[PDF] अथर्ववेदभाष्यं [एकोन्विंश काण्ड] | Atharvaved Bhashyam [Part 19] | अज्ञात - Unknown | eBookmela

अथर्ववेदभाष्यं [एकोन्विंश काण्ड] | Atharvaved Bhashyam [Part 19] | अज्ञात – Unknown

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अथर्ववेदभाष्यम् [एकोन्विंश काण्ड] – एक अनमोल धरोहर

यह ग्रंथ पंडित छेमकरणदास त्रिवेदीना द्वारा रचित अथर्ववेद भाष्यम् का उन्नीसवाँ भाग है, जो वेदों के ज्ञान को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भाषा सरल और स्पष्ट है, जिससे यह ग्रंथ सभी पाठकों के लिए सुलभ है। त्रिवेदीना ने श्लोकों का अर्थ प्रकाशित करने में सफलता पाई है, जो धार्मिक अध्येताओ और जिज्ञासुओं के लिए एक बहुमूल्य खजाना है।

अथर्ववेदभाष्यं [एकोन्विंश काण्ड] | Atharvaved Bhashyam [Part 19]

अथर्ववेदभाष्यं [एकोन्विंश काण्ड] (Atharvaved Bhashyam [Part 19]) पंडित छेमकरणदास त्रिवेदीना द्वारा लिखित अथर्ववेद के व्याख्या का उन्नीसवाँ भाग है। यह ग्रंथ अथर्ववेद के अधिकांश श्लोकों की व्याख्या प्रस्तुत करता है, जिसमें मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक विषयों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।

यह काण्ड अथर्ववेद के अधिक गूढ़ भागों की व्याख्या प्रस्तुत करता है, जैसे कि मनोकामना, रोग, और शाप से संबंधित श्लोक। त्रिवेदीना ने इन श्लोकों की व्याख्या करते समय न केवल भाषा की स्पष्टता पर ध्यान दिया है, बल्कि उनके अर्ध को प्रकाशित करने के लिए अन्य शास्त्रों और विद्वानों के संदर्भ भी प्रस्तुत किए हैं।

अथर्ववेद के प्रति रुचि रखने वाले सभी पाठकों के लिए यह काण्ड एक अनमोल खजाना है। त्रिवेदीना की व्याख्या न केवल अथर्ववेद के श्लोकों को समझने में मदद करती है, बल्कि उनकी व्याख्या से हम प्राचीन भारतीय विचारधारा और जीवन शैली को भी बेहतर रूप से समझ सकते हैं।

अथर्ववेदभाष्यं [एकोन्विंश काण्ड] की प्रमुख विशेषताएं:

  • अथर्ववेद के श्लोकों की स्पष्ट और विस्तृत व्याख्या
  • श्लोकों के अर्ध को प्रकाशित करने के लिए अन्य शास्त्रों और विद्वानों के संदर्भों का उपयोग
  • मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक विषयों का विस्तृत विश्लेषण
  • अथर्ववेद के प्रति रुचि रखने वाले सभी पाठकों के लिए सुलभ भाषा
  • प्राचीन भारतीय विचारधारा और जीवन शैली को समझने में मददगार

अथर्ववेदभाष्यं [एकोन्विंश काण्ड] के लिए प्रमुख संसाधन:

अथर्ववेदभाष्यं [एकोन्विंश काण्ड] के माध्यम से अज्ञात (Unknown) ज्ञान को खोजना:

अथर्ववेदभाष्यं [एकोन्विंश काण्ड] में त्रिवेदीना ने अथर्ववेद के कुछ ऐसे श्लोकों की व्याख्या की है, जिनका अर्थ आज तक अज्ञात (Unknown) है। इन श्लोकों में प्राचीन भारतीय विचारधारा, जीवन शैली, और विज्ञान के संदर्भ छिपे हुए हैं। त्रिवेदीना की व्याख्या से हम इन श्लोकों के अर्ध को समझ सकते हैं और प्राचीन भारतीय ज्ञान को बेहतर रूप से समझ सकते हैं।

निष्कर्ष:

अथर्ववेदभाष्यं [एकोन्विंश काण्ड] एक ऐसा ग्रंथ है, जो अथर्ववेद के प्रति रुचि रखने वाले सभी पाठकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस ग्रंथ में त्रिवेदीना ने अथर्ववेद के श्लोकों की स्पष्ट और विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत की है, जो धार्मिक अध्येताओ और जिज्ञासुओं के लिए एक बहुमूल्य खजाना है।

Atharwedbhashyam Part 19 by Pundit Chhemkarandash Trivedina

Title: Atharwedbhashyam Part 19
Author: Pundit Chhemkarandash Trivedina
Subjects: IIIT
Language: hin
Atharwedbhashyam Part 19
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 600
Added Date: 2017-01-26 05:24:53

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