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ताकत के 48 नियम: The 48 Laws Of Power: Robert Greene की किताब का सारांश हिंदी में

The 48 Laws Of Power Robert Greene

ताकत के 48 नियम: “द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर” का सारांश

नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे दूसरे चैनल पर। दोस्तों हमारा पहला चैनल है “स्पीकर वॉइस टू पॉइंट ज़ीरो”। दोस्तों, इस चैनल पर आपको सिर्फ पावरफुल बुक समरी मिलेगी। अगर आप हमारे दूसरे चैनल के सदस्य हैं, तो हमें इस चैनल पर भी सपोर्ट करें।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: ताकत और सफलता

क्या आप सफलता पाना चाहते हैं? क्या आप शक्तिशाली और सफल इंसान बनना चाहते हैं? इस किताब में कुछ सीक्रेट बातें हैं जो हमें सिखाती हैं कि अपनी शक्ति का इस्तेमाल कैसे करें, और उसे लोगों पर समान और सफलता में कैसे इस्तेमाल करें।

शक्ति: एक अनिवार्य शक्ति

शक्ति का महत्व हमेशा से रहा है। चाहे वह राजा हो, योद्धा हो, या आम आदमी, हर कोई शक्ति चाहता है, और उसे पाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाता है। शक्ति सिर्फ राजनीति या सेना में नहीं होती, यह हमारे सामाजिक और रोजमर्रा के जीवन में भी होती है। शक्ति को सही से समझना और उसका उपयोग करना एक कला है। इस कला को समझाने के लिए “शक्ति के 48 नियम” एक शानदार किताब है।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: रॉबर्ट ग्रीन का ज्ञान

इस पुस्तक के लेखक रॉबर्ट ग्रीन ने इतिहास के कई उदाहरणों और मशहूर व्यक्तियों के किस्सों के जरिए शक्ति के नियमों को समझाया है। यह किताब सिर्फ यह नहीं बताती कि शक्ति कैसे पाएं, बल्कि यह भी सिखाती है कि शक्ति का सही उपयोग कैसे करें, और दूसरों की चालाकियों से कैसे बचें।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: मुख्य विचार

इस बुक समरी में आप जानेंगे किस तरह आप अपने दुश्मन को कंफ्यूज कर, उसे मात दे सकते हैं। किस तरह आप दूसरों की मेहनत से अपना फायदा करा सकते हैं। किस तरह आप किसी को अपना अच्छा दोस्त बनाकर, उससे अपना काम करा सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं आज की बुक समरी।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: प्यार का खेल: नोन डी लकल और मरकू एस डी सेने

17वीं सदी में फ्रांस की एक बहुत मशहूर नाचने वाली हुआ करती थी, जिसका नाम था नोन डी लकल। वह इतनी खूबसूरत थी कि बड़े-बड़े पॉलिटिशियन, थिंकर, राइटर, उसके प्यार में पागल थे। प्यार के मामले में वह औरत काफी एक्सपीरियंस थी। नोन यह बात जानती थी कि सेडक्शन एक गेम है, एक आर्ट है, जिसमें प्रैक्टिस से परफेक्ट बना जा सकता है। धीरे-धीरे वह मशहूर होती चली गई। फ्रांस के अमीर घरों के लड़के उसके पास आते थे। वह उन्हें प्यार करना सिखाती थी। उन्हीं में से मरकू एस डी सेने भी एक था। मरकू एस बस 22 साल का ही था, वह बहुत अमीर और हैंडसम था, मगर प्यार के मामले में बिल्कुल अनाड़ी था।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: सेडक्शन की कला: नोन डी लकल की रणनीति

