बांग्लादेश के बिजली, पानी, तेल सब बंद, लगता है श्रीलंका और पाकिस्तान से भी गया बीता होकर मानेगा बांग्लादेश। वहीं बांग्लादेश जो भारत के खिलाफ इंडिया आउट कैंपेन चलाने की बात किया करता था, आज वो खून के आंसू रो रहा है। जी हां दोस्तों, आईएमएफ इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के सामने बांग्लादेश ने अपना हाथ फैलाना शुरू कर दिया है। एक तरफ ये कहा जा रहा था कि मोहम्मद यूनुस नोबेल पीस प्राइज पुरस्कार विजेता, ये जब बांग्लादेश की कमान संभालेंगे तो करप्शन खत्म हो जाएगा, देश प्रगति की राह पर चल पड़ेगा, लेकिन ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है।
मोहम्मद यूनुस ने पहले भारत को बड़ी आंखें दिखाई, शेख हसीना को प्रत्यर्पण करने के लिए कहा, कहा कि शेख हसीना वापस बांग्लादेश भेजो नहीं तो भारत और बांग्लादेश के संबंध बिगड़ सकते हैं, और आज स्थिति आ चुकी है कि मोहम्मद यूनुस की इंटरिम गवर्नमेंट जो है वो बुरी तरीके से आर्थिक रूप से पंगू नजर आ रही है, और खुद मोहम्मद यूनुस ने आईएमएफ इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के सामने एक अरब डॉलर, वन बिलियन डॉलर की डिमांड रखती है कि भाई हमें हमारी विनती है कि हमें ये पैसा लोन पर दे दिया जाए, कर्ज दे दिया जाए ताकि हम अपने देश को चला सके। पर बात केवल यहीं तक सीमित होती तो भी ठीक था।
गवर्नर जो हैं, जो कि बांग्लादेश के सेंट्रल बैंक के जो गवर्नर हैं उन्होंने ये कहा कि मोहम्मद यूनुस बहुत कम पैसे आईएमएफ के सामने डिमांड कर रहे हैं। आईएमएफ से बांग्लादेश को कम से कम साढ़े छह अरब डॉलर यानी कि 6.5 बिलियन डॉलर की कर्ज की जरूरत है, क्योंकि जो मोहम्मद यूनुस है वो तो सिर्फ अपने कार्यकाल की बात कर रहे हैं, जब तक कि वो इंटरिम गवर्नमेंट के लीडर बनकर बैठे हैं, तब तक कुछ महीने बांग्लादेश को चलाए रखने के लिए जो पैसों की जरूरत पड़ेगी उसकी बात कर रहे हैं। उसके बाद वो कांटों का ताज आने वाला जो भी लीडर बनेगा बांग्लादेश का, जब चुनाव होंगे, जब होंगे, तब होंगे वाली बात यहां पर भी है।
तो जब कोई नया लीडर चुनकर आएगा मोहम्मद यूनुस के बाद जब फ्री एंड फेयर इलेक्शंस कंडक्ट करा जाएंगी बांग्लादेश में, तो वो जो है वो फिर से ये कांटों का ताज पहनकर आईएमएफ के सामने पहुंचेगा। तो कुल मिलाकर देखा जाए तो इस वक्त बांग्लादेश में सब कुछ ठीक नहीं मालूम पड़ रहा है। भारत के साथ तल्खी होने के बाद जो इम्पोर्ट एक्सपोर्ट चल रहा था उसमें भी काफी कमी देखने को मिल रही है। बड़ी बात ये है कि बांग्लादेश की इकॉनमी उतनी स्ट्रांग नहीं है जितनी भारत की है, या किसी अच्छे देश की होती है।
बांग्लादेश की इकॉनमी इस कदर रिवोल्ट्स और इस कदर तख्ता पलट के बाद होने वाले बदलावों का सामना नहीं कर पाई। चंद महीने बंद रहने के बाद ही बांग्लादेश की इकॉनमी तितर बितर होती नजर आ रही है और कारण इसका ये है कि एक बहुत बड़ा हिस्सा बांग्लादेश इकॉनमी का जो है वो टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर बेस्ड है। और इतना सब वहां पर अफरातफरी जो मची, राजनीतिक उठापटक जो हुई, जो वहां पर दंगे वगैरह हुए उसके चलते टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बहुत गहरा आघात लगा है और अब उसे उबरने में वक्त लगेगा।
