5 टिप्स जो पढ़ाई करते समय नींद आने से बचाएंगे 🔥 स्टूडेंट्स के लिए एग्जाम टिप्स
परिचय
ऐसा आपके साथ कितनी बार हुआ है कि आप सुबह उठे हो, लेकिन उठने के बाद बहुत ज़्यादा थकान महसूस हो रही है, बहुत ज़्यादा लेज़ी फील हो रहा है? होता है ना ऐसा? इसके साथ-साथ, ऐसा भी कितनी बार हुआ है कि आप सुबह उठने की कोशिश तो करते हो, मेहनत तो करते हो, सोचते हो कि सुबह जल्दी उठेंगे, लेकिन आपकी नींद ही नहीं खुल पाती?
इसके साथ-साथ, जब हम पढ़ने जाते हैं, तो कितनी बार पढ़ते समय हमें नींद आने लगती है? ये जो समस्या है ना, आज के समय पर बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है।
तो आखिर इसके सॉल्यूशंस क्या हैं? चलिए आज जानते हैं वैदिक साइंस की मदद से इन सारी समस्याओं के हल।
चाहे पढ़ाई कितनी भी इंटरेस्टिंग क्यों न हो, लेकिन नींद तो आती ही है। ज़्यादातर स्टूडेंट्स पढ़ाई करते समय नींद महसूस करते हैं। लेकिन हमारे आयुर्वेद ने इस चीज़ को बहुत ही पहले बता रखा था।
वैदिक साइंस के अनुसार नींद आने की समस्या का समाधान
नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम प्रशांत है, मैं हज़ारों स्टूडेंट्स का मेंटर हूँ।
देखो, ये जो समस्याएँ हैं, कि आप नींद से उठते हो, बहुत ज़्यादा थकान महसूस होती है, कुछ भी काम करने का मन नहीं करता, उसके साथ-साथ हम कितने प्लान बनाते हैं ना, सोचते हैं ना कि डेली ये करेंगे, वो करेंगे, सुबह कल से जल्दी उठेंगे, लेकिन सुबह तो नींद ही नहीं खुल पाती। उसके साथ-साथ जैसे ही पढ़ने जाते हो, कितनी ज़्यादा नींद आने लगती है, आलस आने लगता है। लेज़ीनेस है ना?
वैदिक साइंस के अनुसार ये सारी समस्याएँ पता है क्यों आती हैं?
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गलत तरीके से सोना और गलत समय पर सोना।
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आपकी डेली लाइफस्टाइल।
एक सिंपल सा एग्जांपल देता हूँ।
याद करो जब आप बिल्कुल छोटे थे, जब आपको स्कूल जाना होता था, आप एकदम छोटे बच्चे थे, जब आप पहली-दूसरी क्लास में थे, आपको स्कूल जाना होता था।
याद करो वो समय। उस समय पर जब आप सुबह उठते थे, तो आप कितनी अच्छी तरीके से फ्रेश होकर उठते थे? क्या उस समय पर आपको थकान महसूस होती थी? नहीं होती थी, है ना?
क्यों?
क्योंकि जब हम छोटे थे, तो हमारी जो लाइफस्टाइल था ना, वो बहुत अच्छा था। हमारे पास मोबाइल फोन नहीं रहता था, जिस वजह से क्या होता है? जब हम सुबह उठते थे, तो बहुत ज़्यादा एनर्जी के साथ उठते थे।
लेकिन अब हो क्या गया है?