तब तक नोन 62 साल की हो चुकी थी, फिर भी काफी फेमस थी। उसने मरकूएस की स्टोरी सुनी। उसे एक जवान और सुंदर का से प्यार हो गया था, मगर उसे समझ नहीं आ रहा था कि अपने प्यार का इजहार कैसे करें, और इस चक्कर में उससे बहुत गलतियां भी हुई। सबसे पहले तो नोन ने मरकूएस को समझाया कि प्यार किसी जंग से कम नहीं है। उसने समझाया कि मरकूएस को अपना हर स्टेप प्लान करना पड़ेगा, और फिर ध्यान से उन प्लांस को एग्जीक्यूट करना होगा। नोन ने मरकूएस से कहा कि वह अब प्यार की जंग के लिए तैयार हो जाए। उसे काउंटेस से दूरी बनानी होगी, और उसको इग्नोर करना पड़ेगा। मरकूएस जब काउंटेस से दोबारा मिला, तो एक दोस्त की तरह मिला। उसकी इस हरकत से काउंटेस को लगा कि वह सिर्फ दोस्ती करना चाहता है। वह इस बात से थोड़ी कंफ्यूज हो गई।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: सेडक्शन की कला: मरकू एस डी सेने की रणनीति

अब अगला स्टेप था काउंटेस को जलाना। मरकूएस हसीन और जवान लड़कियों के साथ पूरे पेरिस में घूमने लगा। इससे काउंटेस खूब जली, और उसे यकीन हो गया कि सारी लड़कियां मरकूएस को पाना चाहती हैं। नोन एक्सप्लेन किया कि औरत ऐसे मर्द को चाहती है जिसके पीछे पहले से ही बहुत सी औरतें पड़ी हों। ऐसे आदमी का प्यार जीतने में उसे ज्यादा खुशी मिलती है।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: सेडक्शन की कला: अंतिम कदम

काउंटेस को कंफ्यूज करने, और जेलस फील कराने के बाद, उसे सेड्यूस करने का यही सही टाइम होगा। मरकूएस को अब अपना रूटीन चेंज करना था। उसे उन इवेंट्स को अवॉइड करना था जहां काउंटेस के आने के चांसेस थे, और उन सैलून में जाना था जहां काउंटेस अक्सर थी।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: सफलता और गलती

दो हफ्ता बाद ही मरकूएस इनसान से माहिर बन गया था। उसकी प्रोग्रेस नोन नोट करती थी। उसके जासूस उसे सारी खबर पहुंचाते थे। वह खूब हंसती थी जब मरकूएस आकर उसे सारी कहानियां सुनाता था। नोन ने सुना कि वह खूबसूरत काउंटेस अब मरकूएस के लिए बेकरार हो रही थी। वह उसके बारे में पूछताछ करती रहती थी। सोशल अफेयर्स में वह मरकूएस को देखती रहती थी। नोन को यकीन हो गया था कि अब काउंटेस को भी मरकूएस से प्यार हो गया है। कुछ ही दिनों में वह उसकी हो जाएगी। मगर तभी एक गड़बड़ हो गई। मरकूएस काउंटेस से उसके घर मिलने गया था, मगर वहां उससे मिलके वह डिस्पेलर हो गया। उसने काउंटेस का हाथ पकड़ लिया, और अपने प्यार का इजहार कर दिया। उसकी इस हरकत से काउंटेस शॉक्ड रह गई। उसने तुरंत अपना हाथ छोड़ लिया। जैसे ही रात ढलती गई, वह खूबसूरत लड़की मरकूएस को अवॉइड कर रही थी। उसने उसे गुड नाइट भी नहीं कहा, और बाहर तक छोड़ने भी नहीं आई।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: विश्वास और ईमानदारी: खुलेपन का खतरा