आपको बता दें जो बांग्लादेश की इकॉनमी है उसमें 50% हिस्सा कपड़ा उद्योग का है, टेक्सटाइल इंडस्ट्री का है। एच एंड एम, ज़ारा और जितने बड़े ब्रांड्स हैं, डेनिम ब्रांड्स हैं वो सब आते हैं बांग्लादेश और यहां से सस्ता और उच्च क्वालिटी का कपड़ा खरीदकर उसे फिर रिटेल शॉप्स में दुनिया भर में अपनी ब्रांडिंग लगाकर बेच देते हैं। क्योंकि बांग्लादेश में लेबर सस्ता है, तो वहां से कपड़ा खरीदने में सस्ता पड़ता है और इसी चक्कर में बांग्लादेश इकॉनमी का सपोर्ट भी हो जाता है। लेकिन अब जो बायर्स हैं, इंटरनेशनल बायर्स, बड़ी-बड़ी कंपनी के ब्रांड्स वो अब बांग्लादेश का दामन छोड़कर भारत के रास्ते चलना पसंद कर रहे हैं। क्योंकि भारत में प्रोडक्शन भी अच्छा मिल सकता है, मैनपावर भी अच्छा ही है, और भारत एक स्टेबल स्थिर कंट्री है, तो यहां इस प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी, ऐसा बड़ी कंपनियों का मानना है।
तो अगर लंबे समय तक बांग्लादेश में यूं चलता रहा, तो फिर हो सकता है कि उनकी टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बड़ा आघात लग जाए और उनके जो बड़े बायर्स हैं, खरीददार जो हैं बांग्लादेशी कपड़े के, वो भारत का रुख कर लें। पर बड़ी बात ये है दोस्तों, इस वक्त जब वहां पर स्थिति बहुत खराब है और भारत के खिलाफ जहर उगल जाने की बात कही जा रही है बांग्लादेश के अंदर, उस वक्त चीजें एकदम से बदल चुकी हैं। देखिए बांग्लादेश को बिजली सप्लाई करने का काम अडानी पावर जी हां दोस्तों, गौतम अडानी की कंपनी अडानी पावर जो है उसमें जो झारखंड की एक यूनिट है उनकी, उनका पावर प्लांट है अडानी पावर्स का झारखंड में, और उसका काम जो है बिजली बनाना है और वो बिजली बनाकर भारत के पावर ग्रिड को सप्लाई नहीं करते, वो पावर प्लांट बनाया गया है बांग्लादेश को बिजली प्रोवाइड करने के लिए।
और आपको बता दें 800 मिलियन डॉलर का कर्जदार हो चुका है बांग्लादेश के ऊपर अडानी पावर का। यानी कि अडानी पावर से बिजली तो ली गई, लेकिन उसे पेमेंट नहीं की गई। लंबे समय तक टालमटोल आ रहा था बांग्लादेश ये पेमेंट। ये पेमेंट जब 100 मिलियन था, तभी नहीं किया गया, 200 मिलियन था तभी भी नहीं किया गया। और अब जब शेख हसीना छोड़ चुकी हैं बांग्लादेश तब वहां पर टोटल 800 मिलियन यानी कि लगभग 6000 करोड़ रुपए से ज्यादा का जो है बकाया बांग्लादेश पर है। अब सवाल ये उठ रहे हैं और पूरे इंटरनेशनल मीडिया में ये खबर उड़ रही है कि क्या अडानी पावर ये 800 मिलियन का जो कर्जा है, ये जब एक बिलियन डॉलर हो जाएगा उसके पहले क्या बांग्लादेश की बिजली काट देंगे अडानी पावर वाले? तो अडानी पावर से जवाब आया कि वो बिजली काटेंगे नहीं, लेकिन हां वो जो बांग्लादेश की सरकार है उनके सामने अपनी बात रखेंगे कि भाई पुराना बकाया जो रकम है उसे लौटा दिया जाए। तो कुल मिलाकर देखा जाए तो इस वक्त सिचुएशन बहुत ज्यादा क्रिटिकल नजर आ रही है बांग्लादेश की, लगभग 800 मिलियन का तो अडानी पावर का ही कर्जा है, फिर भारत का भी कर्जा होगा। तो कुल मिलाकर अब बांग्लादेश याकुल ठिकाने आती नजर आ रही है।
