15 ऐसे Assets जो आपको अमीर बनाएँगे: सफलता का मार्ग
किसी ने बिल्कुल ठीक ही कहा है कि अगर आप अडानी, अंबानी, बिल गेट्स, वॉरेन बफेट, और इनके जैसे कई अमीर लोगों से इनका सारा पैसा ले लें और आप जैसे दुनिया भर के हर एक इंसान में बराबर-बराबर बांट दें, फिर भी कुछ ही सालों के अंदर वह सारा पैसा इन सभी अमीर लोगों की जेब में वापस चला जाएगा, और आप फिर से वैसे ही बन जाओगे जैसे आज हो।
क्या आप जानते हैं इसके पीछे का सबसे बड़ा रीज़न क्या है?
द आंसर इज Assets.
रोबर्ट कियोसाकी कहते हैं कि एक ऐसा इंसान जिसके पास अपनी नॉर्मल इनकम से Assets बिल्ड करने की, या पैसिव इनकम अर्न करने की स्किल होती है, वही लाइफ में ग्रेट वेल्थ अचीव कर सकता है।
क्योंकि पैसिव इनकम देने वाले जितने ज़्यादा Assets आपके पास होंगे, आप उतने ही अमीर बनते जाओगे।
और ऐसे ही 15 Assets हैं जो अमीर को और ज़्यादा अमीर बना रहे हैं।
1. कैश (Cash):
आपके बैंक में पड़ा कैश आपको इंटरेस्ट दे रहा है। हाँ, वो बात अलग है कि वो 4-5% का इंटरेस्ट मार्केट इंफ्लेशन को बीट नहीं कर सकता, लेकिन कैश आज भी बहुत से लोगों की, बहुत सी कंपनीज की, और बहुत से इन्वेस्टर की टॉप प्रायोरिटी है।
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Reliance Industries जैसे कंपनियाँ खूब सारा कैश रखती हैं।
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हाल ही में वॉरेन बफेट ने अपनी 50% होल्डिंग्स को लिक्विडेट कर दिया है, और इस समय उनके पास 277 बिलियन डॉलर कैश रिजर्व है।
अमीर लोगों के पास कैश रखने के दो बड़े रीज़न हैं:
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इन्वेस्टमेंट के लिए तैयार रहना: अमीर लोगों का मानना होता है कि दुनिया अपॉर्चुनिटी का पिटारा है। इसलिए, जब भी कोई बेहतर इन्वेस्टमेंट आपके दरवाज़े पर आए, तो आप उस समय अपने कैश के साथ रेडी रहो।
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उच्च इंटरेस्ट रेट: कैश होने से आपको राइट टाइम और बेस्ट प्राइस में डील तो मिल ही जाती है, साथ ही अमीर लोग अपने पास रखा पैसा हाई इंटरेस्ट रेट पर भी देते हैं, जिससे उन्हें ईयरली एक्स फिक्स्ड इनकम आती रहती है।
इसलिए सक्सेस कब, कहाँ, कौन से दरवाज़े पर आ जाए, इसके लिए “Be Ready With The Cash”।
2. रियल स्टेट (Real Estate):
अब रियल स्टेट को सबसे बड़ा एसेट बोलने के पीछे मेरे दो रीज़न हैं:
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रेंट पेमेंट्स: हम में से किसे हर महीने एक फिक्स्ड इनकम अच्छी नहीं लगती? वो भी तब जब हमें उसके लिए आठ से 9 घंटे काम करना ना पड़े, दोस्त के ताने सुनने ना पड़े, और घर से निकले जाने का डर सताए। ये सब कुछ पॉसिबल है रियल स्टेट से। आजकल जिस हिसाब से टेक्नोलॉजी बदल रही है ना, उसी हिसाब से लोग भी बदल रहे हैं। आज की डेट में लोगों को घर सिर्फ़ रहने के लिए नहीं, बल्कि स्टूडियो खोलने के लिए, एजुकेशन सेंटर्स के लिए, पीजी रखने के लिए, और इवन छोटे बिज़नेस खोलने तक के लिए चाहिए होता है। तो ऐसे में अगर आप थोड़े स्मार्ट हो, तो ऐसी किसी प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करके आप मंथली अच्छा खासा अमाउंट अर्न कर सकते हो।