मयूस, मरकूएस दोबारा उसके घर गया, तो उसे बताया गया कि काउंटेस कहीं बाहर गई है। मगर मरकूएस उसके घर कई बार गया। फिर एक दिन काउंटेस उसे अंदर बुला लिया, मगर अब सब कुछ बदल चुका था। जो काउंटेस उसे चाहने लगी थी, वह अब मरकूएस को देखकर अनकंफर्टेबल और कवर्ड फील कर रही थी। और इस तरह एक लव स्टोरी का एंड हो गया। ज्यादातर लोग हर वक्त वही बोलते हैं जो वे फील कर रहे होते हैं। वे सबके सामने अपना ओपिनियन रख देते हैं। ऐसे लोग अपना इंटेंशन और प्लान तुरंत सबको बता देते हैं।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: ईमानदारी: बल की तरह काम करती है

हालांकि, हम इंसानों के लिए ऐसा करना बड़ा ही नेचुरल और आसान है, मगर लोगों से अपनी बातें छुपा कर रखना इतना आसान नहीं होता। उसके लिए एफर्ट करना पड़ता है, और सबसे बढ़कर, हम में से बहुत से लोग यह मानते हैं कि ऑनेस्टी एक अच्छे इंसान होने की निशानी है। इससे आप सबका दिल जीत लेंगे, मगर कभी-कभी यह सच नहीं होता। ऑनेस्टी असल में एक ब्लंट इंस्ट्रूमेंट की तरह है, जो बचाने से ज्यादा काटने का काम करता है। जब-जब आप जरूरत से ज्यादा ऑनेस्ट बनते हैं, तो आप प्रिडिक्टेबल बन जाते हैं। ना तो लोग आपसे डरेंगे, ना ही

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: ताकतवर बनने के नियम

रिस्पेक्ट करेंगे। पावरफुल बनने के लिए यही सही होगा कि ऑनेस्टी को साइड में रखा जाए। अपने ट्रू इंटेंशन को छुपाना सीखिए। यह आपके बहुत काम आएगी। लोग उसी पर यकीन करते हैं जो वह देखते-सुनते हैं। धोखा देना ज्यादा आसान होता है। ऐसा शो कराइए जैसे आप कुछ और चाहते हैं। इससे आप पूरे फ्री होकर अपने रियल गोल्स पर ध्यान दे सकते हैं।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: सेडक्शन की कला: कॉन्फ्लेट का प्रयोग

सेडक्शन के गेम में कॉन्फ्लेट लाएं। जैसे एक ही वक्त में चाहत और बेरुखी दोनों दिखाएं। इससे ना सिर्फ वह भटक जाए, बल्कि आपको पाने के लिए उसके अंदर एक आग भड़क जाए।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चुप्पी का प्रभाव

बहुत पहले फ्रेंच कोर्ट में यह रिवाज था कि स्टेट इश्यूज पर पहले डिस्कस किया जाता था, फिर उन्हें राजा के सामने पेश करते थे। नोबल्स और मिनिस्टर्स के बीच कई-कई दिनों तक बहस चलती रहती थी। फिर उन्हें अपने दो रिप्रेजेंटेटिव चुनने होते थे। दोनों लुई, राजा के आगे बारी-बारी से अपने व्यूज एक्सप्लेन करते थे। अब राजा को डिसाइड करना था कि स्टेट इश्यूज के लिए कौन सा रेजोल्यूशन बेस्ट रहेगा। आखिर में रिप्रेजेंटेटिव राजा के पास आए, उन्होंने इश्यूज रखे, और उन्हें रिजॉल्व करने के दो बेस्ट पॉसिबल टैक्टिक्स भी बताए। लुई, राजा बस सुनते रहे। उनके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे। जब वे लोग अपनी बात पूरी कर लेते, तो राजा कहता, “मैं देखता हूं,” और बस यही बोलकर वह कोर्ट से चला जाता।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चुप्पी का प्रभाव: राजा लुई 14