क्योंकि हम एक तो गलत समय पर सो रहे हैं, उसके साथ-साथ मोबाइल फोन का यूज़ कर रहे हैं, जिस वजह से हो क्या गया है कि हमारी जो एनर्जी है ना, वो सारी यहाँ निकल जाती है, और जब हम सुबह उठते हैं, तो बहुत ज़्यादा थकान महसूस होती है।
अब ये समस्या तो आप सबको पता है, लेकिन आज हम वैदिक सॉल्यूशंस जानेंगे, वैदिक साइंस की मदद से।
5 वैदिक सॉल्यूशंस
पांच सॉल्यूशन हैं, और देखो सबसे पहला सॉल्यूशन, वो सबसे ज़रूरी सॉल्यूशन है।
तरीका 1: डेली रूटीन (Daily Routine)
एक बार एक रिसर्च की गई थी। दो लोग थे, दोनों एक जैसे थे, दोनों दो स्टूडेंट्स ही थे।
एक स्टूडेंट को बोला गया कि यार तुम ना एक रूटीन को फॉलो करो, तुम क्या करो कि यार 8-10 घंटे सो, डेली तुम 10 घंटे सो, लेकिन अलग-अलग समय पर सो। कभी तुम रात को 10:00 बजे सो जाओ, कभी 11:00 बजे, कभी 1:00 बजे, कभी 2:00 बजे, कभी 3:00 बजे, कभी 4:00 बजे। एक महीने तक अलग-अलग समय पर सो, लेकिन सोने तुम्हें 10 घंटे हैं।
और दूसरे स्टूडेंट को बुलाया गया, वो भी जैसा ही था, और उसको जाकर बोला कि यार तुम बस 7 घंटे सो, केवल 7 घंटे हर रोज, लेकिन एक ही समय पर सो। 10:00 बजे हर रोज आपको नींद लेने चले जाना है, और केवल 7 घंटे बाद उठ जाना है। मतलब, एक का रूटीन फिक्स कर दिया, और एक का रूटीन फिक्स नहीं करा। एक को बोला कि कभी भी जाकर सो।
अब पता है जब रिजल्ट आया, एक महीने बाद, तो आप सुनकर शॉक हो जाओगे। क्योंकि जो स्टूडेंट अलग-अलग समय पर सो रहा था, उसकी ब्रेन पावर कम हो गई, उसका कंसंट्रेशन लेवल कम हो गया। जबकि जो स्टूडेंट कम सो रहा था, केवल 7 घंटे सो रहा था, लेकिन एक ही समय पर सो रहा था, हर रोज एक डेली शेड्यूल को फॉलो कर रहा था, उसकी ब्रेन पावर बढ़ गई, उसकी कंसंट्रेशन पावर बढ़ गई। अब वो जब पढ़ने जाता था, तो उसे आलस नहीं आता था। अब जब वो सुबह उठता था, तो उसकी नींद ऐसे नहीं खुलती थी कि थकान महसूस हो रही है। नहीं, उसके पास बहुत ज़्यादा एनर्जी होती थी।
तो यही हमारा पहला पॉइंट है जो वैदिक साइंस के अनुसार प्रूवन पॉइंट है।
डेली रूटीन बनाना पड़ेगा।
वैदिक साइंस भी बोलती है कि पुराने ज़माने में सबका एक ही टाइम होता था। 5:00 बजे उठ रहे हैं, 6:00 बजे उठ रहे हैं। अब आज के समय पर हम 4:00 बजे तो नहीं उठ सकते, लेकिन एक टाइम बना लो सोने का। 10:00 बजे सो गए, 9:00 बजे सो गए, 11:00 बजे सो गए, 12:00 बजे सो गए, चाहे कुछ भी हो, लेकिन हर रोज एक ही समय पर आपको नींद लेने जाना है।
अगर डेली रूटीन बना लोगे, तो क्या होगा? आपकी बॉडी की जो क्लॉक है, जो बॉडी की साइकिल है, वो एकदम फिक्स्ड हो जाएगी। फिर आप देखना एक महीने बाद ऑटोमेटिक आपके अंदर एनर्जी आने लगेगी। जब सुबह उठोगे, तो आप एकदम एनर्जी के साथ उठोगे।
ट्राई करके देखो।
अभी कमेंट करके मुझे बताना कि आप आज से कितने बजे सोना शुरू करने वाले हो? 10:00 बजे, 9:00 बजे, 11:00 बजे, 12:00 बजे, कुछ भी, लेकिन एक फिक्स्ड टाइम बना लो, और उस टाइम को कमेंट कर दो ताकि आपको याद रहे कि इस समय पर मुझे सोना है, एक महीने के लिए।