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एप्रिसिएशन: देखो जिस हिसाब से दुनिया की जनसंख्या बढ़ रही है ना, उसी हिसाब से रियल स्टेट मार्केट भी बढ़ता जा रहा है। क्योंकि जितने ज़्यादा लोग होंगे, उतना ज़्यादा उन्हें रहने के लिए घर चाहिए होगा। और क्योंकि इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है, इसलिए प्रॉपर्टी के प्राइस भी आसमान छू रहे हैं।
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इकोनॉमिक टाइम्स के आर्टिकल में आप देख ही सकते हैं कि बेंगलोर में प्रॉपर्टी के प्राइस में 10 से 15% तक का इंक्रीज हुआ है। दिल्ली में 12%, पुणे में 11%, और हैदराबाद में 13.5% तक का एनुअल इंक्रीज देखने को मिला है। यह दिखता है कि रियल स्टेट कितना वैल्युएबल एसेट हो सकता है।
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रियल स्टेट इन्वेस्टमेंट में आप इन्वेस्ट कर सकते हैं:
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ऑफिस बिल्डिंग: जिन्हें लोग काम करने के लिए आएँगे, और बदले में आपको रेंट देंगे।
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कमर्शियल बिल्डिंग: जहाँ पर बिज़नेस आकर अपने प्रोडक्ट्स और सर्विस को बेचेंगे, और आपको रेंट देंगे।
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लैंड: जिसमें आप फार्मिंग कर सकते हैं, कोई स्कूल या कॉलेज या बिल्डिंग बनवा सकते हैं। इवन लैंड खाली भी पड़ा रहे ना, तो उसकी वैल्यू हमेशा बढ़ती रहती है।
एक सबसे ज़रूरी बात जो आपको ध्यान रखनी है, वो ये है कि जिस घर में आप रहते हैं वो आपका एसेट नहीं है, क्योंकि उससे आपको कोई भी पैसा नहीं आ रहा है, बल्कि उसमें रहने के लिए आपको पैसा खर्च करना पड़ता है।
3. बॉन्ड्स (Bonds):
जब गवर्नमेंट्स और बिज़नेस को कैश इन्वेस्टमेंट की ज़रूरत होती है ना, तब वो इंटरेस्टेड इन्वेस्टर को बॉन्ड इशू करते हैं।
और इसी बॉन्ड के बदले, गवर्नमेंट और प्राइवेट कंपनियाँ अपने इन्वेस्टर को हर महीने एक सर्टेन अमाउंट पे करने का वादा करती हैं।
बॉन्ड में इन्वेस्ट करना किसी भी इन्वेस्टर के लिए एक सुपर सेफ इन्वेस्टमेंट साबित हो सकता है, क्योंकि ये डायरेक्ट गवर्नमेंट बैक्ड होते हैं।
बॉन्ड में इन्वेस्ट वो लोग करते हैं जिन्हें लॉन्ग टर्म में एक सिक्योर रिटर्न चाहिए होता है।
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बॉन्ड में आप यूज़ुअली मिनिमम ₹10,000 से इन्वेस्ट कर सकते हैं।