लुई, राजा, उस सब्जेक्ट पर कभी फिर बात नहीं करता था। उसके कोर्टम को कुछ दिनों बाद पता चलता था कि उसने क्या डिसीजन लिया था, क्योंकि तब तक लुई स्टेट इश्यूज पर काम करवा चुका होता था। उसकी चुप्पी से किसी को भी यह पता नहीं चलता था कि उसके दिमाग में चल क्या रहा है। उसके अगले स्टेप को प्रिडिक्ट करना बड़ा मुश्किल होता था। उसकी चुप्पी की वजह से ही उसके दरबारी लोग बातें करते रहते थे, और वह सबके दिमाग की बात जान लेता था, मगर उसके दिमाग में क्या है, यह किसी को पता नहीं चलता था। लुई 14 उन लोगों से मिली इंफॉर्मेशन को उनके खिलाफ भी इस्तेमाल करता था, जिसकी वजह से वह बहुत पावरफुल बन गया था, और लोग उससे डरते थे। वह किसी को भी उखाड़ फेंक सकता था, क्योंकि उसे सबकी कमजोरी मालूम थी। तो इस तरह से साइलेंस, लुई 14 का सबसे बड़ा हथियार था।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चुप्पी का महत्व

अपनी बातों को लिमिट रखने से, ना सिर्फ आप पावरफुल बनेंगे, बल्कि इससे आप कई गलतियां करने से भी बच सकते हैं। जब आप बिना सोचे बोल देते हैं, तो कई बार गलत या बेवकूफी की बात भी बोल देते हैं, और इससे आप मुसीबत में पड़ जाते हैं।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: विश्वास और गलती: एक धोखा

साल 1825 में रशिया में एक रिवोल्यूशन हुआ था। निकोलस तब नया जार बना था, मगर लिबरल्स चेंज चाहते थे। वे चाहते थे कि रशिया एक मॉडर्न कंट्री बने। यहां की इकोनॉमी और गवर्नमेंट बाकी यूरोपियन कंट्री के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें। पर निकोलस ने आखिर दिसंबरिस्ट्स को दबाने का हुक्म दिया।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: विश्वास और गलती: रैले विव का मामला

रेबेल के लीडर को,

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: विश्वास और गलती: रैले विव का मामला

रैले विव को, फांसी पर चढ़ा दिया जाए। रैले विव के गले में फांसी का फंदा था, और वह एक प्लेटफॉर्म पर खड़ा था। उसके पांवों के पास दरवाजे खुल गए थे, कि तभी उसके फंदे की रस्सी टूट गई, और वह जमीन पर गिर पड़ा।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: विश्वास और गलती: रैले विव का मामला

उस जमाने में किसी मुजरिम के फंदे की रस्सी टूटना, ऊपर वाले का चमत्कार मानी जाती थी, और अक्सर मुजरिम को छोड़ दिया जाता था। लेकिन रैले विव खड़ा हुआ, और भीड़ के सामने जाकर चिल्लाया, “देखा आप लोगों ने, रशिया में इन लोगों को कोई काम नहीं आता। यहां तक कि उनसे एक ढंग की रस्सी भी नहीं बनाई जाती।”

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: विश्वास और गलती: निकोलस का प्रतिउत्तर

राजा का मैसेंजर तुरंत जार के पास गया, और उसे पूरी बात बताई। निकोलस बहुत डिसप्लिज्ड था। रैले विव की फांसी टल गई। मजबूरी में उसे रैले विव के माफीनामे पर साइन करने पड़े। मगर साइन करने से पहले उसने मैसेंजर से पूछा, “क्या रैले विव ने इस चमत्कार के बाद कुछ कहा?” इस पर मैसेंजर ने जवाब दिया, “शायद उसने कहा कि रशिया में लोगों को एक रस्सी तक बनानी नहीं आती।” निकोलस ने उसी वक्त वह माफीनामा फाड़कर फेंक दिया। उसने हुक्म दिया, “ऐसी बात है, तो चलो इसे गलत साबित कर देते हैं।” और अगले दिन ही रैले विव को फिर से फांसी के तख्ते तक लाया गया। और बदकिस्मती से, इस बार रस्सी नहीं टूटी।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: बोलने का महत्व

