एक गांव में एक लड़का रहता था जो हमेशा खुद को बड़ा ही शक्तिशाली और महान बताता रहता था। वह खुद को ‘लड़ैया’ कहता था और हर किसी को डराता रहता था।
एक दिन, लड़ैया गांव में घूम रहा था, घोड़े पर सवार। घोड़े की पूँछ में कुछ गोबर और किताब के पन्ने फँस गए थे। लड़ैया को यह देखकर एक शानदार विचार आया!
उसने एक पन्ने को चुरा कर गोबर से जोड़ा और अपनी पूँछ में फँसा लिया। फिर, वह गांव वालों के पास गया और बोला, “अरे! जो तुम देख रहे हो, ये मेरी सरपंची है, मेरी शक्ति का प्रतीक है! आज से मैं तुम लोगों का सरपंच हूँ। अब मैं कहीं भी बेखटका आ-जा सकता हूँ।”
गांव वाले, भोले-भाले, लड़ैया के झूठ पर यकीन कर गए। उन्होंने उसे परसाद दिया और खुशी से उसकी शक्ति की जयजयकार की।
लड़ैया अपनी नई शक्ति से फूल गया। वह गांव में घूमता हुआ सबको डरता था। लेकिन एक दिन एक और लड़के ने कहा, “सरपंच जी, तुम में और हम में क्या फर्क है? कोई ऐसा काम करो जिससे तुम अलग दिखो और हम तुमारी शक्ति का प्रमाण देख सकें।”
लड़ैया यह सुनकर घबरा गया। वह समझ गया था कि उसकी शक्ति सिर्फ एक झूठ है। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे।
यह कहानी एक छोटे से ढोंगी लड़ैया की कहानी है, जो एक महान सरपंच बनने का सपना देखता था। लेकिन उसका सपना झूठ और छल पर आधारित था।
**इस कहानी से हम ये सीख सकते हैं:**
* **सच्ची शक्ति झूठ और छल से नहीं, बल्कि सच बोलने और अच्छे काम करने से आती है।**
* **दूसरे को धोखा देकर, हम खुद को ही नुकसान पहुँचाते हैं।**
* **अपनी शक्ति और काबिलियत में खुद को यकीन होना जरूरी है, लेकिन उसका इस्तेमाल दूसरों को ठगने के लिए नहीं करना चाहिए।**
**मनोज निडर ने बच्चों के लिए एक मजेदार कहानी के माध्यम से एक महत्वपूर्ण सन्देश दिया है।**
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्द्ण
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ओला तलललललललकल चलन ु॒॒तुतु॒ बा क > बीलबलललललनकलक
एक दिना बो घूमत-घामत गाँव
में भरा गओ और एक घूड़े पे
बैठ गओ। घूड़े पे कछु गोबर
पड़ो थो और कछु किताब के
पन्ना डरे थे।
: … अटट >स्टट स्टेट न्न्
न् चन्नछंटे:::->तनन्टे
ख्लल्तनल-य >>
गोबर के संग एक पन्ना :
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ऐ हर ‘
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लड़ैया भगत-भगत अपने दूसरे
गोइयों के पास पोंचो। पूँछ में पन्ना
चिपको देख के एक ने कई,
“काय भैया जो तेरी पूँछ में का
फँस रओ है”…
जा सुन के लड़ैया कछ अकड़ के
बोलो, “अरे! जो तो मेरी सरपंची
को पट्टो है, आज से मैं तुमरो
सरपंच हूँ। अब हम कहीं भी
बेखटका आ-जा सकत हैं।”
जा सुनके सबरे लड़ैया भोत खुस
भये। उनने सरपंची को परसाद
बॉट दओ। हम
हर
अब तो नए सरपंच जू जितै से भी
निकरें, उन्हें देख के. सब कोई
राम-राम करवे के लाने खड़ो हो
जात। जो देख के लड़ैयाभैया
फुलन्दी में आ गये।
एक लड़ैया बोलो, “सरपंच जू तुम में और हम में कोई फरक नई है, .
सो कछु ऐसो उपाय करो के तुमाई अलग पहचान हो जावे और हम
द…
ढोंगी लड़ैया – हिंदी – बालसाहित्य – मनोज निडर by मनोज निडर |
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Book Details |
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Title: | ढोंगी लड़ैया – हिंदी – बालसाहित्य – मनोज निडर |
Author: | मनोज निडर |
Subjects: | ढोंगी लड़ैया, हिंदी, बालसाहित्य, एकलव्य, चित्र: केरन हैडॉक, मनोज निडर |
Language: | hin |
Collection: | ArvindGupta, JaiGyan |
Ppi: | 250 |
Added Date: | 2023-09-25 05:46:22 |
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