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गवर्नमेंट बॉन्ड आपको यूज़ुअली 6 से 8% तक का रिटर्न देते हैं।
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कॉरपोरेट बॉन्ड 8 से 12% तक का रिटर्न ऑफर करते हैं, लेकिन इनमें रिस्क थोड़ा ज़्यादा होता है गवर्नमेंट बॉन्ड से।
इसलिए हायर इंटरेस्ट देते हैं। इसके साथ कई सारे टैक्स सेविंग बॉन्ड भी होते हैं जिनमें आप इन्वेस्ट कर सकते हैं। जो आपको टैक्स बेनिफिट के साथ-साथ 5 से 6% का रिटर्न भी देंगे।
4. स्टॉक्स (Stocks):
दोस्तों, बढ़ती टेक्नोलॉजी और डेवलपमेंट ने इंडियन स्टॉक मार्केट को आज नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया है।
ऐसे में, स्टॉक्स आपके फाइनेंशियल फ्यूचर के लिए एक बहुत बड़ा इंपोर्टेंट रोल प्ले कर सकते हैं।
स्टॉक्स आपको अलाव करते हैं कि आप किसी भी पब्लिकली ट्रेडेड बिज़नेस का कुछ हिस्सा, या कुछ परसेंटेज, ऑन कर पाओ। और जैसे-जैसे वो बिज़नेस बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे आपकी इन्वेस्टमेंट भी इंक्रीज होती है।
स्टॉक्स में इन्वेस्ट करने के दो फायदे भी हैं:
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डिविडेंड: कई कंपनियाँ अपने प्रॉफिट का कुछ हिस्सा हमेशा स्टॉक इन्वेस्टर को देती हैं, जो कि एक फिक्स्ड इनकम का बहुत अच्छा सोर्स है।
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स्टॉक एप्रिसिएशन: बढ़ती और ग्रोइंग कंपनियों में इन्वेस्ट करना स्टॉक मार्केट में सबसे बड़ा बोल्ड मूव माना जाता है, क्योंकि ये मूव आपके लगाए ₹10,000 को ₹1 लाख, ₹5 लाख, और कभी-कभी ₹50 लाख भी बना सकता है।
5. म्यूचुअल फंड और इंडेक्स फंड (Mutual Funds and Index Funds):
स्टॉक्स के बाद आते हैं म्यूचुअल फंड और इंडेक्स फंड।
इंडेक्स फंड: ऐसे फंड जो देश की टॉप 50 और टॉप 30 कंपनियों में पैसा लगाते हैं। सेंसेक्स और निफ्टी 50 इंडेक्स इंडिया के दो मेजर इंडेक्सेस हैं।
अपनी वेल्थ को इंक्रीज करने के लिए, हर इंसान चाहता है कि वो देश की बेस्ट कंपनियों में पैसा इन्वेस्ट करें, और इंडेक्स फंड इसका सबसे बेहतर ऑप्शन हो सकता है।
रिच माइंडसेट वाले लोग इस बात को अच्छे से जानते हैं कि अपने काम के साथ-साथ अगर कोई चीज हमें अमीर बना सकती है, तो वो है अदर्स पीपल टाइम यानी पैसा आपका, मुनाफा भी आपका, लेकिन मेहनत दूसरों की।
इसलिए इंडेक्स फंड में आप मंथली SIP के ज़रिए एक फिक्स्ड अमाउंट इन्वेस्ट करके अपने लिए एक अच्छा खासा कॉर्पस डेवलप कर सकते हैं।
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SIP कैलकुलेटर में आप देख सकते हैं कि अगर आपकी सैलरी ₹25,000 है, जिसमें से आप हर महीने ₹6,000 इंडेक्स फंड में इन्वेस्ट कर रहे हो, तो आप देख ही सकते हैं कि 13% एनुअल रिटर्न की मदद से, 25 साल बाद ₹1 करोड़ 36 लाख आपके पास जमा हो चुके होंगे।
सो स्टार्ट SIP Now!
