इति भगवती सूत्रं पंचमाङ्गं समाप्तम् | Iti Bhagavati Sutram Panchamangam Samaptam | रामचन्द्र गणि – Ramchandra Gani
यह ग्रंथ जैन धर्म के एक महत्वपूर्ण ग्रंथ “भागवती सूत्र” का पांचवां भाग है। रामचन्द्र गणि द्वारा लिखित यह ग्रंथ मूल संस्कृत में है और जैन दर्शन के कई महत्वपूर्ण विषयों को स्पष्ट करता है। ग्रंथ की भाषा सरल और स्पष्ट है जिससे यह पढ़ने में आसान है। जैन धर्म के ज्ञान को गहराई से समझने के लिए यह ग्रंथ बहुत उपयोगी है।
“इति भगवती सूत्रं पंचमाङ्गं समाप्तम्” – जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ
परिचय:
“इति भगवती सूत्रं पंचमाङ्गं समाप्तम्” (Iti Bhagavati Sutram Panchamangam Samaptam) जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक, भागवती सूत्र का पाँचवाँ भाग है। यह ग्रंथ प्रसिद्ध जैन विद्वान रामचन्द्र गणि द्वारा लिखा गया था।
रामचन्द्र गणि:
रामचन्द्र गणि (Ramchandra Gani) एक प्रसिद्ध जैन विद्वान थे जिन्होंने जैन दर्शन और साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे 14वीं शताब्दी में जन्मे थे और उन्हें जैन धर्म के शास्त्रों का गहन ज्ञान था। उनकी रचनाओं में से “इति भगवती सूत्रं पंचमाङ्गं समाप्तम्” एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
ग्रंथ का महत्व:
यह ग्रंथ जैन दर्शन के कई महत्वपूर्ण विषयों को स्पष्ट करता है। यह जैन धर्म के मुख्य सिद्धांतों जैसे अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है। इसमें मोक्ष प्राप्ति के मार्ग, कर्म सिद्धांत, और आत्मा की मुक्ति के बारे में गहन चर्चा है।
ग्रंथ की भाषा:
“इति भगवती सूत्रं पंचमाङ्गं समाप्तम्” की भाषा मूल संस्कृत है। ग्रंथ की भाषा सरल और स्पष्ट है, जिससे यह पढ़ने में आसान है।
ग्रंथ की उपलब्धता:
यह ग्रंथ आजकल विभिन्न माध्यमों से उपलब्ध है। आप इसे पुस्तकालयों में खोज सकते हैं, या ऑनलाइन पीडीएफ (PDF) प्रारूप में डाउनलोड कर सकते हैं। कई वेबसाइटें हैं जहां से आप इस ग्रंथ को मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
“इति भगवती सूत्रं पंचमाङ्गं समाप्तम्” जैन धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह जैन दर्शन को समझने में मदद करता है और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरणा प्रदान करता है।
संदर्भ:
- Digital Library of India: https://www.archive.org/details/in.ernet.dli.2015.311816
- Jaina Sahitya Samsodhan Kendra: https://www.jaina-sastra.org/
- Jain Education International: https://www.jainelibrary.org/
ध्यान दें: यह ब्लॉग पोस्ट “इति भगवती सूत्रं पंचमाङ्गं समाप्तम्” ग्रंथ के बारे में एक सामान्य परिचय प्रदान करता है। अगर आप इस ग्रंथ के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया जैन धर्म के विद्वानों से संपर्क करें या जैन धर्म की वेबसाइटों और पुस्तकालयों का अवलोकन करें।
1832 Iti Bhagwati Sutram Panchmangm Samaptam (1882) by Gani,ramchandra |
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Title: | 1832 Iti Bhagwati Sutram Panchmangm Samaptam (1882) |
Author: | Gani,ramchandra |
Subjects: | Banasthali |
Language: | san |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 300 |
Added Date: | 2017-01-20 06:29:47 |