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Kolkata Doctor Case: संजय राय पर पॉलीग्राफ टेस्ट का दबाव, क्या है पूरा मामला?

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कोलकाता डॉक्टर केस: सनसनीखेज खुलासा और संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट

कोलकाता डॉक्टर केस, सनसनीखेज केस, खुलासा: संजय रॉय ने रोते-रोते पॉलीग्राफ टेस्ट को कर दिया फेल। इसकी उम्मीद नहीं थी कि संजय रॉय ऐसा कर देगा। जब पहली बार उसे पकड़ा गया था पुलिस के द्वारा, जब उसका ब्लूटूथ नेक बैंड क्राइम सीन पर मिला था, उस वक्त उसने सब कुछ कबूल लिया था कि उसी ने किया है सारा गलत काम जो किया है और उसी ने हत्या की है डॉक्टर बेटी की। लेकिन जब कोर्ट, मजिस्ट्रेट, और यह सारी चीजें शुरू हुईं, तो वहां पर जब यह पहुंचा संजय रॉय, तो इसने साफ यू-टर्न मार लिया, और यह कह दिया कि मैं पूरी तरीके से बेकसूर हूं, और मैं तैयार हूं आपको जो टेस्ट लेना है, लाई डिटेक्टर टेस्ट लेना है, पॉलीग्राफ टेस्ट लेना है, मैं तैयार हूं। मैं वह टेस्ट लेना चाहता हूं ताकि मैं अपनी मासूमियत और मैं अपनी बेगुनाही सबके सामने पेश कर दूं, मेरे साथ बेहद गलत हुआ है।

पॉलीग्राफ टेस्ट: संजय रॉय के बयानों की पड़ताल

और उसके बाद यह टेस्ट करवाया गया। दोस्तों, जब टेस्ट हुआ, तो साफ-साफ जब उसे सवाल पूछा गया कि क्या तुम गंदी फिल्में देखते हो? क्या तुमने उस रात हॉस्पिटल में पहुंचे थे? आपने तो साफ-साफ उसने कह दिया, हां मैं हॉस्पिटल वहां पहुंचा था, पर जब मैं सेमिनार हॉल पहुंचा, तो मुझे वहां पर डॉक्टर बेटी की लाश नजर आई, मैं घबरा गया, मैं सदमे में था, और मैं वहां से भाग खड़ा हुआ। अब जब यह पॉलीग्राफ टेस्ट लिया गया, तो आपको हमने पिछले वीडियो में भी बताया था कि पॉलीग्राफ टेस्ट में रेस्पिरेशन रेट, हार्ट बीट, और दूसरे कई पैरामीटर्स होते हैं, नॉन वर्बल साइंस जो कि एक कॉन्वेक्स दिखाता है, एक आरोपी दिखाता है। जब वह झूठ बोलता है, तो झूठ को या सच को जब दबा-दबाता होता है, जब सच को दबाता है, तो उसकी बॉडी सिग्नल्स देती है, और उन्हें पकड़ करके सारा कुछ सामने आ जाता है।

पॉलीग्राफ टेस्ट के नतीजे और सुप्रीम कोर्ट का फैसला

कुल मिलाकर पॉलीग्राफ टेस्ट में पता चल जाता है कि सामने वाला सच बोल रहा है या झूठ, झूठ बोलने के कितने प्रतिशत चांसेस हैं, और सच बोलने के कितने प्रतिशत चांसेस हैं। और उस पॉलीग्राफ टेस्ट में बाकायदा यह इंगित हो गया कि हो ना हो, यह व्यक्ति जो बोल रहा है, संजय रॉय, यह झूठ बोल रहा है। अब आपको बताते हैं कि यह इसका वर्डिक्ट था। आपने अब तक वह वाला साइट सुना था जिसमें पुलिस ने अपनी सारी चीजें बताई थीं, टाइमलाइन डिस्कस की थी, सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी थी। और सुप्रीम कोर्ट ने फिर जबरदस्त लताड़ लगाई थी जो पुलिस जो थी, वहां की, कोलकाता की, उसके ऊपर कि आपने इतनी ज्यादा बद-इंतजाम कैसे कर ली? इतनी ज्यादा आपने मिसमैनेजमेंट कैसे कर दिया?