और अगर आपके पास डीमैट अकाउंट नहीं है, तो फ़्री में डीमैट अकाउंट ओपन करने का लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में फर्स्ट कमेंट में मिल जाएगा।
आगे अभी 10 एसेट और मैं आपको बताने वाला हूँ, जिनके बारे में आपको पूरे इंटरनेट पर शायद किसी ने बताया होगा।
तो जल्दी से इस वीडियो को लाइक करें, ताकि मुझे भी पता लगे कि आपको ये वीडियो पसंद आ रहा है।
तो चलिए आगे बढ़ते हैं।
6. इक्विपमेंट्स (Equipments):
अगर आपके पास कोई इक्विपमेंट है, कोई ऐसी चीज है जो दूसरों का काम आसान कर सके, तो उसे रेंट पर देकर आप अपने लिए एक पैसिव इनकम सोर्स बिल्ड कर सकते हैं।
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डीएसएलआर कैमरा: जिसे आप यूज़ ही नहीं करते।
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म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट: जो पड़ा-पड़ा खाली धूल खा रहा है। इसे किसी क्लब या इंस्टीट्यूट में देकर मंथली रेंट रिसीव कर सकते हैं।
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एक्स्ट्रा कार या बाइक: जैसी चीजों को आप OLA के प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए रेंट आउट करके आप मंथली अच्छा खासा अमाउंट अर्न कर सकते हैं, वो भी बिना कुछ किए।
7. पेटेंट्स (Patents):
पेटेंट एक बहुत ही अंडररेटेड और अमेजिंग एसेट है।
जिन लोगों को नहीं पता, उन्हें बता दूँ कि जब भी आप कोई नया इन्वेंशन करते हो, या यूनिक प्रोडक्ट लाते हो, तो उसके लिए आप पेटेंट फ़ाइल कर सकते हो।
यह एक तरह का डॉक्यूमेंट होता है जो बताता है कि आप इसके राइटफुल इन्वेंटर हो।
और जैसे कोई कंपनी या एंटिटी आपका वो इन्वेंशन या प्रोडक्ट यूज़ करती है, तो उसे आपको पैसा पे करना पड़ेगा, अदरवाइज़ आप उन पर केस कर सकते हो।
बिजनेस की दुनिया में पेटेंट एक बहुत ही इंपोर्टेंट रोल प्ले करता है।
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1995 में कैलाश काटकर ने एक टेक्नोलॉजी बनाई जो एक एंटीवायरस था, जो उनके कंप्यूटर सिस्टम को वायरस फ्री कर पाया। उन्हें लगा ये टेक्नोलॉजी काफी अच्छी है, तो इसका पेटेंट फ़ाइल करवा लेना चाहिए।
और जब लोगों को एंटीवायरस की ज़रूरत लगी, तो उनके दिमाग में आया सिर्फ़ एक ही नाम: Quick Heal, जो आज की डेट में 2000 करोड़ की कंपनी बन चुकी है।
ये दिखाता है कि आज की डेट में पेटेंट कितना वैल्युएबल एसेट है।
8. ट्रेडमार्क्स (Trademarks):
जैसे पेटेंट आपके इन्वेंशन को प्रोटेक्ट करता है, ठीक उसी तरह ट्रेडमार्क आपके सिंबल्स, वर्ड्स, और फ्रेजस को प्रोटेक्ट करता है।
आज की इस कंपटीशन बिजनेस की दुनिया में, स्कैम्स और फ्रॉड के चान्सेस भी सेम रेट पे इंक्रीज हो रहे हैं। ऐसे में, हमारे लिए बहुत ज़रूरी हो जाता है कि हमें अपने ब्रांड को, अपने लोगों को प्रोटेक्ट करने के लिए ट्रेडमार्क का सही यूज़ करना है।
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द टेस्ट ऑफ इंडिया – Amul ने ये कैच फ्रेज ट्रेडमार्क करवा रखा है। और इसी कैच फ्रेज की मदद से Amul ने काफी फाइनेंशियल गेन भी हासिल किया है।
और ऐसा कोई भी दूसरा ब्रांड अगर सेम कैच फ्रेज यूज़ करता है, तो उसे Amul को एक हैवी अमाउंट पे करना होगा।
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टाटा ग्रुप ने भी अपने लोगो का ट्रेडमार्क करवा रखा है। टाटा ग्रुप भी अपने ट्रेडमार्क का यूज़ करने के लिए हैवी लाइसेंस की फ़ीज़ भी चार्ज कर चुका है।
9. ब्रांड और गुडविल (Brand and Goodwill):
ब्रांड और गुडविल वैसे तो दो अलग-अलग टर्म्स हैं, पर दोनों ही किसी भी बिज़नेस या इंडिविजुअल के लिए बहुत ही इंपोर्टेंट एसेट हैं।
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ब्रांड: एक तरह का एफर्ट है जिसे कंपनी खूब सारा पैसा और टाइम देकर बिल्ड करती है, ताकि जब कोई कस्टमर उसे कंज्यूम करे, उसे यूज़ करें, तो उसके मन में एक इंप्रेशन बन सके कि वह भी प्रीमियम चीजें यूज़ कर सकता है।
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गुडविल: एक तरह की इमेज है जो तब बनती है जब आप कस्टमर को राइट वे में ट्रीट करते हो।
दोनों ही चीजें आपस में कहीं ना कहीं इंटरलिंक्ड हैं, और ऐसे कई एग्जांपल हैं जहाँ सिर्फ़ एक अच्छी गुडविल की वजह से, कई कंपनियाँ बैंकरप्सी से बची हैं।
वहीं, कई ऐसी कंपनियाँ हैं जो सिर्फ़ अच्छी ब्रांडिंग के दम पर ही स्केल करती चली जा रही हैं।
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MRF को ही ले लो। आज से 15 साल पहले MRF को एक तगड़ी ब्रांड नहीं था। और आज सिर्फ़ एक ही इंसान है जो उनके लिए ऐड्स करता है, उनके ब्रांड को प्रमोट करता है, और उस इंसान ने मानो बीते 10 सालों में MRF की दुनियाई बदल दी है। कमेंट करके बताओ मैं किसकी बात कर रहा हूं?