तरीका 2: 5 सेकंड रूल (5 Second Rule)
ये रूल एक वैदिक ट्रिक है, जो यह बोलती है कि जिंदगी के जितने भी ज़रूरी डिसीजन हैं, वो आपको 5 सेकंड के अंदर लेने पड़ेंगे। अगर आप 5 सेकंड से ज़्यादा टाइम लगाते हो, तो ये जो आपका दिमाग है ना, ये आप पर हावी हो जाता है।
एग्जांपल:
मान लीजिए आपने सोचा कि यार, आज तो मैंने बिल्कुल बेकार तरीके से पढ़ाई करी। कल से पढ़ाई करूँगा, कल से पढ़ाई करूंगी। और आपने सुबह अलार्म लगा दिया, सुबह 6:00 बजे का। अब आप सो गए, सुबह अलार्म बजा।
जैसे ही आपका अलार्म बजा, आपकी आँख खुली, और आपने मोबाइल देखा कि 6:00 बज गए हैं।
अब आपको 5 सेकंड के अंदर डिसीजन लेना है। 5 सेकंड के अंदर आपको अलार्म को बंद करके अपने बेड से खड़े हो जाना है।
अगर आपने 5 सेकंड से ज़्यादा लगा दिए, अगर आपने ये सोचा कि यार थोड़ी देर और है ना, अभी उठूँ या ना उठूँ, थोड़ी देर सो लेता हूँ, 5 मिनट सो लेता हूँ, 10 मिनट सो लेता हूँ, तो आपका दिमाग आप पर हावी हो जाएगा, और वो आपसे बोलेगा कि “अरे, छोड़ यार, इतना ज़रूरी भी नहीं है, थोड़ी देर बाद उठ लेंगे।”
और आपको भी पता है वो थोड़ी देर बाद कब, वो 2-3-4 घंटों में बदल जाता है, पता भी नहीं चलता। फिर आपकी नींद डायरेक्ट ही 9-10 बजे खुलती है।
तो इस वजह से याद रखना, वैदिक साइंस क्या बोलती है? 5 सेकंड रूल!
जितने भी ज़रूरी डिसीजन हैं, सुबह उठना है, फटाफट से 5 सेकंड के अंदर डिसीजन लो।
“ठीक है यार, उठ जाओ.”
5 सेकंड से ज़्यादा टाइम लगाया, तो मैं बता रहा हूँ ये दिमाग आपके ऊपर हावी हो जाएगा।
याद रखना 5 सेकंड रूल, और इसको भी फॉलो करना।
तरीका 3: ब्लड सर्कुलेशन ट्रिक (Blood Circulation Trick)
ये वैदिक साइंस नहीं, नॉर्मल साइंस भी बोलती है कि जिसकी बॉडी में जितना ज़्यादा खून का फ्लो होगा, जितना ज़्यादा ब्लड का फ्लो होगा, वो उतना ज़्यादा एनर्जेटिक होगा। और जिसकी बॉडी में जितना कम ब्लड फ्लो होगा, वो उतना ज़्यादा लेज़ी होगा।
ये तो हमारी साइंस भी बोलती है, जो मॉडर्न साइंस है वो भी बोलती है कि जिसका हीमोग्लोबिन कम होता है, वो बहुत ज़्यादा लेज़ी फील करता है।
अब देखो, होता है ना कि आप पढ़ने जा रहे हो, और कभी-कभी हमारे साथ ऐसा होता है ना कि यार, हमें नींद आने लगती है बार-बार। हमें ऐसा लगने लगता है कि यार बहुत नींद आ रही है, जाकर सो देता हूँ, आधे घंटे सो जाता हूँ, दो घंटे सो जाता हूँ।
तो इसका सॉल्यूशन क्या है?
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ब्लड सर्कुलेशन एक्सरसाइज़:
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कानों को दबाएँ: जब भी आपको नींद आए, जब भी आप पढ़ रहे हों और आपको लग रहा हो कि यार नींद आ रही है, तो अपने कानों को ऐसे पिंच करें, ऐसे दबाएँ। यहां से, यहां से, यहां से। अभी एक बार ट्राई करो मेरे साथ।
आपको लग रहा होगा ना कि कान थोड़े से गर्म हो गए।
इसका क्या मतलब है?