एक बार जब आप कुछ बोल देते हैं, तो अपने वर्ड्स दोबारा वापस नहीं ले सकते। तो जो बोले, सोच-समझकर बोले। हो सकता है कि आपकी किसी बात का बाकी लोग बुरा मान जाएं, या फिर आप खुद ही मुसीबत में फंस जाएं। जैसा कि कहावत है, “कम बोलने से कम गलतियां होंगी।”

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: ताकतवर बनने का नियम

अगर आप अपनी पावर चाहते हैं, तो अपनी खूबियों को छुपा कर रखें। लोगों को नाम कमाने दें। आप उन्हें बिल्कुल भी इनसिक्योर फील ना कराएं। जब आपका वक्त आएगा, तब यही बात आपके लिए एक एडवांटेज बन जाएगी।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: संघर्ष और शक्ति

अगर यह दुनिया जाल साजियों से भरा हुआ कोर्ट है, और हम अंदर फंस ही चुके हैं, तो कोई फायदा नहीं होगा कि हम बिना लड़े बाहर आने की कोशिश करें। हम शायद नोटिस ना कर पाएं, मगर सच तो यह है कि हमें पावर के लिए रोज़ ही स्ट्रगल करना पड़ता है। परिवार के अंदर, काम पर, या कम्युनिटी में, लगभग हर जगह हमें खुद के लिए लड़ना पड़ता है। हम चाहे या ना चाहे, मगर इस दुनिया में रहने के लिए हमें पावर की जरूरत पड़ ही जाती है। इसलिए हमें खुद को किसी हाल में पावरलेस नहीं बनने देना है। क्योंकि ऐसा करना खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: शक्ति का नियंत्रण

सच बात तो यह है कि जितनी ज्यादा पावर हमें हासिल होगी, हम उतने ही बढ़िया दोस्त, लव, हस्बैंड, वाइफ, और इंसान बन पाएंगे। मगर दूसरों पर या चीजों को अपने पावर में करने से पहले, जरूरी है कि हमारा पावर खुद पर, और इमोशन पर हो।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: इमोशन को कंट्रोल करना

जब हमारे साथ कुछ होता है, तो उस बात के ऊपर एकाएक इमोशनल रिएक्ट करने की आदत को कैसे कंट्रोल करें? यही हमें सीखना है। क्योंकि हर बात पर तुरंत रिएक्ट करने से रीजनिंग पावर कम होने लगती है। इससे आप किसी बात को क्लियर सोचें-समझें, बगैर इमोशन में आकर गलत डिसीजन भी ले सकते हैं। अपने इमोशन को कंट्रोल करना बहुत मुश्किल होता है, खासकर बात जब प्यार और गुस्से की हो।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: इमोशन को कंट्रोल करना: खतरा और सावधानी

इन फीलिंग्स के साथ करते वक्त थोड़ा केयरफुल रहना है, क्योंकि पॉसिबल है कि आपके दुश्मन इसे आपके खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं। अब जब आप यह फाउंडेशन समझ गए हो, तो इसके पहले लॉ के बारे में सीखते हैं।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: पहला नियम: दुश्मनों का इस्तेमाल करना

दोस्तों, पर जरूरत से ज्यादा भरोसा ना करें। अपने दुश्मनों का इस्तेमाल करना सीखें।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: हान राजवंश

हान डायनेस्टी ख़त्म होने के बाद 100 सालों बाद भी चाइना में अफरातफरी बनी रही। राजगद्दी के लिए छीना-झपट्टा चलती रहती थी। हर नए राजा को मौत के घाट उतार दिया जाता था, और आर्मी तख्तापलट करती रहती थी। पावर की यह लड़ाई खून और मार-काट से रंगी हुई थी। ऐसे ही एक राजा को उसके जनरल्स ने मार डाला, और उसके बाद अपने में से ही सबसे स्ट्रांग आदमी को चुनकर उसे राजा बना दिया था।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: एंपरर संग