डीएनए सैंपल, संजय रॉय के दावे और सबूत

देखिए दोस्तों, यह जो वर्जन सामने लेकर आया संजय रॉय, इसके बाद चीजें थोड़ी सी कॉम्प्लेक्स जरूर हुई हैं। लेकिन चूंकि डीएनए सैंपल मिले हैं, वह 150 ग्राम वाला झूठ जो फैलाया जा रहा है, वह कंप्लीटली गलत है। वह इंटरनल ऑर्गन्स थे जो कि फीमेल बॉडी के होते हैं, उसका वजन 150 ग्राम बताया जा रहा है, किसी प्रकार का फ्लूइड नहीं मिला है 150 ग्राम क्वांटिटी का। यह आपको कंफर्म करते हैं। लेकिन जो जख्म के निशान मिल रहे हैं, डॉक्टर बेटी के नाखूनों के अंदर, जो थोड़ा सा स्किन और उसका जो स्क्रैच किया था जब संजय रॉय को, डेफिनेटली तब यह हुआ होगा कि डॉक्टर बेटी के नाखूनों में संजय रॉय का डीएनए सैंपल्स मिला है। क्योंकि डेफिनेटली झूमा-झटकी वहां पर हुई होगी। संजय रॉय का कहना है, संजय रॉय का कहना है कि जब सेमिनार हॉल में वह अंदर एंटर हुआ, तो सामने लाश पड़ी थी।

संजय रॉय और डॉक्टर बेटी के बीच झड़प

लेकिन एविडेंस कुछ और कहते हैं। एविडेंस यह कहते हैं कि दोनों के बीच में थोड़ी सी झूमा-झटकी हुई थी, और डेफिनेटली इसने जो है आवाज दबाने की कोशिश की थी, बेहोश किया था डॉक्टर बेटी को। उसके साथ फिर गलत काम किया और उस दौरान भी वह जाग गई थी, होश में आ गई थी, तो फिर उसने उसकी हत्या कर दी और उसके बाद जो भी किया, वह संजय रॉय ही जानता है कि उसने क्या किया। दोस्तों, पॉलीग्राफ टेस्ट ने तो जो बताना था, वह बता दिया, और संजय रॉय अभी भी मेन कन्विंसेस यह हैं कि उसी को सजा होगी।

संदिग्धता, षड्यंत्र और प्रिंसिपल की भूमिका

लेकिन यहां पर जो टाइमलाइन सामने आई है, उसको लेकर के काफी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। पहले यह कहा जा रहा था कि एक व्यक्ति का काम नहीं हो सकता, इसमें हो सकता है प्रिंसिपल का भी हाथ हो। प्रिंसिपल ने उस वहां भेजा हो क्योंकि कोई राज जानती हो डॉक्टर बेटी और इस तमाम तरीके की कंस्पिरेशन थ्योरी बताई जा रही थी, वह पूरी तरीके से तभी क्लैरिफाई हो पाएगी जब संदीप घोष, डॉक्टर संदीप घोष, जो कि प्रिंसिपल हैं आरजी का हॉस्पिटल के, थे मतलब प्रिंसिपल अब तो एक्स हो गए, तो उनका पॉलीग्राफ टेस्ट आज हो रहा है।

प्रिंसिपल का पॉलीग्राफ टेस्ट और संजय रॉय की संभावित सजा

उसके नतीजे जब आएंगे, तब वह पता चलेगा। पर चांसेस उसके बेहद कम हैं। यहां पर संजय रॉय सामने कन्विक्ट साफ नजर आ रहा है, और सबसे बड़ी बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने जबरदस्त यहां पर जो है, कोलकाता पुलिस को काफी आड़े हाथों लिया। क्योंकि देखिए, 9:30 बजे, 9 अगस्त को, पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी, जो है फर्स्ट ईयर स्टूडेंट, उसने डिस्कवर किया था बॉडी को। 9:30 बजे यह लिखा हुआ है, पुलिस के रिकॉर्ड में, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने टाइमलाइन मांगी थी कि आपके पास क्या, कब-कब दर्ज हुआ, हमें बताइए, जिससे कि सुप्रीम कोर्ट यह कंफर्म कर सके, कहीं यहां पर पुलिस का इवॉल्वमेंट तो नहीं है, कहीं पुलिस जो असल कॉन्विक्ट बचाने की कोशिश तो नहीं कर रही।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां और पुलिस की भूमिका

