अग्निमोष्टोमपद्धतिः – गुच्छ 1 | Agnimoshtoma Paddhatih – Fasc. 1 | रघुनाथ द्विवेदी – Raghunath Dwivedi, रामकृष्ण त्रिपाठी – Ramkrishna Tripathi, वामनाचार्य – Vamanacharya
अग्निमोष्टोमपद्धतिः – गुच्छ 1: एक अनमोल ग्रंथ
यह ग्रंथ, “अग्निमोष्टोमपद्धतिः – गुच्छ 1”, वेदों के अध्ययन में रत सभी के लिए एक अनमोल उपहार है। श्री भगवत प्रसाद शर्मा द्वारा संपादित, यह ग्रंथ अग्निमोष्टोम यज्ञ के विस्तृत विवरण के साथ, वैदिक साहित्य के गहन अध्ययन की पथप्रदर्शक है।
यह ग्रंथ अपने विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण और स्पष्ट भाषा के लिए प्रसिद्ध है। प्रत्येक शब्द का गहन अध्ययन और विवेचना, पाठक को वैदिक ज्ञान की गहराई में ले जाती है। यज्ञ के विधान, मंत्रों का अर्थ, विभिन्न क्रियाओं के महत्व, यह सब इस ग्रंथ में विस्तार से समझाया गया है।
यह ग्रंथ वैदिक विद्वानों, शोधार्थियों, और ज्ञान के प्रति उत्साही लोगों के लिए एक अनमोल खजाना है।
अग्निमोष्टोमपद्धतिः – गुच्छ 1: एक गहन वैदिक अध्ययन
परिचय:
“अग्निमोष्टोमपद्धतिः – गुच्छ 1” नामक यह ग्रंथ श्री भगवत प्रसाद शर्मा द्वारा संपादित है और यह “चौखम्भा संस्कृत सीरीज़ ए नं. 433” का हिस्सा है। यह ग्रंथ अग्निमोष्टोम यज्ञ के विस्तृत विवरण और व्याख्या प्रस्तुत करता है, जो वेदों में वर्णित एक महत्वपूर्ण यज्ञ है।
विषय वस्तु:
यह ग्रंथ अग्निमोष्टोम यज्ञ के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है, जिसमें शामिल हैं:
- यज्ञ के विधान: ग्रंथ में यज्ञ के आयोजन, समय, स्थान, आवश्यक सामग्री, और अन्य विधानों का विस्तृत वर्णन दिया गया है।
- मंत्रों का अर्थ: अग्निमोष्टोम यज्ञ में उपयोग किए जाने वाले मंत्रों का अर्थ और उनका महत्व स्पष्ट किया गया है।
- क्रियाओं का विवरण: यज्ञ के विभिन्न चरणों में की जाने वाली क्रियाओं और उनके पीछे के तार्किक आधार की व्याख्या दी गई है।
- वैदिक साहित्य से संदर्भ: ग्रंथ में विभिन्न वैदिक ग्रंथों से उद्धरण और संदर्भ दिए गए हैं जो यज्ञ के महत्व और विधान को समझने में मदद करते हैं।
विशिष्टता:
- विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण: ग्रंथ में सभी विषयों का विस्तृत और गहन विश्लेषण किया गया है, जो इसे एक शोध ग्रंथ बनाता है।
- स्पष्ट भाषा: ग्रंथ में सरल और स्पष्ट भाषा का प्रयोग किया गया है, जिससे पाठक आसानी से विषय को समझ सकते हैं।
- वैदिक साहित्य का गहन अध्ययन: यह ग्रंथ वैदिक साहित्य के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है और वैदिक ज्ञान को समझने में मदद करता है।
लेखक:
श्री भगवत प्रसाद शर्मा, एक प्रख्यात वैदिक विद्वान और संस्कृत के विद्वान, ने इस ग्रंथ को संपादित किया है। उनका वैदिक साहित्य के क्षेत्र में गहरा ज्ञान है और वे इस ग्रंथ के माध्यम से पाठकों को वेदों की गहराई तक पहुँचाते हैं।
प्रभाव:
यह ग्रंथ वैदिक विद्वानों, शोधार्थियों, और ज्ञान के प्रति उत्साही लोगों के लिए एक अनमोल खजाना है। यह ग्रंथ अग्निमोष्टोम यज्ञ को समझने में मदद करता है और वेदों के अध्ययन को गहरा करता है।
संदर्भ:
- अग्निमोष्टोमपद्धतिः – गुच्छ 1: https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.273861
अग्निमोष्टोम यज्ञ और इसकी प्रासंगिकता:
अग्निमोष्टोम यज्ञ वेदों में वर्णित एक महत्वपूर्ण यज्ञ है जो देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह यज्ञ भगवान इंद्र को समर्पित है और उनके साथ संबंध स्थापित करने का एक माध्यम है। अग्निमोष्टोम यज्ञ की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है, क्योंकि यह हमें वैदिक संस्कृति और दर्शन को समझने में मदद करता है।
निष्कर्ष:
“अग्निमोष्टोमपद्धतिः – गुच्छ 1” एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो अग्निमोष्टोम यज्ञ के विस्तृत विवरण और व्याख्या प्रस्तुत करता है। यह ग्रंथ वैदिक विद्वानों, शोधार्थियों, और ज्ञान के प्रति उत्साही लोगों के लिए एक अनमोल खजाना है जो वेदों के अध्ययन को गहरा करता है।
अतिरिक्त जानकारी:
- रघुनाथ द्विवेदी: एक प्रख्यात वैदिक विद्वान और वेद व्याख्याता, उन्होंने अग्निमोष्टोम यज्ञ पर कई महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे हैं।
- रामकृष्ण त्रिपाठी: एक प्रख्यात वैदिक विद्वान और संस्कृत के विद्वान, उन्होंने अग्निमोष्टोम यज्ञ पर कई महत्वपूर्ण शोध पत्र लिखे हैं।
- वामनाचार्य: एक प्रख्यात वैदिक विद्वान और “अग्नि पुराण” के रचनाकार, उन्होंने अग्निमोष्टोम यज्ञ की व्याख्या करते हुए “वामन स्मृति” लिखी है।
नोट:
यह ग्रंथ मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है और विभिन्न वेबसाइटों पर उपलब्ध है।
The Chowkhamba Sanskrit Series A No 433 by Bhagavat Prasada Sarma |
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Title: | The Chowkhamba Sanskrit Series A No 433 |
Author: | Bhagavat Prasada Sarma |
Subjects: | IIIT |
Language: | san |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 600 |
Added Date: | 2017-01-23 06:05:59 |