इस नए राजा ने भी अपनी कुर्सी सलामत रखने के लिए अपने सारे पावरफुल आदमियों को मरवा दिया। मगर कुछ सालों में वह खुद भी मारा जाएगा, क्योंकि उससे छोटी उम्र वाले, नए जनरल उसके खिलाफ साजिश रचकर उसको और उसके बेटों को मार देंगे। यह पैटर्न यूं ही चलता रहेगा। जो भी राजा बनेगा, उसकी जान हमेशा खतरे में रहेगी, क्योंकि उसका हर कोई दुश्मन है। चाइना का एंपरर बनने का मतलब है एक अकेला, इनसिक्योर राजा, जिसके हाथ में कोई असली पावर नहीं है।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: जनरल चाओ को यान

मगर जब 959 एडी में जनरल चाओ को यान को पावर मिली, तब यह सारा गेम ही चेंज हो गया। वह एंपरर संग बना, उसे अपनी सिचुएशन के बारे में अच्छे से पता था कि आने वाले कुछ सालों बाद उसका भी खून हो सकता है।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: एंपरर संग का रणनीति

उसने इस चीज को रोकने का रास्ता सोचा। राजा बनने के बाद एंपरर संग ने अपने सभी आर्मी जनरल को पार्टी, सेलिब्रेट करने के लिए इनवाइट किया।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: एंपरर संग का रणनीति

पार्टी में जब लोग वाइन के नशे में धुत हो गए, तब एंपरर ने जनरल्स को छोड़कर बाकी लोगों और गार्ड्स को वहां से चले जाने का हुक्म दिया। अब एंपरर के साथ कोर्ट में सिर्फ जनरल्स रह गए थे। उन्होंने सोचा कि एंपरर संग उन्हें मरवाने का हुक्म देगा, मगर ऐसा नहीं हुआ।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: एंपरर संग का रणनीति

एंपरर संग ने उनसे कहा, “रोज मेरा दिन डर के साए में गुजरता है। खाने की टेबल और मेरे बिस्तर, दोनों जगहों पर मुझे मजा नहीं आता। मुझे यकीन है कि आप में से कोई भी अपने साथ यही सब देखने के लिए राजा बनने के सपने नहीं ले रहा होगा।”

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: एंपरर संग का रणनीति

एंपरर संग की बात सुनकर जनरल्स डर गए। उन्होंने एंपरर के खिलाफ कोई साजिश ना रचने, और हमेशा वफादार बने रहने का वादा किया। मगर एंपरर सयाना था। उसे पता था कि दौलत के लालच में इंसान कुछ भी कर सकता है।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: एंपरर संग का रणनीति

एंपरर संग ने उनसे वादा किया, “जिंदगी जीने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि इज्जत और अमीरी में सुकून भरे दिन गुजारे जाएं। अगर आप लोग अपना कंट्रोल छोड़ने को तैयार हो, तो मैं वादा करता हूं कि आप सबको फाइन स्टेट और दौलत से मालामाल कर दूंगा।”

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: एंपरर संग की सफलता

जनरल्स हैरान थे कि एंपरर उन्हें दौलत और सिक्योरिटी देना चाहता है। अब उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं थी। अगली सुबह हर एक जनरल को उसकी पोस्ट रिजाइन कर दी गई, और साथ ही उन्होंने एंपरर संग से अपना रिटायरमेंट भी एक्सेप्ट कर लिया। अब वे अपने-अपने एस्टेट के नोबेल और मास्टर बन गए थे, जो एंपरर ने उन्हें बक्शा था। सिर्फ एक ही झटके में एंपरर संग ने अपने दुश्मनों को अपना वफादार बना लिया था।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: राजा लियू