यहां से अब ब्लड सर्कुलेशन आएगा, और ब्लड आपके ब्रेन की तरफ जाएगा, जिससे कि आपका ब्रेन एक्टिव हो जाएगा।
तो जब भी आपको नींद आ रही हो, तो ऐसे करना।
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खड़े होकर मूव करें: खड़े हो जाओ टेबल से, और थोड़ा बहुत मूव करो, मूव करो। बॉडी मूव करेगी, तो ब्लड फ्लो बढ़ेगा। ब्लड फ्लो बढ़ेगा, तो नींद खत्म हो जाएगी।
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लिखते रहें: जब आप पढ़ने बैठ रहे हैं, मान लीजिए आप लाइब्रेरी में बैठते हैं, तो आप खड़े तो नहीं सकते। बैठकर पढ़ाई करनी है। तो आप एक नोटबुक लो, और जो भी लेक्चर देख रहे हो, तो उस नोटबुक में कुछ भी लिखते रहो।
जब हम लिखते हैं, तो हमारा हाथ चलता है। जब हमारा हाथ चलता है, तो मसल्स मूव होते हैं। मसल्स मूव होते हैं, तो ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है।
तो जो ब्लड सर्कुलेशन है, ये वैदिक साइंस की एक ऐसी टेक्निक है जिससे आपकी नींद भाग सकती है।
तो जब भी नींद आए, इन एक्सरसाइज़ को कर लेना। नींद भाग जाएगी।
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तरीका 4: कम खाएँ, ज़्यादा बार खाएँ (Eat Less, More Often)
एक आपको साइन समझाता हूँ, इसके पीछे की साइंस मैं आपको बता देता हूँ।
मान लीजिए आप गए, और आपने बहुत सारा खाना खा लिया। पिज़्ज़ा, बर्गर, सब खा लिया। अब आपका खाना सारा पेट के अंदर है, और आप सोचते हो कि ठीक है, खाना खा लिया, अब मैं पढ़ने जाऊँगा, पढ़ने जाऊंगी।
अब आप पढ़ने बैठोगे, 10 मिनट के अंदर-अंदर आपको नींद आने लगेगी।
होता है ना?
इसके पीछे की साइंस ये है कि जब हम बहुत ज़्यादा खाना खा लेते हैं, तो हमारी बॉडी का सारा ऑक्सीजन जाता है उस खाने को डाइजेस्ट करने में।
इमेजिन करो, आपके ब्रेन से ऑक्सीजन पेट के अंदर चला गया। अब जब ऑक्सीजन ही कम हो गया आपकी बॉडी के अंदर, तो क्या आप कंसंट्रेशन से पढ़ पाओगे? नहीं, आपको नींद आएगी।
तो वो जो हमारे बड़े बुजुर्ग बोलते थे ना, पुराने टाइम पे, कि खाना खाते ही पढ़ने मत जाना, बोलते थे ना, ये पता है क्यों बोलते थे? उन्हें पता थी ये साइंस, उन्हें ये वैदिक साइंस पता थी कि जब हम खाना खाएँगे, तो सारा ऑक्सीजन जाएगा उस खाने को डाइजेस्ट करने में, और हम पढ़ाई नहीं कर पाएँगे, हमें नींद आएगी।
तो इस वजह से अब करना क्या है?
