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श्रीमद्भगवद्गीता के 111 विचार हिंदी में (111 Thoughts from Bhagavad Gita in Hindi)

श्रीमद्भगवद्गीता के 111 विचार हिंदी में (111 Thoughts from Bhagavad Gita in Hindi)

श्रीमद भगवद गीता से 111 विचार

कहा जाता है कि भागवत गीता सिर्फ एक धर्म के लिए नहीं है, बल्कि इसे इस धरती के हर इंसान को पढ़ना और समझना चाहिए। ताकि वह अपनी जिंदगी में सुख और सफलता को प्राप्त कर सके।

भगवद गीता: ज्ञान का सागर

भागवत गीता में कुल 18 अध्याय हैं, और इन 18 अध्यायों में कुल 700 श्लोक हैं, जो सभी के लिए पढ़ पाना थोड़ा मुश्किल है। इसलिए भागवत गीता के 111 विचारों के बारे में बात करने वाले हैं, जिन्हें जानकर भी आप पूरी तरह भागवत गीता का मतलब समझ पाएंगे। इसलिए इसे हर सुबह सुनें।

भगवद गीता: कर्म का महत्व

हर इंसान को कर्म में विश्वास करना चाहिए, क्योंकि यह जगत ही कर्म लोक है। कर्म आपके हाथ में है, परिणाम नहीं। इसलिए कर्म पर ध्यान लगाएं, यानी कि सिर्फ काम पर ध्यान लगाएं और मेहनत करें।

भगवद गीता: कामनाओं का त्याग

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि हर वक्त अपनी कामनाओं और इच्छाओं में डूबे रहना ही इंसान के सभी दुखों का कारण है। अगर वह इससे मुक्त होकर अपना कर्तव्य निभाए, तभी उसका जीवन खुशहाल होगा।

भगवद गीता: विश्वास और आशा

विश्वास रखिए कि तुम्हारे साथ जो हुआ है, वह अच्छा हुआ है। जो हो रहा है, वह भी अच्छा है, और जो होगा वह भी अच्छा होगा।

भगवद गीता: वर्तमान का आनंद

जीवन ना तो बीते हुए कल में है, और ना ही भविष्य में, बल्कि जीवन का आनंद तो बस आज को जीने में है।

भगवद गीता: आत्मविश्वास का महत्व

अगर कोई इंसान जो चाहता है, उसे विश्वास के साथ करता है, तो वह जो चाहे वह बन सकता है।

भगवद गीता: अभ्यास और नियंत्रण

अभ्यास से हर चीज को नियंत्रित किया जा सकता है।

भगवद गीता: सच्चा धर्म

सच्चा धर्म यह है कि जिन बातों को इंसान अपने लिए अच्छा नहीं समझता, उन्हें दूसरों के लिए भी इस्तेमाल ना करें।

भगवद गीता: विश्वास का प्रभाव

कोई भी इंसान अपने विश्वास से बनता है। वह जैसा विश्वास करता है, उसी के अनुसार बन जाता है।

भगवद गीता: भगवान का प्रेम

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, मेरे लिए सभी प्राणी एक जैसे हैं। ना तो कोई मुझे बहुत ज्यादा पसंद है, ना ही कम। लेकिन जो मेरी भक्ति पूरे मन से करते हैं, मैं हमेशा जरूरत पड़ने पर उनके काम आता हूं।

भगवद गीता: कर्म और सफलता

जो इंसान फल की इच्छा का त्याग कर सिर्फ कर्म पर ध्यान देता है, वह जरूर जीवन में सफल होता है।

भगवद गीता: महानता और प्रेम

कोई भी इंसान जन्म से नहीं, बल्कि अपने कर्मों से महान बनता है। अपना-पराया, छोटा-बड़ा, सबको प्यार करो, और सबका भला करने की कोशिश करो।

भगवद गीता: शक और विश्वास

शक करने वाले इंसान के लिए खुशी ना तो इस दुनिया में है, और ना ही कहीं और। इसलिए जो कर रहे हो, उसमें विश्वास करो। जिसमें विश्वास हो, उसी को करो।