एंपरर संग अपना किंगडम एक ही झंडे के नीचे लाना चाहता था। दूर साउथ के इलाके हान में, सालों से बगावत की लड़ाई चल रही थी। लियू वहां का राजा था। जब रिबेल ने सरेंडर किया, तो एंपरर ने उन्हें कोई पनिश नहीं किया, बल्कि उसने राजा लियू को अपने कोर्ट में एक पोजीशन दे दी।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: राजा लियू

यही नहीं, एंपरर ने दोस्ती के तौर पर उसे अपने साथ वाइन पीने के लिए इनवाइट किया, पैलेस में। एंपरर संग ने राजा लियू को वाइन का ग्लास दिया, पर राजा लियू पीने से डर रहा था। क्योंकि उसे लगा, कहीं इसमें जहर ना हो।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: राजा लियू

उसने एंपरर से कहा, “Your Majesty, मैं जानता हूं कि जो गलती इस गुलाम से हुई है, उसकी सजा सिर्फ मौत है। मगर फिर भी मैं आपके सामने जान की भीख मांगता हूं। इसलिए मुझे माफ करें, क्योंकि मैं यह वाइन नहीं पी सकता।”

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: चीन का इतिहास: राजा लियू

यह बात सुनकर एंपरर हंस पड़ा। उसका कोई इरादा नहीं था राजा लियू को जहर देने का। राजा लियू को यकीन दिलाने के लिए उसने वह वाइन खुद पी ली। उस दिन से, राजा लियू, एंपरर का लॉयल बन गया। जो कभी बहुत बड़ा रिबेल था, अब वही एंपरर का सबसे पक्का दोस्त बन गया था।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: एंपरर संग: सत्ता और रणनीति

एंपरर संग ने जनरल्स को बड़े-बड़े स्टेट गिफ्ट करके होशियारी का काम किया था। अब उनसे एंपरर को कोई डर नहीं था। उन्हें मारने से तो अच्छा था कि अपना लॉयल बना लिया जाए। और इससे आर्मी का तख्तापलट भी हमेशा के लिए रुक गया। एंपरर संग पहला था जिसने चाइना में सिविल वॉर और वायलेंस को खत्म किया। संग डायनेस्टी, तीन सेंचुरी तक चाइना में राज करती रही।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: दूसरा नियम: एहसानमंद रखें

वह आदमी जिंदगी भर आपका एहसानमंद रहेगा, जिसे आपने मौत की सजा से बचाया हो। ऐसा आदमी आपकी खातिर दुनिया के आखिर कोने में भी चला जाएगा।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: दूसरा नियम: दुश्मन से दोस्ती करना

जब आप अपने दुश्मनों से दोस्ती कर लेते हैं, तो वह आपके दोस्तों से भी ज्यादा भरोसेमंद निकलते हैं। हमारे दोस्त अक्सर लड़ाई ना हो जाए, यह सोचकर हर बात पर हामी भर लेते हैं। आपको बुरा ना लगे इसलिए वे अपनी क्वालिटी छुपा कर रखते हैं। हो सकता है कि आप उनको इतने अच्छे से नहीं जानते, जितना आपको लगता है।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: दूसरा नियम: दुश्मन से दोस्ती करना: खतरा और मौका

हो सकता है कि वे आपसे जलते हों। जब कोई मुसीबत आती है, तो अक्सर दोस्त भाग जाते हैं। दूसरी तरफ, आपके दुश्मन, है जो किसी सोने की खान से कम नहीं हैं। बस आपको यह खान खोदनी है।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: तीसरा नियम: हार मानना: एक रणनीति

जब आप किसी से लड़ने जाएं, और आपको पता हो कि आप उनसे नहीं जीत पाएंगे, तो आप क्या करेंगे? ऐसे में उसके सामने हार मान लेना ही सबसे अच्छा उपाय होगा। लोग अपनी शान को बचाने के लिए अक्सर अपनी जान दे देते हैं, लेकिन ऐसे लोगों को कुछ भी हासिल नहीं होता। आप सामने वाले का इस्तेमाल करना सीखें।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: तीसरा नियम: हार मानना: एक रणनीति

