पुरुष मंगल ग्रह से हैं, महिलाएं शुक्र ग्रह से हैं: जॉन ग्रे की किताब का सारांश
परिचय
“पुरुष मंगल ग्रह से हैं, महिलाएं शुक्र ग्रह से हैं” पुस्तक में जॉन ग्रे पुरुषों और महिलाओं के बीच मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और मानसिक अंतरों को विस्तार से बताते हैं। ये अंतर अक्सर रिश्तों में तनाव का कारण बनते हैं, जिससे रिश्ता कमजोर हो सकता है और अंततः टूट भी सकता है। चाहे रिश्ता कितना ही पुराना क्यों न हो, या शुरुआत कितनी ही बेहतरीन क्यों न हो, अगर रिश्तों में खटास आ जाती है, तो दूरियां बढ़ने लगती हैं।
ग्रे बताते हैं कि वर्षों तक इस विषय पर शोध करने के बाद, उन्होंने इस किताब को लिखा है। इन वर्षों में उन्होंने अपनी शादीशुदा जिंदगी में आने वाली कई बाधाओं को पार किया है। ग्रे ने खुद एक घटना का उदाहरण दिया है, जहाँ उनके ऑफिस में एक बहुत ही बुरा दिन गुज़रा था। थके हुए और गुस्से में घर पहुँचने पर, उनकी पत्नी ने अपनी सारी परेशानियों का बखान शुरू कर दिया। एक हफ़्ते पहले ही उनकी बेटी हुई थी, और पत्नी दर्द निवारक गोलियों के खत्म होने से बहुत परेशान थी। ग्रे का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया जिससे वह घर से बाहर चले गए। उनकी पत्नी ने उन्हें मनाने की कोशिश की, उनका हाथ थामा, और ग्रे को लगा जैसे कोई टेंशन में है।
ग्रे ने गहन अध्ययन, अवलोकन और शोध के बाद अपनी इस किताब को दुनिया के सामने रखा। वे गर्व से कह सकते हैं कि इस किताब ने हजारों कपल्स की जिंदगी बदल दी है, जो कड़वाहट भरी शादीशुदा जिंदगी जी रहे थे। इस किताब को पढ़ने के बाद वे खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
मंगल और शुक्र ग्रह से पृथ्वी पर
कल्पना कीजिए कि पहले महिलाएं शुक्र ग्रह पर रहती थीं, और पुरुष मंगल ग्रह पर। मंगल ग्रहवासी दूरबीन से शुक्र ग्रह पर रहने वाली महिलाओं को देखते थे। उन्होंने एक अंतरिक्ष यान बनाया और शुक्र ग्रह गए। शुक्र ग्रहवासियों ने मंगल ग्रहवासियों का दिल खोलकर स्वागत किया। फिर दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे, एक-दूसरे की पसंद-नापसंद समझने लगे और एक-दूसरे के बीच के अंतरों को समझने लगे।
तभी उनका ध्यान एक खूबसूरत चीज़ पर गया। उन्होंने फैसला किया कि वे दोनों ज्यादा समय साथ बिताएँ। फिर मंगल और शुक्र ग्रहवासी, यानी पुरुष और महिला, अंतरिक्ष यान में बैठकर पृथ्वी पर आ गए। पृथ्वी की हवा का उन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि दोनों की याददाश्त चली गई। उन्होंने एक-दूसरे के बारे में जो भी जाना और सीखा था, वह सब भूल गए। यहाँ तक कि वे ये भी भूल गए कि वे किस ग्रह से आए हैं।
जब तक पुरुष और महिला एक-दूसरे के बीच के अंतरों को नहीं समझेंगे, तब तक उनके रिश्तों में लड़ाई होती रहेगी। हम चाहते हैं कि हमारे साथी हमारे जैसे ही हों, जैसे हम रिएक्ट करते हैं, बिहेव करते हैं, वैसे ही वे भी करें। हम पुरुष और महिलाओं के बीच के अंतरों को नहीं समझते, जबकि ये अंतर नॉर्मल और नेचुरल हैं। हम अपने पार्टनर से डिमांड करते हैं, उनका परीक्षण करते हैं, और फिर निराश होते हैं। यहाँ तक कि हम उन पर गुस्सा भी करते हैं, लेकिन उन्हें समझने के लिए समय नहीं देते। अगर पुरुष और महिला एक-दूसरे के बीच के अंतरों को सम्मान दें, स्वीकार करें, तो उनके बीच के झगड़े खत्म हो जाएँगे, और उनके बीच बहुत ज़्यादा प्यार बढ़ेगा।
पुरुष और महिलाओं की अलग-अलग भाषाएँ
इस अंतर को समझने के लिए, जॉन ग्रे ने “पुरुष मंगल ग्रह से हैं, महिलाएं शुक्र ग्रह से हैं” किताब में 15 चैप्टर दिए हैं।
पुरुष और महिलाएं एक-दूसरे से बहुत अलग हैं। ये अंतर स्पष्ट करते हैं कि हमारा अपोजिट हमारे जैसे नहीं हो सकता, क्योंकि हम एक-दूसरे से अलग हैं। जब महिलाएं अपनी समस्याओं के बारे में बात करती हैं, तो पुरुष उन्हें बदलने की कोशिश करते हैं या समाधान ढूंढने लगते हैं, ताकि उनकी पार्टनर फिर से खुश हो जाएँ। इस तरह पुरुष अपना प्यार और प्रभाव दिखाते हैं, लेकिन वे ये नहीं समझ पाते कि अगर महिलाएं अपनी समस्या बता रही हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि वे समाधान चाहती हैं। उन्हें कोई ऐसा इंसान चाहिए जो उनकी पूरी बात सुने और भावनात्मक रूप से सपोर्ट करें।