समाधान:
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कम खाएँ, ज़्यादा बार खाएँ: अगर आप दो टाइम खाना खाते हैं, तो चार टाइम खाना शुरू करो। सुबह खाओ, फिर लंच करो, लंच दो बार कर लो, फिर डिनर करो, लेकिन कम-कम खाना खाओ।
उससे क्या होगा? कम खाना खाया, पढ़ने बैठ गए, नींद नहीं आएगी। अगर खाना कम होता है, तो ऑक्सीजन भी कम जाएगा। ऑक्सीजन कम जाएगा, तो एनर्जी रहेगी।
तो अब ये याद रखना कि बहुत ज़्यादा खाना खाकर पढ़ाई करने मत बैठ जाना।
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थोड़ा वॉक करें: अगर आप ज़्यादा खाना खाते हैं, तो थोड़ा बहुत वॉक कर लिया करो, उसके बाद पढ़ने जाया करो, ताकि थोड़ा बहुत खाना डाइजेस्ट हो जाए, उसके बाद आपका दिमाग चले। वरना दिमाग नहीं चलेगा, नींद ही आएगी।
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तरीका 5: अँधेरे में मत पढ़ें (Dark Environment)
ये वैदिक साइंस में प्रूवन है कि हमारी जो आँखें होती हैं ना, आँखों में कुछ रिसेप्टर्स होते हैं, मतलब कुछ सेंसरी ऑर्गन्स होते हैं।
हमारी आँखें जो है ना, वो बहुत ज़रूरी चीज़ है। हमारी आँखों के पास एक ऐसी पावर है।
जैसे ही सूरज की रोशनी आती है, हमारी आँखों को पता चल गया कि सूरज की रोशनी है। तो हमारी आँखें दिमाग को सिग्नल भेजती हैं कि भाई, दिन हो गया, दिन हो गया, दिमाग जी, थोड़ा सा एनर्जेटिक हो जाओ, थोड़ी एनर्जी ले आओ।
तो आपका दिमाग एनर्जेटिक हो जाता है, और आपकी लेज़ीनेस की तरफ सिग्नल भेजती हैं कि भाई अब रेस्ट करने का टाइम आ गया।
तो लेज़ीनेस की समस्या तब आती है जब आप किसी ऐसे कमरे में पढ़ रहे हैं जिसमें लाइट ही नहीं है, कम लाइट वाले कमरे में पढ़ रहे हैं।
जब आप एक कम लाइट वाले कमरे में पढ़ते हैं, तो आपकी आँखों को ये लगता है कि यार रात हो गई, रात हो गई। भाई लाइट इतनी कम है।
अब जब उसे लग रहा है कि रात हो गई, तो वो सिग्नल क्या भेजेगी आँख दिमाग के ऊपर?
“भाई, रात हो गई है, थोड़ा बहुत लेज़ी हो जाओ।”
जिस वजह से आपको नींद आती है।
तो इस वजह से याद रखना, अँधेरे में मत पढ़ो। ऐसे कमरे में मत पढ़ो जिसमें बहुत कम रोशनी है। ट्राई करो तो जहाँ पे सूरज की रोशनी आती है, वहाँ पढ़ो। वरना एक ऐसे कमरे में पढ़ो जिसमें बहुत अच्छी लाइट हो। कम लाइट वाले कमरे में तो पढ़ना ही नहीं है।
अगर आपके कमरे में लाइट कम है, तो एक लाइट और लगवा लो। मैं बता रहा हूँ, ट्राई करके देखना, नींद नहीं आएगी।
तरीका 6: मोटिवेशनल संगीत सुनें
ये मेरी पर्सनल टिप है, जो मैं फॉलो करता था जब मैं अपने एग्जाम की तैयारी करता था, और मुझे नींद आती थी।
मैं क्या करता था? मैं मोटिवेशनल सॉन्ग सुनता था। मेरे एक-दो फेवरेट गाने थे, तो मैं उनको सुनता था। और मोटिवेशनल सॉन्ग थे, तो बहुत ज़्यादा हाई वॉल्यूम पर सुनता था।
अचानक से मेरे पास एनर्जी आ जाती थी, फिर मैं आराम से एक-दो घंटे पढ़ लेता था।
तो जब भी आपको नींद फील हो रही है, लेज़ीनेस फील हो रहा है, तो जो गाना आपको बहुत पसंद है, उसको सुनो। एनर्जी आएगी।
फिर एनर्जी का यूज़ करके पढ़ो।
निष्कर्ष
ये जो पांच वैदिक टिप्स हैं ना, इनको यूज़ करना।
मैं सच बता रहा हूँ, अगर आपने इनको सही में यूज़ करा, तो एक महीने के अंदर ये नींद वाली समस्या खत्म हो जाएगी।
शुक्रिया, मेरा नाम प्रशांत है। इस वीडियो को अपने एक दोस्त के साथ ज़रूर शेयर कर देना, ताकि उसकी भी मदद हो पाए।
टेक केयर, बाय बाय.