भगवद गीता: क्रोध और लालच का त्याग

जो मन को काबू में नहीं करते, उनके लिए वह दुश्मन की तरह काम करता है।

भगवद गीता: कर्म का महत्व

अपने जरूरी कामों को पूरा करो, क्योंकि वास्तव में काम करना, कुछ ना करने से बेहतर होता है।

भगवद गीता: विश्वास और परिवर्तन

इंसान अपने विश्वास से बनता है। जैसा वह विश्वास करता है, वैसा वह बन जाता है।

भगवद गीता: नकारात्मक भावनाओं का त्याग

नर के तीन रास्ते हैं: वासना, गुस्सा, और लालच। लगातार कोशिश करने से अशांत मन को वश में किया जा सकता है।

भगवद गीता: जीवन और मृत्यु

पैदा होने वाले के लिए मरना उतना ही सच है जितना कि मरने वाले के लिए पैदा होना। इसलिए जो सच है, उसे पर गम मत करो, अपना और आगे बढ़ो।

भगवद गीता: बुद्धि और कर्म

बुद्धिमान इंसान को समाज कल्याण के लिए बिना लालच के काम करना चाहिए।

भगवद गीता: पूर्णता और शांति

जब आप अपने काम का आनंद लेने लगे, तो समझो आपने पूर्णता प्राप्त कर ली है। वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है, और मैं और मेरा की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है, उसे शांति प्राप्त होती है।

भगवद गीता: दोस्ती और दुश्मनी

सिर्फ मन ही किसी का दोस्त और किसी का दुश्मन होता है।

भगवद गीता: आत्मा का प्रेम

मैं सभी जीवन के दिल में रहता हूं। कोई भी इंसान जन्म से नहीं, बल्कि अपने कर्मों से महान बनता है।

भगवद गीता: सच्चा कर्म

बिना फल की कामना के कर्म करना, यही सच्चा कर्म।

भगवद गीता: बदलाव और संवाद

इंसान की जरूरत बदल जाती है, तब उसके बात करने का तरीका भी बदल जाता है। चुप रहने से बड़ा कोई जवाब नहीं, और माफ कर देने से बड़ी कोई सजा नहीं।

भगवद गीता: कर्म का फल

कोई भी अपने कर्म से भाग नहीं सकता। कर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता है। इसलिए अच्छे कर्म करो ताकि अच्छे फल मिलें।

भगवद गीता: खुशी और दुःख का संतुलन

ज्यादा खुश होने पर, और ज्यादा दुखी होने पर निर्णय नहीं लेना चाहिए। क्योंकि ये दोनों परिस्थितियां आपको सही निर्णय नहीं लेने देती हैं।

भगवद गीता: चिंता और विश्वास

जो होने वाला है, वह कर ही रहा है। जो नहीं होने वाला, वह कभी नहीं होता। जो ऐसा मानते हैं, उन्हें चिंता कभी नहीं सताती है।

भगवद गीता: सब्र और शक्ति

जिस इंसान के पास सब्र की ताकत है, उसकी ताकत का कोई मुकाबला नहीं कर सकता।

भगवद गीता: शरीर और आत्मा

ना तो यह शरीर तुम्हारा है, और ना ही तुम शरीर के मालिक हो। यह शरीर पंच तत्वों से बना है: आग, जल, वायु, पृथ्वी, और आकाश। एक दिन यह शरीर इन्हीं पंच तत्वों में मिल जाएगा। तुम्हारा सिर्फ कर्म है, इसलिए अच्छे कर्म करने पर ध्यान दें।

भगवद गीता: सही कर्म का उद्देश्य

सही कर्म वह नहीं है जिसके परिणाम हमेशा सही हों, बल्कि सही कर्म वह है जिसका उद्देश्य कभी भी गलत ना हो।

भगवद गीता: जीवन का सार

धरती पर जिस तरह से मौसम में बदलाव आता है, उसी तरह जीवन में भी सुख-दुःख आता जाता रहता है।

भगवद गीता: मानव कल्याण का महत्व

मानव कल्याण ही भागवत गीता का प्रमुख उद्देश्य है। इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्य का पालन करते समय मानव कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए।