जिस प्रकार से कंस्पिरेशन थ्योरी चल रही थी कि ममता बनर्जी का प्रेशर है, और उसके चलते पुलिस जो है, वह किसी को बचाने की कोशिश कर रही है, और बचाने की कोशिश जिसको कर रही है, वह हो सकता है कि संदीप घोष, डॉक्टर, जो कि एक्स-प्रिंसिपल रह चुका है आरजी का। तो यह सारी बातें चल रही थीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आप सारे दस्तावेज हमारे सामने प्रस्तुत कीजिए, जो आपके सामने हुआ, तब कोलकाता पुलिस ने अपने सारे टाइमलाइन, सारे दस्तावेज वहां प्रस्तुत किए। और उसके बाद जो सच्चाई निकल कर सामने आई, उसके बाद आज आंदोलन हो रहा है दोस्तों, कोलकाता में। बहुत बड़ा आंदोलन हो रहा है, नबन्ना अभियान, नबन्ना अभियान के नाम से हो रहा है। नबन्ना मिशन, इसके बारे में आपको आगे बताएंगे वीडियो में, लेकिन पहले टाइमलाइन को समझिए।

कोलकाता डॉक्टर केस: टाइमलाइन और घटनाक्रम

9:30 बजे सुबह, 9 अगस्त को, पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी, फर्स्ट ईयर स्टूडेंट, देखता है, पहली बार, सेमिनार हॉल के अंदर जूनियर डॉक्टर, डॉक्टर बेटी के शव को। हड़बड़ा जाता है। 10:01 पर सुबह, हॉस्पिटल का जो पुलिस आउटपोस्ट, जो पुलिस चौकी होती है, हॉस्पिटल के पास जो थी चौकी, उसको इन्फॉर्म किया जाता है। 10:30 बजे, सीनियर पुलिस ऑफिसर क्राइम सीन में पहुंचते हैं। अब जब क्राइम सीन में पहुंचे थे, तो वहां उन्हें फॉरेंसिक वालों को लेकर आना था और डॉग स्क्वाड को लेकर आना था। लेकिन होता क्या है? 10:30 बजे सीनियर पुलिस ऑफिसर पहुंचते हैं, 10:52 को, 10:52 पर जो है, असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट, जो हॉस्पिटल का था, वह कॉल करता है डॉक्टर बेटी की फैमिली को, और यह बताता है कि आपकी बेटी की तबीयत ठीक नहीं है।

पुलिस की कार्रवाई में गड़बड़ी और सुप्रीम कोर्ट का रवैया

यह नहीं बताता कि उनकी मृत्यु हो चुकी है। अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है। जो वहां पर इंफॉर्मेशन दी गई है, तो वहां पर डेड है कि अलाइव है, यह तक नहीं बताया गया है। चौकी में जो इंफॉर्मेशन पहुंची थी, 10:01 मिनट में, आपको बता दें, 10:05 पे जो हॉस्पिटल अथॉरिटी है, असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट हॉस्पिटल का, वह फोन लगाता है परिवार को, डॉक्टर बेटी के, कि आपकी बेटी की तबीयत ठीक नहीं है। 11:00 बजे के अराउंड, फॉरेंसिक टीम आती है, बिना डॉग स्क्वाड के। और 12:02 पर बॉडी को क्राइम सीन में जो भी सिचुएशन हुआ है, उस हिसाब में उसको रिकॉर्ड किया जाता है, 3डी मैपिंग वगैरह की जाती है, एविडेंस की फोटो वगैरह खींच ली जाती है। 12:04 पे, ऑन ड्यूटी डॉक्टर ऑफिशियल डिक्लेयर करते हैं डेथ।

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सुप्रीम कोर्ट की आलोचना और कोलकाता पुलिस की भूमिका

