[PDF] जोनराजकृत टीकासहितं पृथ्वीराज विजयाख्यं महाकाव्यम् | Jonrajakrita Teekasahita Prithviraj Vijayakhyam Mahakavyam | जोनराज - Jonraj, बी० के० बेलवारकर - B. K. Belvarkar | eBookmela

जोनराजकृत टीकासहितं पृथ्वीराज विजयाख्यं महाकाव्यम् | Jonrajakrita Teekasahita Prithviraj Vijayakhyam Mahakavyam | जोनराज – Jonraj, बी० के० बेलवारकर – B. K. Belvarkar

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यह संस्कृत साहित्य का अनमोल रत्न है। पृथ्वीराज विजय काव्य के मूल पाठ और जोनराजकृत टीका एक साथ पढ़ने से यह ग्रंथ और भी रोचक बन जाता है। बी० के० बेलवारकर जी ने इसे प्रकाशित करके हमें एक अमूल्य उपहार दिया है।


पृथ्वीराज विजयाख्यं महाकाव्यम्: जोनराजकृत टीकासहितं

यह ग्रंथ संस्कृत साहित्य का एक महत्वपूर्ण रत्न है, जो पृथ्वीराज चौहान के जीवन और उनके युद्धों का वृत्तांत प्रस्तुत करता है। “पृथ्वीराज विजयाख्यं महाकाव्यम्” जोनराज द्वारा रचित है, जो 12वीं शताब्दी में एक प्रसिद्ध संस्कृत कवि और इतिहासकार थे।

इस ग्रंथ में, जोनराज ने पृथ्वीराज चौहान के जीवन और उनके शौर्य गाथाओं को एक भावपूर्ण महाकाव्य रूप में प्रस्तुत किया है। ग्रंथ में युद्धों के रोमांचक दृश्यों के साथ-साथ पृथ्वीराज चौहान के व्यक्तित्व और राजनीतिक कौशल का भी चित्रण है।

यह ग्रंथ सिर्फ पृथ्वीराज चौहान के जीवन और उनकी वीरता की गाथा बताने तक सीमित नहीं है। यह भारतीय इतिहास और संस्कृति को समझने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

जोनराज का साहित्यिक योगदान:

जोनराज अपने समय के प्रमुख कवि और इतिहासकार थे। उनके लेखन में प्राचीन भारतीय परंपराओं और संस्कृति का प्रभाव साफ़ दिखाई देता है। “पृथ्वीराज विजय” के अतिरिक्त, उन्होंने “हरिराज प्रबन्ध” नामक एक अन्य ग्रंथ भी लिखा है, जो हरिराज के जीवन और उनके शासनकाल के बारे में जानकारी देता है।

ग्रंथ में प्रयुक्त भाषा और शैली:

“पृथ्वीराज विजय” संस्कृत भाषा में लिखा गया है और इसमें महाकाव्य शैली का प्रयोग किया गया है। जोनराज ने अपने लेखन में विभिन्न शब्द और अलंकारों का उपयोग करके ग्रंथ को अधिक आकर्षक और प्रभावशाली बनाया है।

बी० के० बेलवारकर का योगदान:

बी० के० बेलवारकर एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान थे। उन्होंने “पृथ्वीराज विजयाख्यं महाकाव्यम्” के मूल पाठ को संपादित करके और जोनराजकृत टीका के साथ प्रकाशित करके इस ग्रंथ को संस्कृत साहित्य प्रेमियों के लिए अधिक सुगम बनाया।

यह ग्रंथ कैसे प्राप्त करें:

यह ग्रंथ अनेक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध है। आप इसे PDF रूप में मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं। कई संस्कृत साहित्य प्रकाशक इस ग्रंथ को प्रकाशित करते हैं, आप इसे ऑनलाइन या किताबों की दुकानों से खरीद सकते हैं।

“पृथ्वीराज विजयाख्यं महाकाव्यम्” का महत्व:

यह ग्रंथ संस्कृत साहित्य का एक महत्वपूर्ण रत्न है और भारतीय इतिहास और संस्कृति को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ग्रंथ पृथ्वीराज चौहान के जीवन और उनकी वीरता की गाथा के साथ-साथ संस्कृत साहित्य की समृद्धि और शैली का भी प्रमाण है।

संदर्भ:

  1. Pṛthvīrājavijaẏa – Sanskrit Wikisource
  2. Jone Raja – Wikipedia
  3. Prithviraj Raso – Wikipedia

Puuthviiraajavijayamhaakaavyamuu by B K Belvarkar

Title: Puuthviiraajavijayamhaakaavyamuu
Author: B K Belvarkar
Subjects: RMSC
Language: san
जोनराजकृत टीकासहितं पृथ्वीराज विजयाख्यं महाकाव्यम् | Jonrajakrita Teekasahita Prithviraj Vijayakhyam Mahakavyam 
 |  जोनराज - Jonraj, बी० के० बेलवारकर - B. K. Belvarkar
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 600
Added Date: 2017-01-16 05:43:07

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