भगवद गीता: आचरण और प्रेम

जो व्यवहार आपको दूसरों से अपने लिए पसंद ना हो, ऐसा व्यवहार आप दूसरों के साथ भी ना करें।

भगवद गीता: कर्म और फल

तुम फल की चिंता मत करो। अपना जरूरी काम करते रहो। मैं फल जरूर दूंगा।

भगवद गीता: समय का सदुपयोग

जो चीज तुम्हारे दायरे से बाहर है, उसमें समय गवाना मूर्खता है।

भगवद गीता: कर्म और फल का संतुलन

जिस तरह प्रकाश की ज्योति अंधेरे में चमकती है, ठीक उसी तरह पर चले। अच्छे कर्म करने के बावजूद भी कुछ लोग सिर्फ आपकी बुराइयां ही याद रखेंगे। इसलिए लोग कहते हैं, इस पर ध्यान ना दें और अपना कर्म करते रहें।

भगवद गीता: आत्मविश्वास और अहंकार

“मैं कर सकता हूं”, ऐसा सोचना आत्मविश्वास की निशानी है। “सिर्फ मैं ही कर सकता हूं”, यह सोचना घमंड है। आत्मविश्वास को अपने, घमंड को छोड़ें।

भगवद गीता: विश्वास और आशा

विश्वास रखो कि जो हुआ है, जो हो रहा है, जो भी अच्छा अकेला हो रहा है, और जो होगा, वह भी अच्छे के लिए होगा।

भगवद गीता: जीत और शांति

जिसने मन को जीत लिया है, उसने पहले ही परमात्मा को प्राप्त कर लिया है, क्योंकि उसने शांति प्राप्त कर ली है। ऐसे मनुष्य के लिए सुख-दुःख, सर्दी-गर्मी, और मान-अपमान, एक से हैं।

भगवद गीता: दान और निष्कामता

जो दान करते हुए समझकर, बिना किसी शक के, किसी जरूरतमंद इंसान को दिया जाए, वही सच्चा दान है।

भगवद गीता: जीवन का क्षणिक स्वरूप

जीवन ना तो भविष्य में है, ना ही अतीत में। जीवन तो बस इस पल में है।

भगवद गीता: जीवन का संघर्ष

जीवन का दूसरा नाम संघर्ष है।

भगवद गीता: योग और संयम

जो बहुत या कम खाता है, जो ज्यादा या कम सोता है, वह कभी भी योगी और मन नहीं बन सकता। इसलिए जितना जरूरी हो, उतना खाएं और जितना जरूरी हो, उतना ही सोएं, और कर्म करते रहें।

भगवद गीता: कर्म और फल

जिस तरह आंख सोने को पड़ाकती है, उसी तरह मुसीबत एक बहादुर इंसान को कर्म। वह फसल है जिसे हर इंसान को हर हाल में काटना ही पड़ता है। इसलिए हमेशा अच्छे बीज बोएं।

भगवद गीता: अहंकार का त्याग

अभिमान नहीं होना चाहिए कि मुझे किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। और यह भी नहीं होना चाहिए कि सबको मेरी जरूरत पड़ेगी।

भगवद गीता: सत्य का मार्ग

जैसे समुद्र के पास जाने के लिए पानी ही एकमात्र जरिया है, वैसे ही स्वर्ग में जाने के लिए सत्य ही एक सीढ़ी है।

भगवद गीता: समय का महत्व

समय जब पलटता है, तो सब कुछ पलट देता है। इसलिए अच्छे समय में घमंड ना करें, और बुरे वक्त में सब्र जरूर करें।

भगवद गीता: मन और परिवर्तन

इंसान का दिमाग ही सब कुछ है। जो सोचता है, वह बन जाता है। खुद से एक वादा करना, हमेशा यह जरूर समझना कि आप खुद कहां गलत हैं।

भगवद गीता: दोस्ती का महत्व

सच्ची दोस्ती दुःख को आधा और सुख को दो गुना कर देती है।

भगवद गीता: कर्म और शांति

कोई कुछ भी बोले, अपने काम के प्रति लगन के साथ खुद को शांत रखो। क्योंकि धूप कितनी ही तेज हो, समुद्र को सुखा नहीं सकती।

