[PDF] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कृतित्व | Acharya Mahavir Prasad Dwivedi : Vyaktitva Avam Krititva | शैय्या झा - Shaiyya Jha | eBookmela

आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कृतित्व | Acharya Mahavir Prasad Dwivedi : Vyaktitva Avam Krititva | शैय्या झा – Shaiyya Jha

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आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कृतित्व – एक सराहनीय प्रयास

शैय्या झा द्वारा लिखित “आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कृतित्व” एक अद्भुत कृति है जो हिंदी साहित्य के इस महान विभूति के जीवन और कार्य को गहराई से उजागर करती है। लेखक ने आचार्य द्विवेदी के व्यक्तित्व, उनके साहित्यिक योगदान, उनके विचारों और उनकी जीवन यात्रा को बेहद खूबसूरती से प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक को पढ़ने से आचार्य द्विवेदी के प्रति सम्मान और कृतज्ञता और भी बढ़ जाती है।

आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कृतित्व

परिचय:

आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी (१८६४-१९३८) हिंदी साहित्य के एक महान व्यक्तित्व और विद्वान थे। उन्हें आधुनिक हिंदी साहित्य का जनक कहा जाता है। उन्होंने हिंदी साहित्य को नई दिशा प्रदान की और इसे एक सम्मानित और सार्थक भाषा के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

व्यक्तित्व:

आचार्य द्विवेदी का व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे एक कुशल लेखक, संपादक, विद्वान, समाज सुधारक और राष्ट्रवादी थे। वे अपने सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति अटूट निष्ठा रखते थे और समाज में सुधार के लिए सदैव तत्पर रहते थे।

कृतित्व:

आचार्य द्विवेदी ने हिंदी साहित्य में अमिट छाप छोड़ी। उनकी प्रमुख कृतियां हैं:

  • सरस्वती: यह एक प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका थी जिसका उन्होंने १९०० में प्रकाशन शुरू किया था। “सरस्वती” ने हिंदी साहित्य को एक नया आयाम दिया और हिंदी साहित्यिक आंदोलनों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • हिंदी साहित्य का इतिहास: यह उनकी सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में से एक है, जो हिंदी साहित्य के इतिहास को विस्तार से प्रस्तुत करती है।

  • हिंदी साहित्य का उद्भव एवं विकास: यह पुस्तक हिंदी साहित्य के विकास और इसकी विभिन्न अवधियों का विश्लेषण प्रस्तुत करती है।

  • साहित्य दर्शन: यह पुस्तक साहित्य के सिद्धांतों और दर्शन को समझाने के लिए लिखी गई है।

आधुनिक हिंदी साहित्य में योगदान:

आचार्य द्विवेदी ने हिंदी साहित्य को कई तरह से समृद्ध किया। उन्होंने:

  • हिंदी भाषा को मान्यता दिलाने का प्रयास किया: उन्होंने हिंदी भाषा की शुद्धता और सरलता पर बल दिया और इसे एक सार्थक भाषा के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • नए साहित्यिक रुझानों को प्रोत्साहित किया: उन्होंने नए युग के लेखकों और कवियों को प्रोत्साहित किया और उनके कार्यों को प्रकाशित किया।

  • समाज सुधार के लिए कार्य किया: वे समाज सुधार के लिए सदैव तत्पर रहते थे और उन्होंने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लेखन और कार्य किया।

  • राष्ट्रीयता को बढ़ावा दिया: वे राष्ट्रीयता के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से राष्ट्रीय भावना को जागृत किया।

आचार्य द्विवेदी के विचारों का महत्व:

आचार्य द्विवेदी के विचार हिंदी साहित्य और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने:

  • शास्त्रीय साहित्य के महत्व पर जोर दिया: उन्होंने शास्त्रीय साहित्य के अध्ययन और संरक्षण पर बल दिया और इसे आधुनिक साहित्य के लिए एक मजबूत आधार माना।

  • समाज में शिक्षा के महत्व को समझाया: वे शिक्षा के महत्त्व को जानते थे और उन्होंने समाज में शिक्षा के प्रसार के लिए कार्य किया।

  • मानवीय मूल्यों को बढ़ावा दिया: उन्होंने मानवीय मूल्यों जैसे सत्य, अहिंसा, प्रेम, क्षमा और सहानुभूति पर जोर दिया।

निष्कर्ष:

आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी एक महान व्यक्तित्व और विद्वान थे जिन्होंने हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया। उनकी कृतियां हिंदी साहित्य के लिए एक अनमोल खजाना हैं।

संदर्भ:

मुक्त स्रोत:

Aacharya Mahaveer Prasad Drivedi -vaikiti & Kartabya by Shaibya Jha

Title: Aacharya Mahaveer Prasad Drivedi -vaikiti & Kartabya
Author: Shaibya Jha
Subjects: IIIT
Language: hin
Aacharya Mahaveer Prasad Drivedi -vaikiti & Kartabya
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 600
Added Date: 2017-01-21 07:12:38

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