जब पुरुष गलती कर देते हैं, तो महिलाएं सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने की कोशिश करती हैं। पुरुष सोचने लगते हैं कि महिलाएं उन्हें काबिल नहीं समझतीं या उन्हें कंट्रोल करना चाहती हैं। यहाँ पर पुरुषों को ये समझना चाहिए कि महिलाओं को उनकी परवाह है और वे उन्हें और ज़्यादा बेहतर बनाना चाहती हैं।
पुरुषों और महिलाओं के व्यवहार में अंतर
महिलाएं अपनी समस्याओं के बारे में बात करके अच्छा महसूस करती हैं, जबकि पुरुष अकेले रहकर सोचकर अच्छा महसूस करते हैं। जब कोई पुरुष किसी समस्या का समाधान ढूंढता है, तो वह दूसरी सभी चीजों को भूल जाता है, जैसे छोटी-छोटी परेशानियाँ या रिश्ते। जब वह समस्या का समाधान कर लेता है, तो वह फिर से अपने रिश्ते को निभाने के लिए तैयार हो जाता है। लेकिन अगर वह समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाता, तो वह अपनी परेशानी में फँसा रहता है। अपनी टेंशन से राहत पाने के लिए वह न्यूज़, क्रिकेट देखना पसंद करता है। इस सबके चलते, वह अपनी पार्टनर को वक़्त और ध्यान नहीं दे पाता, जो उसका हक़ होता है।
इस वजह से महिलाओं को लगता है कि उनका बॉयफ्रेंड या पति उन्हें इग्नोर कर रहा है। वे समझ नहीं पातीं कि पुरुष तनाव का सामना कैसे करते हैं। महिलाएं अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात करना चाहती हैं, जैसे वे खुद करती हैं। अगर पुरुष मना कर दें, टीवी ऑन कर लें या घर से बाहर चले जाएँ, तो महिलाएं उन्हें दूर समझती हैं, और फिर रिश्ते को लेकर झगड़ा होता है।
महिलाएं अपनी समस्याओं के बारे में बात करके अच्छा महसूस करती हैं। इसी वजह से उन्हें लगता है कि बार-बार एक ही बात को रिपीट करना ज़रूरी है। यहाँ पर पुरुषों को समझना होगा कि अगर महिलाओं को बात करने से अच्छा महसूस होता है, तो उन्हें गुस्सा नहीं करना चाहिए। इसके बजाय उन्हें एहसास दिलाना चाहिए कि वे उन्हें समझते हैं। उनके नैचुरल डिफरेंस को समझें, उन्हें ध्यान से सुनें।
पुरुषों को ये समझना चाहिए कि अगर उनका बॉयफ्रेंड या पति अकेले समय बिताना चाहता है, तो इसका मतलब ये नहीं कि वह उन्हें इग्नोर कर रहा है या उनसे प्यार कम हो रहा है। उनके नैचुरल डिफरेंस को समझें। जब पुरुष किसी समस्या में पड़ जाते हैं, तो वे अकेले रहकर समस्या का समाधान सोचना चाहते हैं। जब समस्या का समाधान हो जाता है, तो वे अपने पार्टनर के साथ शेयर करने के लिए तैयार हो जाते हैं कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है।
प्रेरणा और सकारात्मकता
पुरुष और महिलाएं एक-दूसरे को कैसे प्रेरित कर सकते हैं? पुरुष तब प्रेरित और शक्तिशाली महसूस करते हैं जब उन्हें अपनी ज़रूरत का एहसास होता है, जबकि महिलाएं तब प्रेरित और शक्तिशाली महसूस करती हैं जब उन्हें प्यार दिया जाता है, उनकी परवाह की जाती है। पुरुषों की पूरी खुशी सिर्फ़ ताकतवर बनने और काबिलियत का इस्तेमाल दूसरों के लिए कुछ करने में नहीं मिलती है। ख़ासकर रोमांस में, उनसे पूरी खुशी मिलती है।
इसीलिए, जब एक महिला ज़रूरतमंद या कमज़ोर महसूस करती है, तो उसके लिए 5 मिनट प्यार और उसके लिए दुःख-दर्द बाँटने से, उसका मनोबल बढ़ता है। महिलाओं को अपने करीबी लोगों की ज़रूरत पड़ती है जो ये महसूस कर सकें कि उन्हें किसी के प्यार और परवाह की ज़रूरत है। वे तब तक प्रेरित रहती हैं जब तक उन्हें ये एहसास रहता है कि वे प्यार के लायक हैं।
यहाँ पर समझने वाली बात है कि अगर आप अपने पार्टनर को समय-समय पर ये एहसास दिलाएँ कि आप उनसे प्यार करते हैं और उनकी परवाह करते हैं, तो वे और भी ज़्यादा खुश रहेंगी।
छोटी-छोटी बातों का महत्व
महिलाओं के लिए छोटी-छोटी बातें बहुत मायने रखती हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप डिनर के साथ प्यार भरा नोट और साथ में समय बिताएँ, तो वह और ज़्यादा खुश होगी।
बहस से बचने के तरीके
जब पुरुष सब्ज़ी लेकर घर आते हैं, तो महिलाएँ अक्सर कहती हैं कि सब्ज़ियाँ अच्छी नहीं लाईं। पुरुष जवाब देते हैं कि इतनी बुरी भी नहीं लाईं। फिर महिलाएं कहती हैं कि देखो कैसे मना रहे हो, इतनी बुरी हैं।
निष्कर्ष
ये कुछ मुख्य बातें थीं जो इस किताब में बताई गई हैं। अगर आपको ये वीडियो पसंद आई है, तो इसे लाइक करें, चैनल को सब्सक्राइब करें, और शेयर करें। धन्यवाद।