भगवद गीता: सब्र और संघर्ष

सब्र रखो क्योंकि जीवन में कभी-कभी शानदार परिणाम हासिल करने के लिए बुरे रातों से लड़ना भी जरूरी होता है।

भगवद गीता: आत्मा का अमरत्व

जो इंसान यह जानता है कि आत्मा हमेशा जीवित रहती है, वह कभी मरने से नहीं डरता, और हमेशा सच्चे मार्ग पर डटा रहता है।

भगवद गीता: बुराई का प्रभाव

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके आसपास कितनी बुराई है, जब तक कि वह बुराई आपके अंदर ना चली जाए।

भगवद गीता: समय का महत्व

आपके पास हमेशा समय होता है। यह सब हमारी प्राथमिकताओं का खेल है। कौन क्या कर रहा है, कैसे कर रहा है, और क्यों कर रहा है। इन सबसे आप जितना दूर रहेंगे, आप उतना ही खुश रहेंगे।

भगवद गीता: आत्मसम्मान और संबंध

समझदार इंसान जब संबंध निभाना बंद कर देता है, तो समझ लेना चाहिए कि उसके आत्मसम्मान को कहीं ना कहीं ठेस पहुंची है।

भगवद गीता: नकारात्मक भावनाओं का त्याग

घमंड, गुस्सा, और क्रोध, ये भी कर इंसान के तरीके हैं। इनका त्याग करना ही हमें अच्छा इंसान बनाता है।

भगवद गीता: इच्छा और कर्म

इस चीज के बारे में सोचते रहने से, इंसान उसकी तरफ आकर्षित होने लगता है। इससे उसमें उसे पाने की इच्छा बढ़ाने लगती है। इसलिए कर्म और परिवर्तन से जुड़े विचारों को ही सोचें।

भगवद गीता: मौन का महत्व

जितना हो सके खामोश रहना ही अच्छा है। क्योंकि सबसे ज्यादा गुनाह, इंसान से उसकी जुबान ही करवाती है।

भगवद गीता: कर्म और फल

अच्छी नियत से किया गया काम कभी भी खराब नहीं जाता, और उसका फल आपको जरूर मिलता है। इंसान नहीं, उसके कर्म अच्छे या बुरे होते हैं, और जैसे इंसान के कर्म होते हैं, उसे वैसे ही फल मिलते हैं।

भगवद गीता: संतुलित दृष्टिकोण

इस दुनिया में कोई भी पूरी तरह से सही नहीं है। इसलिए लोगों की अच्छाइयों को देखते हुए, उनके साथ अच्छे रिश्ते बनाएं।

भगवद गीता: समय का सदुपयोग

जब भविष्य साफ ना दिखे, तो अपने आज को बेहतर बनाने में लग जाएं।

भगवद गीता: मन की शक्ति

जब हमारा मन कमजोर होता है, तब परिस्थितियां समस्या बन जाती हैं, और जब हमारा मन कठोर होता है, तो परिस्थितियां चुनौती बन जाती हैं। जब हमारा मन मजबूत होता है, तो परिस्थितियां अवसर बन जाती हैं।

भगवद गीता: मानवता का महत्व

मनुष्य की मानवता उसी वक्त नष्ट हो जाती है, जब उसे दूसरों के दुःख पर हंसी आने लगती है।

भगवद गीता: शरीर और आत्मा का रिश्ता

शरीर में रहने वाले का कभी भी वक्त नहीं किया जा सकता। इसलिए तुम्हें किसी भी जीव के लिए शोक करने की जरूरत नहीं है।

भगवद गीता: जीवन और समय

समय यही सिखाता है कि जिंदगी किसी के इंतजार नहीं करती, और ना ही किसी के लिए रुक सकती है।

भगवद गीता: गलतियां और सीख

अगर आप अपनी गलतियों से कुछ सीखते हो, तो गलतियां सीढ़ियां बनती हैं। और अगर नहीं सीखते, तो गलतियां सागर हैं। फैसला आपका है, चढ़ना है या डूबना है।

भगवद गीता: शांति और बुद्धि

जो जितना शांत होता है, वह उतनी ही गहराई से अपनी बुद्धि का प्रयोग कर सकता है।

भगवद गीता: निंदा और लक्ष्य

निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को ना छोड़ें, क्योंकि लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की राय बदल जाती है।