10. लोग (People):
अगला और सबसे बड़ा एसेट है लोग। हम में से अक्सर लोग और बिज़नेसेस अपने एम्प्लॉयज़ की और अपने आसपास के लोगों की वैल्यू नहीं समझ पाते, और उनकी कमी हमें तब महसूस होती है जब वे चले जाते हैं।
देखो, एक बात हमेशा याद रखना, ये ब्रांड वैल्यू, ये गुडविल, सब बनते कंपनी के नाम पर हैं, और इससे फायदा भी कंपनी को ही होता है, पर इसे बनाने वाला एक एम्प्लॉई होता है।
वो लोग ही होते हैं जो पहली दिन से ब्रेनस्टॉर्मिंग करके, फंड्स इकट्ठा करके, टेस्ट रन करके एक प्रोडक्ट को लॉन्च करते हैं, वो लोग ही होते हैं जो एक कंपनी को सक्सेसफुल बनाते हैं, जो किसी इंसान को सक्सेसफुल बनने में मदद करते हैं।
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आपको क्या लगता है कि Apple का इतना सक्सेसफुल होने का कारण क्या है? वो हैं उनके एम्प्लॉयज़, और उनकी टीम!
कोई भी बड़े से बड़ा इंसान देख लो, उसने अकेला अपना बिज़नेस बिल्ड नहीं किया है। उसकी सक्सेस के पीछे का रीज़न है उसके आसपास के अच्छे लोग।
So, Find The Right People Who Can Be A Valuable Asset For You.
11. रॉ मटेरियल और कमोडिटीज (Raw Materials and Commodities):
देखो, लाइफ में कई बार ऐसी सिचुएशन आ जाती है जब हमें लगता है कि पैसा ही सब कुछ नहीं होता।
ज़िंदा रहने के लिए, अच्छी लाइफस्टाइल जीने के लिए, हमें कमोडिटीज की भी ज़रूरत होती है।
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COVID वाले टाइम का एग्जांपल देख लो। लोगों ने ₹100 देकर भी सैनिटाइज़र और मास्क खरीदे। ₹2,00,000 किलो टमाटर भी परचेस किए।
क्यों? क्योंकि कहीं ना कहीं कमोडिटीज की वैल्यू कैश से ज़्यादा है, और अमीर लोग इस बात को भली-भांति समझते हैं। इसलिए वे गोल्ड, एलुमिनियम, स्टील, ऑयल जैसी कमोडिटीज में खूब हैवली पैसा इन्वेस्ट करते हैं।
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रोबर्ट कियोसाकी खुद भी कमोडिटीज को ज़्यादा प्रेफ़र करते हैं, एज कंपेयर टू कैश।
गोल्ड इन सब में एक ऐसी प्रेशियस कमोडिटी है जो आपकी लाइफ को बहुत हद तक आसान बना सकती है।
इसलिए करंट सिनेरियो में बाकी चीजों के साथ-साथ, कमोडिटीज में इन्वेस्ट करना एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।
12. बुक्स, सॉन्ग्स, डिजिटल कोर्सेस, इन्फॉर्मेशन, और कंटेंट (Books, Songs, Digital Courses, Information and Content):
आजकल डिजिटल दुनिया का ज़माना है। हर कोई अपने मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन से चिपका रहता है।
ऐसे में डिजिटल एसेट्स जैसे कि डॉक्यूमेंट, ऑडियो बुक्स, वीडियो, डिजिटल कोर्सेस, सॉन्ग्स, और एप्स आपके लिए एक वैल्युएबल एसेट साबित हो सकते हैं।