तो 9:30 बजे बॉडी मिली और 12:04 मिनट पर उसको डिक्लेयर किया जा रहा है डेथ। तो अब आप समझ लीजिए, यहां पर पुलिस ने कितनी बड़ी गलती की। और जब टाइमलाइन सुप्रीम कोर्ट ने मांगी, तब उन्होंने हड़काया, कोलकाता पुलिस को। आगे सुनिए, 3 घंटे तक के बॉडी वहीं ऐसे ही पड़ी थी। जब, जब से हो चुका था, 3 घंटे जो है, पूरा टाइम बीत चुका था, 9:30 बजे से लेकर के 12:44 तक, तब जाकर उसको डेड घोषित किया गया। 1:00 बजे, डॉक्टर के पेरेंट्स, यानी कि डॉक्टर बेटी के पेरेंट्स, वहां हॉस्पिटल पहुंचते हैं। 10 मिनट तो उनको वेट कराया जाता है, और उसके बाद उन्हें सेमिनार हॉल में ले जाया जाता है और दिखाया जाता है कि क्या हुआ।

घटनाक्रम का विवरण और पुलिस की लापरवाही

कैसा बीता होगा माता-पिता के ऊपर, जरा सोच के देखिए। 1:04 पे, दोपहर में मेडिकल सर्टिफिकेट इशू किया जाता है, इंजरी वगैरह डॉक्यूमेंट की जाती है। 3:00 बजे, फैमिली रिक्वेस्ट करती है कि पोस्टमॉर्टम होना चाहिए, और जुडिशियल सुपरविजन में होना चाहिए। जुडिशियल जो वहां पर जो कोर्ट की तरफ से कोई होना चाहिए, वहां मौजूद, और वीडियोग्राफी होनी चाहिए और तब उसके सामने होना चाहिए ताकि सारा जो कुछ हुआ है, क्राइम, उसकी सारी चीजें रिकॉर्ड हो। पोस्टमॉर्टम में क्या निकला, वह भी रिकॉर्ड करवाया जाता है। 3:00 बजे के तकरीबन, 4:01 में जुडिशियल मजिस्ट्रेट हॉस्पिटल पहुंचते हैं।

पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया, डॉग स्क्वाड और घटनास्थल का निरीक्षण

4:02 से 4:04 के अंदर, पोस्टमॉर्टम जो है कंडक्ट कराने वाले पैनल के तीन डॉक्टर वहां पहुंचते हैं। प्रोसीजर चलता है। 6:00 बजे से लेकर 7:01 तक के, पोस्टमॉर्टम का प्रोसेस चलता है, और उसके बाद मजिस्ट्रेट और फैमिली मेंबर वहां प्रेजेंट रहते हैं। 8:00 बजे, डॉग स्क्वाड पहुंचता है क्राइम सीन में। अब आप सोचिए, फॉरेंसिक टीम पहुंच चुकी थी पहले, 12:00 बजे के अराउंड, और यहां पर डॉग स्क्वाड जो है, वह 8:00 बजे रात के पहुंचता है। इस बीच, एक वीडियो भी वायरल हो रही है जिसमें क्राइम सीन में कुछ लॉयर्स खड़े हुए नजर आ रहे हैं, जो कि आरजी का, और हॉस्पिटल के लिए जो लॉयर का काम करते हैं, वह वहां खड़े नजर आ रहे हैं, संदीप घोष के करीब। उनको बताया जा रहा है, यह जो वीडियो है, यह इंटरनेट पर काफी चल रही है, वायरल बताया जा रहा है, और यह कहा जा रहा है कि क्राइम सीन में क्योंकि डॉक्टर संदीप घोष के नजदीकी लॉयर मौजूद थे, तो वह क्राइम सीन में टेंपरिंग कर सकते हैं।