भगवद गीता: सफलता और असफलता

सबसे समझदार इंसान वही है जो सफलता मिलने पर अहंकार में नहीं आता, और असफलता में गम में नहीं डूब जाता।

भगवद गीता: नकारात्मक विचारों का त्याग

नकारात्मक विचारों का आना तय है, लेकिन यह आप पर निर्भर करता है कि आप उन्हें महत्व देते हैं, या फिर अपने सकारात्मक विचारों पर ही ध्यान लगाए रखते हैं।

भगवद गीता: प्रेरणा और संघर्ष

हमेशा याद रखना, बेहतरीन दिनों के लिए बुरे दिनों से लड़ना पड़ता है। प्रेरणा का सबसे बड़ा सोर्स आपके अपने विचार हैं। इसलिए बड़ा सोचें, और खुद को जितने के लिए हमेशा प्रेरित करें।

भगवद गीता: बुद्धि और भावनाओं का संतुलन

जो लोग बुद्धि को छोड़कर भावनाओं में बह जाते हैं, उन्हें हर कोई मूर्ख बना सकता है।

भगवद गीता: समय का महत्व

वक्त से पहले मिली चीज अपना मूल्य खो देती है, और वक्त के बाद मिली चीज अपना महत्व। इसलिए समय की कद्र करें, और काम को समय पर करने की कोशिश करें।

भगवद गीता: इंद्रियों का नियंत्रण

जैसे जल में तैरती नाव को अगर सही दिशा में काबू ना किया जाए, तो तूफान उसे लक्ष्य से दूर ले जाता है। ठीक वैसे ही इंद्रियों पर काबू रखते हुए अगर उसे सही दिशा में नहीं लाएं, तो इंद्रियां सुखी इंसान को गलत रास्ते की तरफ ले जाती हैं।

भगवद गीता: विश्वास और शक

आपका विश्वास एक पहाड़ को भी हिला सकता है, लेकिन आपके मन का शक दूसरा पहाड़ खड़ा कर सकता है।

भगवद गीता: आत्मनिरीक्षण और परिवर्तन

अपनी परेशानियों के लिए दूसरों को दोष मत दीजिए, अपने मन को समझाएं। आपके मन का बदलाव ही आपके दुःखों का अंत है। खुद को कभी कमजोर ना समझें, अगर आप गिरते हैं तो उठने की कोशिश करें।

भगवद गीता: कर्म और त्याग

पूरी निष्ठा से अपना कर्म निभाएं, बाकी सब मचावे छोड़ दें। हो सकता है कि हर दिन अच्छा ना हो, लेकिन हर दिन में कुछ अच्छा जरूर होता है।

भगवद गीता: सेवा और आशा

रोना बंद करो, और अपनी तकलीफों से लड़ना सीखो। सेवा सबकी करो, मगर आशा किसी से मत करो। सेवा का सही फल मैं ही देता हूं।

भगवद गीता: एकान्त का महत्व

अकेले रहना तुम्हें यह भी सिखाता है कि वास्तव में तुम्हारे पास स्वयं के अलावा और कुछ भी नहीं है।

भगवद गीता: प्रेम और शक्ति

दो तरह के लोग इस दुनिया में स्वर्ग से भी ऊपर होते हैं: एक वह जो शक्तिशाली होकर भी माफ कर देते हैं, और दूसरे वह जो गरीब होकर भी कुछ दान करते हैं।

भगवद गीता: प्रेम का सार

प्यार शरीर या सुंदरता को देखकर नहीं होता, दिल से होता है। जहां दो दिल मिल जाएं, वहीं प्रेम जन्म लेता है।

भगवद गीता: व्यक्तिगत अनुभव

किसी भी इंसान को अच्छे से जानने से पहले, दूसरों की बातें सुनकर उसके बारे में कोई सोच बना लेना, यही मूर्खता है।

भगवद गीता: नई शुरुआत

जीवन में सब कुछ खत्म होने जैसा, कुछ भी नहीं है। हमेशा एक नई शुरुआत इंतजार कर रही होती है।