आज की डेट में इंफॉर्मेशन का ओवरलोड है। सबके पास काफी रॉ डाटा और रॉ नॉलेज है। ऐसे में, अगर आप कोई बुक लिखते हो, कोई ब्लॉग पोस्ट लिखते हो, तो बस आपको राइट मार्केटिंग टूल ढूँढकर काम पर लग जाना है, और मैक्सिमम ऑडियंस को रीच आउट करना है।
और एक भी प्रोडक्ट चला ना, तो आपका ब्रांड नेम बिल्ड होने में समय नहीं लगेगा।
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सॉन्ग्स और कंटेंट के केस में ये चीज और भी ज़्यादा स्केलेबल है। इसके लिए आप King का एग्जांपल ही देख लो। उनका एक गाना बहुत ही पॉपुलर हुआ – “मान मेरी जान”, जो इतना तगड़ा निकला कि उसने YouTube पर 2 मिलियन से भी ज़्यादा व्यूज़ हासिल कर लिए हैं।
और इतना ही नहीं, इसके बाद King को इतने शोज और इतने इवेंट्स मिले, जिसने उसके इस गाने को इम्मोर्टल बना दिया। साथ में Nick Jonas को ये गाना इतना अच्छा लगा कि उन्होंने अपने चैनल पर King के साथ ये गाना दोबारा रीक्रिएट किया।
सो, आपका आर्ट और आपकी डेडीकेशन भी एक वैल्युएबल एसेट साबित हो सकता है, और यही आपको पैसा कमा के दे सकती है इन फॉर्म ऑफ़:
13. रॉयल्टीज (Royalties):
चलो, आपके लिए रॉयल्टीज को सिंपल भाषा में एक्सप्लेन करता हूँ।
मान लो आपने कोई बुक लिखी है, जो अपने टाइम की बेस्ट सेलर चली गई। अब उस बुक के राइट्स कोई मूवी स्टूडियो खरीदना चाहता है, ताकि वो उससे कोई शो बना सके। तो इसके बदले में आपको टोटल कलेक्शन का कुछ हिस्सा मिलेगा।
और उससे आगे, जितनी चीजें होंगी, जैसे कि मर्चेंडाइज, कोई प्रोडक्ट, उसका टोटल रेवेन्यू का भी कुछ हिस्सा आपको हमेशा मिलता रहेगा।
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रॉयल्टीज में एक टर्म होता है “सिंडिकेशन”। जब कोई टीवी शो बहुत बड़ा हो जाता है ना, और मल्टीपल ब्रॉडकास्टर उनके राइट्स खरीद लेते हैं, तो जितनी बार वो शो रन किया जाता है, उतनी बार एक्टर्स और राइटर को पैसा मिलता है।
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फ्रेंड्स, जिसने अपनी मैसिव सक्सेस के बाद खूब नाम कमाया, उनके एक्टर्स को आज भी 10 से 20 मिलियन डॉलर पर ईयर पे किया जाता है, एज ए रॉयल्टी।
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रॉयल्टी की वजह से ही जॉर्ज आरआर मार्टिन, जिन्होंने गेम ऑफ थ्रोन्स लिखी, जेके रोलिंग, जिन्होंने हैरी पॉटर लिखी, ऐसे लोग मिलनियर बन पाए।
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14. यूनिक राइट्स (Unique Rights):
अब ये एसेट मेंशन करने के पीछे मेरा मानना यह है कि इंडिया में कुछ स्पेसिफ़िक प्लेसेस के लोगों के पास एक कंपटीशन एडवांटेज है, जिसे हम जियोग्राफ़िक इंडिकेशन या जीआई भी बोल सकते हैं।
और ये जीआई आपके लिए बहुत बड़ा एसेट साबित हो सकता है। जीआई एक तरह का अधिकार है जो एक स्पेसिफ़िक रीजन के लोगों को दिया जाता है ताकि वह अपने जियोग्राफ़िक लोकेशन पर ऑथेंटिक और यूनिक प्रोडक्ट क्रिएट कर सकें।