जब सिचुएशन बुरी हुई है, बद से बदतर हुई है, तो अब वो जो इंडिया आउट कैंपेन वो चला रहे थे उनको समझ में आ रहा होगा। आने वाले वक्त में जब उनकी स्थिति और और ज्यादा बदतर होगी और आईएमएफ भी आनाकानी करने लगेगा फंड्स देने में, तब उसके बाद उन्हें भारत की याद आएगी, और ऐसा ही कुछ हुआ था श्रीलंका के साथ। श्रीलंका भी पहले चाइना से कर्ज लेकर बहुत कूदने लगा था, लेकिन जब श्रीलंका की हालत खराब हुई और कोई बचाने नहीं आया, तब भारत के सामने उन्हें लौटना पड़ा और आज की तारीख में भारत से एकदम अच्छे संबंध बनाकर चल रहा है श्रीलंका और भारत उसकी मदद भी कर रहा है और भारत की बात मानने को मजबूर भी हो रहा है श्रीलंका आज की तारीख में।
कुछ ऐसा ही नजारा आपको बांग्लादेश में जिसके बारे में कहा जा रहा है कि आज वहां पर एंटी इंडिया सेंटीमेंट हैवी है, कहा जा रहा है कि वो अगला पाकिस्तान 2.0 बनने वाला है, लेकिन सिचुएशन ये है कि जिस तरीके से मोहम्मद यूनुस ने ये कहकर जो है वहां पर रिवोल्ट को लीड किया था कि भाई मैं आऊंगा वहां पर इंटरिम गवर्नमेंट बनेगी उसका मैं लीडर बन जाऊंगा, उसके तुरंत बाद मैं वहां पर एक फुल एंड फेयर चुनाव कराऊंगा, चुनाव में जो भी पार्टी चुनकर आएगी, जो भी लीडर चुनकर आएगा वो कमान संभालेगा बांग्लादेश की, लेकिन अब मोहम्मद यूनुस का ऐसा कहना है कि अब मैं आया हूं तो मैं थोड़ा वक्त लूंगा, मैं कुछ रिफॉर्म्स करूंगा यानी बांग्लादेश के संविधान में बदलाव या जो भी आमूलचूल बदलाव की बात चल रही थी वो सारे में बदलाव करूंगा उसके बाद फिर आराम से ठहरकर फिर सत्ता का जो है मजा लेने के बाद में मोहम्मद यूनुस शायद प्लान करेंगे कि अब चलो फेयर फ्री एंड फेयर इलेक्शन करवा दी जाए।
लेकिन तब तक कि बांग्लादेश का क्या होगा? क्या बांग्लादेश में अराजकता शांत होगी? क्या टेक्सटाइल मिलों में, टेक्सटाइल इंडस्ट्री में जो वर्कर काम करते हैं उन्हें वापस अपना काम, रोजगार वापस मिल पाएगा? क्या टेक्सटाइल मिल के मालिक, टेक्सटाइल इंडस्ट्री में काम करने वाले जो बड़े प्रोड्यूसर्स हैं वो जो हैं वो अपनी फैक्टरियों को वापस प्रोडक्शन की उस कैपेसिटी तक वापस ला पाएंगे जो कि इंटरनेशनल डिमांड्स को पूरी कर पाएगा, या फिर टेक्सटाइल इंडस्ट्री बुरी तरीके से फेल होगी बांग्लादेश की और ज्यादातर विदेशी बायर जो है वो भारत के रास्ते चले आएंगे। भारत से संबंध क्या बांग्लादेश के पॉलिटिशियंस मेंटेन कर पाएंगे? क्योंकि तल्ख टिप्पणियां भारत के खिलाफ काफी बड़े पैमाने पर हो रही बांग्लादेश से भी और बांग्लादेश के अंदर हिंदुओं की स्थिति तो आप सबको मालूम ही है। कुल मिलाकर देखा जाए तो बांग्लादेश इस वक्त बहुत एक टाइट रोप पर चल रहा है, एक पतली महीन रस्सी पर चल रहा है।
अगर उसने अपने आप को संभाला नहीं, अपने जो है अपने कोड ऑफ कंडक्ट को सही नहीं रखा, सिचुएशन उसके लिए बहुत बदतर हो सकती है। क्योंकि इस पूरे क्षेत्र में इस पूरे रीजन में दो ही कंट्रीज हैं जो बांग्लादेश की मदद कर सकते हैं। एक है भारत और दूसरा चाइना, और चाइना से मदद लेकर अपने पूरे देश को गिरवी रख देने वाली बात दुनिया अच्छी तरीके से जानती है। तो उस रास्ते पर बांग्लादेश शायद नहीं चलना चाहेगा, और अगर चला तो समझ लीजिए कि बांग्लादेश की बर्बादी भी पाकिस्तान की तरह होगी या उससे भी ज्यादा बुरी हो सकती है। इस पर आप सबकी क्या टिप्पणी है नीचे कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताएं।
जितना हो सके इस वीडियो को शेयर करें Facebook पर, WhatsApp पर, YouTube पर। धन्यवाद।