भगवद गीता: खुशी का मार्ग

जीवन में अगर खुश रहना है, तो ज्यादा ध्यान उसी चीज पर दें जो आपको खुशी देती है।

भगवद गीता: सहनशीलता और प्रेम

परेशानी में सब्र करना, खुशहाली में दया और दान, और संकट में सहनशीलता ही श्रेष्ठ इंसान की पहचान है।

भगवद गीता: सच्चा संवाद

जो इंसान साफ और सीधी बात करता है, उसकी बात कठोर जरूर होती है, लेकिन वह कभी भी किसी के साथ झूठ नहीं बोलता।

भगवद गीता: अच्छाई और बुराई

जो अच्छा लगे उसे ग्रहण करो, और जो बुरा लगे उसे त्याग दो। फिर वह विचार हो, कर्म हो, या मनुष्य, बुराई बड़ी हो या छोटी, हमारे विनाश का कारण बनती है, क्योंकि नाव में बड़ा पत्थर, नाव को डूबा ही देता है।

भगवद गीता: समय और परिवर्तन

आप वापस नहीं जा सकते, और शुरुआत को नहीं बदल सकते, लेकिन आप जहां हैं, वहीं से शुरू कर सकते हैं, और आने वाले समय को जरूर बदल सकते हैं।

भगवद गीता: आशा और मार्गदर्शन

जब उम्मीदें टूटने लगे, कोई रास्ता ना दिखाई दे, तो एक बार भागवत गीता जरूर पढ़ लें, ताकि भगवान आपको रास्ता दिखाएं।

भगवद गीता: कारण और परिणाम

जब तक आप अच्छा काम करते हैं, तब तक चिंता ना करें। जो भी होता है, उसे सबका एक कारण होता है। इसलिए परिणाम को ठीक करने के लिए कारण को ठीक करें।

भगवद गीता: मन की शक्ति

इंसान जैसा मानता है, वैसा ही वह है। मनुष्य अपने दिल से जो दान कर सकता है, वह अपने हाथों से नहीं कर सकता, और मौन रहकर वह जो कह सकता है, उसे शब्दों से नहीं कह सकता।

भगवद गीता: जीवन का क्षणिक स्वरूप

इस भौतिक संसार का सिर्फ एक ही अटल नियम है कि जो भी वस्तु जन्म लेती है, सिर्फ कुछ समय तक ही रहती है, उसके बाद उसका अंत होना निश्चित है, फिर चाहे वह मनुष्य का शरीर हो या फल।

भगवद गीता: चिंता का त्याग

हमारी व्यर्थ की चिंता मन कब है, एक ऐसा रोग होता है जिससे हमारी आत्मिक शक्ति बिखर जाती है।

भगवद गीता: नकारात्मक विचारों का प्रबंधन

हर मनुष्य के जीवन में नकारात्मक विचारों का आना निश्चित है, परंतु यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह उन विचारों को

भगवद गीता: समय और अनुभव

इंसान के जीवन में आने वाला बुरा समय, उसे आईने की तरह होता है, जो हमारी क्षमताओं का सही आभास हमसे करवाता है।

भगवद गीता: जीवन का सार

जो बीत गया, उसे पर दुख क्यों करना? जो है, उसपे अहंकार क्यों करना? और जो आने वाला है, उसका मुंह क्यों करना?

भगवद गीता: उपदेश और ज्ञान

तो दोस्तों, यह थे श्रीमद भागवत गीता के 111 अनमोल उपदेश, जिन्हें समझ कर, और अपनी जिंदगी में इम्प्लीमेंट करके, आप एक अच्छी जिंदगी की शुरुआत कर सकते हैं। एक विचार जिसने आपके दिल को छू लिया, उसे कमेंट करके हमें जरूर बताएं।

अगली वीडियो की घोषणा

और अगर आप भागवत गीता पर डिटेल वीडियो देखना चाहते हैं, जिसमें सभी 18 अध्याय को डिटेल में समझाया गया है, तो उसका लिंक डिस्क्रिप्शन में डाल दिया गया है। उसे जरूर देखें। और अगर पॉसिबल हो, तो भागवत गीता को जरूर पढ़ें। धन्यवाद!

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