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उदाहरण: दार्जिलिंग की टी प्रोडक्शन। वेस्ट बंगाल के पास दार्जिलिंग में उगने वाली चाय को एक यूनिक फ्लेवर और अरोमा का दर्जा मिला है। ऐसा माना जाता है कि दार्जिलिंग के यूनिक क्लाइमेट और सोइल कंडीशन की वजह से, ऐसी चाय पूरे इंडिया में कहीं नहीं उग सकती।
और इसी यूनिक राइट्स की वजह से दार्जिलिंग टी आज की डेट में 300 से 400 करोड़ का एनुअल टर्नओवर जनरेट कर पा रही है।
15. फर्स्ट मूवर एडवांटेज, प्रोपराइटरी बिज़नेस मॉडल (First Mover Advantage, Proprietary Business Model):
फर्स्ट मूवर एडवांटेज का मतलब है जब आप न्यू टेक्नोलॉजी और स्किल का यूज़ करके कोई नया इनोवेशन करते हो, और उससे बिज़नेस बिल्ड करते हो, तो आप उस बिज़नेस के सोल ओनर कहलाते हो।
और आपके पास होती है “फर्स्ट मूवर एडवांटेज”. बाकी बताए सभी एसेट में एक चीज जो सबसे ज़्यादा स्केलेबल है, जो आपको जल्दी से जल्दी फाइनेंशियल फ्रीडम की राह पर ले जा सकती है, वो है बिजनेस.
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न्यू बिज़नेस मॉडल हमेशा आपको एक कम्पटीशन की लॉयल्टी लोगों के मन में हमेशा रह जाती है।
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Ola का बिज़नेस मॉडल ही देख लो। Ola के ओनर्स ने देखा कि इंडिया में टैक्सी इंडस्ट्री में बहुत ज़्यादा सैचुरेशन है। लोगों को टैक्सी लेने के लिए दूर-दूर जाना पड़ता है, जिसमें बहुत टाइम वेस्ट होता है। साथ ही, टैक्सी ड्राइवर की ये दिक्कत थी कि जब वो एक सवारी लेकर जाया करते थे, तो उन्हें वापसी में कोई ग्राहक नहीं मिलता था। इसलिए, वो एक ही कस्टमर से आना-जाना दोनों चार्ज कर लिया करते थे।
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Ola ने इस गैप को खत्म किया, और एक ऐसी टेक्नोलॉजी बनाई जिसने उन्हें आज तक फर्स्ट मूवर एडवांटेज दिया हुआ है।
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Zerodha ने भी ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग के लिए लोगों को जागरूक किया, और देश में इन्वेस्टिंग कल्चर चेंज किया।
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ठीक इसी तरह, आप भी नए-नए टेक्नोलॉजी और AI का यूज़ करके अपने लिए एक ऐसा बिज़नेस बिल्ड कर सकते हैं जो आपको फर्स्ट मूवर एडवांटेज दे, और आपके लॉन्ग टर्म फ्यूचर के लिए भी एक पैसिव इनकम सोर्स बिल्ड कर सके।
सो दोस्तों, ये थे वो 15 Assets। आई होप कि आपको ये वीडियो पसंद आया होगा।
वीडियो पसंद आया हो तो वीडियो को लाइक करें, और चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले।
इन 15 Assets में से कौन सा एसेट आपको पसंद आया है? कमेंट करके ज़रूर बताएँ।
तो मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में। तब तक के लिए, जय हिंद!