आप सबसे पहले अपने दुश्मन को यह यकीन दिलाएं कि आप सामने हार मान चुके हैं। इससे आपका दुश्मन यह सोचेगा कि आप हार गए हैं, और वह निश्चिंत हो जाएगा। फिर आप उसके साथ रहकर, या उससे कहीं दूर जाकर, उसे हराने के बारे में सोच सकते हैं, या फिर एक सरल जिंदगी की शुरुआत कर सकते हैं।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: तीसरा नियम: हार मानना: एक रणनीति

अगर आप अपनी शान बचाने के लिए उससे लड़ते भी हैं, तो भी उससे जीत नहीं पाएंगे। इसलिए बेहतर है कि आप उसे भ्रम में रखकर उसका इस्तेमाल कीजिए।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: तीसरा नियम: हार मानना: बर्टोल्ट ब्रेन का उदाहरण

एग्जांपल के लिए आप बर्टोल्ट ब्रेन को ले लीजिए। वे एक लेखक थे जो क्रांतिकारी और कम्युनिस्ट आइडियाज के बारे में लिखा करते थे। दूसरे विश्व युद्ध के समय वे अपने कुछ साथियों के साथ यूरोप छोड़कर अमेरिका गए थे। विश्व युद्ध के ख़त्म हो जाने के बाद, उनसे अमेरिका की कांग्रेस ने सवाल-जवाब किए।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: तीसरा नियम: हार मानना: बर्टोल्ट ब्रेन का उदाहरण

उनके कुछ साथियों ने कांग्रेस के लोगों पर चिल्लाना, और उनके साथ लड़ना-झगड़ना शुरू कर दिया। जबकि ब्रेन ने सरल स्वभाव से उनके सारे सवालों का जवाब दिया। इसका नतीजा यह निकला कि ब्रेन को छोड़ दिया गया, जबकि उनके साथियों को कई सालों तक जेल में रखा गया।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: तीसरा नियम: हार मानना: बर्टोल्ट ब्रेन का उदाहरण

इसके बाद ब्रेन ने देश छोड़ दिया, और बाहर जाकर अपने आइडियाज के बारे में लिखने लगा। इस दुनिया में वही जीत सकता है, जिसे अपनी ताकत का सही इस्तेमाल करना आता हो, और जो जीतने के तरीकों को जानता हो। आज भी दुनिया ताकतवर लोगों के आगे सिर झुकाती है। ताकतवर बनने के लिए आपको कुछ जरूरी बातें जाननी चाहिए। यह किताब आपको उन्हीं जरूरी बातों के बारे में बताती है।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: ताकतवर बनने का ज्ञान

ताकत का सही इस्तेमाल करना एक कला है। इसके लिए आपको अपनी मानसिक और शारीरिक ताकत को बढ़ाना होगा, और उन तरीकों को समझना होगा जो आपको आपके लक्ष्य तक पहुंचा सकें। ताकत सिर्फ बल का नाम नहीं है। यह आपकी सोच, विचारों, और कामों में झलकती है। इस किताब में आपको उन सभी चीजों के बारे में बताया गया है जो आपको ताकतवर बनने में मदद करेंगी।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: सही दिशा में ताकत

सही दिशा में ताकत का इस्तेमाल करना, और जीत हासिल करना, एक विज्ञान है। आखिरकार, दुनिया उन्हीं का सम्मान करती है जो अपने ज्ञान और ताकत का सही इस्तेमाल कर सफलता पाते हैं। इस बुक समरी में आपको उन तरीकों के बारे में बताया गया है जो ना सिर्फ ताकतवर बनाएंगे, बल्कि एक सफल और सम्मानित व्यक्ति भी बनाएंगे।

“द 48 लॉज़ ऑफ़ पावर”: समाप्ति और अगली बुक समरी का प्रचार

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