के साथ-साथ, चाइना को अगर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रो पावर स्टेशन बनाना है, तो उसको इंडिया को भी फेस करना होगा। जैसा कि आप देख सकते हैं कि यारलुंग जांगबो रिवर का वह हिस्सा, जो डैम के बाद नीचे जा रहा है, कुछ ही फासले के बाद वह इंडियन स्टेट अरुणाचल प्रदेश में दाखिल हो जाता है। यह वह इंडियन स्टेट है जिसको चाइना अपना हिस्सा मानता है, और इसी बात को लेकर यहां कई मर्तबा इंडियन और चाइनीज का क्लैश भी हो चुका है। 1960 से लेकर, इंडिया और चाइना की कई बार इसी डिस्प्यूटेड एरिया को लेकर लड़ाई हो चुकी है। हाल ही में, 2020 की बात है, जब इंडियन और चाइनीज सोल्जर्स के बीच गलवान वैली में एक झड़प देखी गई, जिसकी वजह से एक जवान की मौत भी हुई।
Motuo Hydro Power Station: रणनीतिक महत्व और खतरा
तो कहने का मकसद सिर्फ इतना है कि इस रीजन में हालात काफी कशीदा हैं, और ठीक डिस्प्यूटेड बॉर्डर से 50 किमी दूर दुनिया का सबसे बड़ा डैम बनाना खतरे से खाली नहीं होगा। क्योंकि इंडिया और चाइना, दोनों न्यूक्लियर पावर कंट्रीज हैं। यहां डैम बनाने की वजह से चाइना का इंडिया और बांग्लादेश में जाने वाले पानी पर भी फुल कंट्रोल पैदा हो सकता है, जो चाइना अपने हथियार के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकेगा। कुल मिलाकर बात यह है कि Motuo Hydro Power Station ना सिर्फ एनवायरनमेंट के लिए खतरनाक है, बल्कि इस पूरे क्षेत्र में नई जंगों का आगाज भी कर सकता है।
चीन की एनर्जी पॉलिसी
तो फिर चाइना के लिए यह इतना ज्यादा जरूरी ही क्यों है? देखा जाए, तो आबादी के लिहाज से चाइना दुनिया का दूसरा बड़ा मुल्क है, लेकिन इलेक्ट्रिसिटी की
चीन की एनर्जी पॉलिसी
कंजम्पशन, दुनिया में सबसे ज्यादा। इसकी वजह चाइना में पाई जाने वाली फैक्ट्रीज हैं, यानी यह चाइना की बढ़ती हुई इकोनॉमी की रीड की हड्डी है, जिसे चाइना किसी भी सूरत कम नहीं कर सकता। अपनी इलेक्ट्रिसिटी डिमांड्स को पूरा करने के लिए चाइना ने पूरे मुल्क में 98,000 से भी ज्यादा हाइड्रो पावर डैम बना रखे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक चाइना की 70% इलेक्ट्रिसिटी फॉसिल फ्यूल के जरिए पैदा होती है।
चीन की एनर्जी पॉलिसी और Motuo Hydro Power Station
चाइना का विजन है कि उनको 2060 तक कार्बन एमिशन पर कंट्रोल पाना है। क्योंकि जैसा कि आप सब जानते हैं कि वह वक्त दूर नहीं जब दुनिया से फॉसिल फ्यूल्स का खात्मा हो जाएगा। तो अगर 2060 तक चाइना ने अपनी डिपेंडेंसी फॉसिल फ्यूल्स पर से खत्म ना की, तो वह अपना यह मकाम खो सकता है। Motuo Hydro Power Station, जो कि 60 गिगावाट इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करेगा, वह चाइना की 78 लाख गिगावाट की खपत के सामने ऐसे ही है, जैसे डूबते को तिनके का सहारा।
चीन का एनर्जी पॉलिसी और ग्रीन एनर्जी
एक्सपर्ट्स का ख्याल है कि अगर चाइना को फॉसिल फ्यूल पर से डिपेंडेंसी खत्म करनी है, तो उनको डैम के साथ-साथ, दूसरे ग्रीन एनर्जी के सोर्सेस पर भी काम करना होगा। तब जाकर वह अपनी डिमांड्स को पूरा कर पाएगा। उम्मीद है Jam TV की यह वीडियो भी आप लोग भरपूर लाइक और शेयर करेंगे। आप लोगों के प्यार भरे कमेंट्स का बेहद शुक्रिया। मिलते हैं अगली शानदार वीडियो में।