घटनास्थल का निरीक्षण, एफआईआर और विरोध प्रदर्शन

पर यह जो वीडियो है, कितनी सत्यापित की जाए, हम कह नहीं सकते। और इसके बारे में अभी और बातें, और चीजें बाहर आनी जरूरी है, आएंगी। लेकिन आपको बता दें, 8:00 बजे डॉग स्क्वाड आता है, तब जाकर क्राइम सीन की होती है। 8:30 बजे से 8:52 पर 3डी मैपिंग की जाती है, क्राइम सीन की, और 11:04 पर जो डॉक्टर बेटी हैं, उनके पिताजी को जो है, वह जाते हैं, ताला पुलिस स्टेशन में। और वहां जाकर वह एफआईआर दर्ज कराते हैं। रात के 11:45 में एफआईआर दर्ज हो रही है। 9:30 बजे सुबह जो है वह बॉडी मिली, 3 घंटे बाद उसे डेथ डिक्लेयर किया गया है, और यह सारा कुछ प्रोसेस हुआ, और कोलकाता पुलिस ने यह सारी चीज में इतने लूप होल छोड़े कि क्राइम सीन में वाकई में कुछ ना कुछ टेंपरिंग हो सकती थी।

कोलकाता पुलिस पर सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई और छात्रों का विरोध

हुई ना हुई, वह अलग बात है, लेकिन चांसेस इतने छोड़े गए कि वहां पर टेंपरिंग हो जाए। इसको लेकर के सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता पुलिस को काफी ज्यादा आड़े हाथों लिया है, और आज नबन्ना अभियान नाम से एक बहुत बड़ा स्टूडेंट प्रोटेस्ट, नबन्ना बिल्डिंग की तरफ जाने वाले हैं सारे स्टूडेंट मिलकर के, हजारों की तादाद में स्टूडेंट वहां होंगे। आपको बता दें, इसके लिए बाकायदा ममता सरकार ने 3000 से 6000 पुलिस कर्मियों को लगाया कि वह नबन्ना ऑफिस तक ना पहुंच सके। अब नबन्ना का अर्थ होता है न्यू स्टेट, बंगाली शब्द है।

नबन्ना अभियान और सरकार का कड़ा सुरक्षा बंदोबस्त

अब यह प्रोटेस्ट जो है, नबन्ना, यह क्योंकि वह नबन्ना जो बिल्डिंग है, वहां पर ममता बनर्जी का ऑफिस है, सीएम ममता बनर्जी का, बंगाल की, और बाकी जो भी उनके कार्यालय चलते हैं, उनकी मिनिस्ट्री के, वह सब वहीं पर हैं। अब वहां पर अगर स्टूडेंट पहुंच जाते हैं, तो वहां अफरा-तफरी मत जाएगी, इसलिए जो है 3000 से 6000 पुलिस कर्मी लगा दिए गए हैं कोलकाता के अंदर। और सबसे बड़ी बात यह है कि कई सारे, दर्जनों कमिश्नर वहां लगा दिए गए हैं। इस प्रकार की सिचुएशन की खबर वहां से निकल कर सामने आ रही है। अभी अभियान भी चल रहा है, प्रोटेस्ट भी चल रहा है।

कोलकाता पुलिस की लापरवाही और न्याय की मांग

एक हिसाब से वहां पर स्टूडेंट्स का प्रोटेस्ट चल रहा है, और यहां पर चीजें फंसती नजर आ रही हैं सिस्टम के अंदर, और कोलकाता पुलिस का जो डीले किया गया, उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। कुल मिलाकर देखा जाए, तो इस वक्त जितनी जल्दी हो सके, जो गुनाहगार है, उसको सजा मिल जानी चाहिए। अगर नहीं होगा यह, तो पूरे देश में यह चीज एक संदेश जाएगा कि बड़ा से बड़ा जघन्य अपराध भी हो जाए और उसके लिए पूरे देश भर से आवाज भी उठ जाए, तो भी आरोपी जो है, उसको बड़े आराम से सजा मिलती है। देश के अंदर यह नियम-कायदे इस प्रकार से बने हैं कि जो गुनाहगार है, उसको सजा लेट से मिलती है। यह संदेश नहीं जाना चाहिए।

न्याय की अपील और वीडियो शेयर करने का आग्रह

अभी जरूरत है, जो गुनाहगार है, उसको तुरंत सजा दे दी जाए। ताकि कोई ऐसा आगे भविष्य में देश की बेटियों के साथ ना करें। इस पर आपकी क्या राय है, नीचे कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताएं। जितना हो सके, इस वीडियो को शेयर करें। धन्यवाद।

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