[PDF] जैनागम सूक्ति सुधा [भाग १] | Jainagama Sukti Sudha [Part 1] | अज्ञात - Unknown | eBookmela

जैनागम सूक्ति सुधा [भाग १] | Jainagama Sukti Sudha [Part 1] | अज्ञात – Unknown

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जैनागम सूक्ति सुधा [भाग १] के बारे में समीक्षा

“जैनागम सूक्ति सुधा [भाग १]” ज्ञान और आध्यात्मिकता की एक अद्भुत यात्रा है। इस पुस्तक में, मुनि कल्याणरिशिजी ने जैनागमों के महत्वपूर्ण सूक्तियों को एक आसान और सुंदर भाषा में प्रस्तुत किया है। हर सूक्ति न केवल ज्ञान देती है, बल्कि आत्मा को प्रेरित भी करती है। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद, आप जीवन के प्रति एक नया नजरिया पाएंगे।

जैनागम सूक्ति सुधा [भाग १] | Jainagama Sukti Sudha [Part 1] – ज्ञान का अमृत

प्रस्तावना:

जैन धर्म ज्ञान और आध्यात्मिक विकास पर आधारित एक प्राचीन धर्म है। इस धर्म के मूल सिद्धांत अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह हैं। जैन धर्म के अनुयायी इन सिद्धांतों को अपने जीवन में लागू करके मोक्ष की प्राप्ति का लक्ष्य रखते हैं।

जैनागम सूक्ति सुधा [भाग १] | Jainagama Sukti Sudha [Part 1] एक ऐसा ग्रंथ है जो जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को समझने में सहायक है। इस ग्रंथ में मुनि कल्याणरिशिजी ने जैनागमों के विभिन्न भागों से महत्वपूर्ण सूक्तियाँ एकत्रित की हैं और उन्हें एक सुंदर और आसान भाषा में प्रस्तुत किया है।

प्रमुख विषय:

  • अहिंसा का महत्व: यह ग्रंथ अहिंसा के महत्व पर जोर देता है और यह बताता है कि कैसे अहिंसा हमारे जीवन में शांति और सद्भाव ला सकती है।
  • सत्य का महत्व: इस ग्रंथ में सत्य के महत्व को विशिष्ट रूप से समझाया गया है और यह बताता है कि कैसे सत्य हमारे आत्मा को शुद्ध कर सकता है।
  • अस्तेय का महत्व: इस ग्रंथ में चोरी न करने का महत्व स्पष्ट किया गया है और यह बताता है कि कैसे अस्तेय हमारे मन को शांति दे सकता है।
  • ब्रह्मचर्य का महत्व: यह ग्रंथ ब्रह्मचर्य के महत्व पर जोर देता है और यह बताता है कि कैसे ब्रह्मचर्य हमारे जीवन में शक्ति और संगठन ला सकता है।
  • अपरिग्रह का महत्व: इस ग्रंथ में लालच और वासना से मुक्त रहने का महत्व स्पष्ट किया गया है और यह बताता है कि कैसे अपरिग्रह हमारे मन को शांति और सुख दे सकता है।

इस ग्रंथ को पढ़ने के लाभ:

  • ज्ञान की वृद्धि: यह ग्रंथ जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को समझने में सहायक है और इस प्रकार ज्ञान की वृद्धि करता है।
  • आध्यात्मिक विकास: इस ग्रंथ में दिए गए सूक्तियाँ आत्मा को प्रेरित करती हैं और आध्यात्मिक विकास में सहायक होती हैं।
  • जीवन में सुधार: इस ग्रंथ में दिए गए सिद्धांतों को अपने जीवन में लागू करके हम अपने जीवन में सुधार ला सकते हैं।

निष्कर्ष:

जैनागम सूक्ति सुधा [भाग १] | Jainagama Sukti Sudha [Part 1] जैन धर्म के ज्ञान और आध्यात्मिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह ग्रंथ हर व्यक्ति के लिए पढ़ने योग्य है, चाहे वह किसी भी धर्म का अनुयायी हो। यह ग्रंथ हमारे जीवन में शांति, सद्भाव और सुख लाने में सहायक है।

संदर्भ:

Jainagam Sukti- Sudha Part-1 by Muni, Kalyanrishiji

Title: Jainagam Sukti- Sudha Part-1
Author: Muni, Kalyanrishiji
Subjects: Banasthali
Language: hin
Jainagam Sukti- Sudha Part-1
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 300
Added Date: 2017-01-23 08:12:55

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