[PDF] दशवैकालिक सूत्र | Dashvaikalik sutra | अज्ञात - Unknown | eBookmela

दशवैकालिक सूत्र | Dashvaikalik sutra | अज्ञात – Unknown

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एक अद्वितीय मार्गदर्शक: दशवैकालिक सूत्र

“दशवैकालिक सूत्र” एक ऐसा ग्रंथ है जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है। ऋषिजी, मुनि श्री अमोलक द्वारा लिखा गया यह ग्रंथ, व्यक्ति को आत्म-ज्ञान, धर्म, कर्म और मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इसकी सरल भाषा और गहन विचारों के कारण, यह ग्रंथ सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए उपयोगी है।


दशवैकालिक सूत्र: अज्ञात सत्य की खोज

प्रस्तावना:

हिंदू धर्म में, “दशवैकालिक सूत्र” एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है। यह ग्रंथ ऋषिजी, मुनि श्री अमोलक द्वारा लिखा गया था और इसमें दस वैकालिकों (दस प्रकार के जीवों) के जीवन और उनके कर्मों के फल के बारे में बताया गया है। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक ज्ञान देता है, बल्कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक नैतिक और सामाजिक मूल्यों को भी बताता है।

लेखक और ग्रंथ का इतिहास:

दशवैकालिक सूत्र के लेखक ऋषिजी, मुनि श्री अमोलक थे, जो एक प्रसिद्ध जैन साधु थे। उनके जीवन और कार्य के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनके द्वारा लिखे गए ग्रंथों से पता चलता है कि वे एक ज्ञानवान और अनुभवी व्यक्ति थे।

ग्रंथ की संरचना और विषय:

दशवैकालिक सूत्र दस वैकालिकों के जीवन और उनके कर्मों के फल के बारे में बताता है। ये दस वैकालिक हैं:

  1. देव: देवता या स्वर्गीय प्राणी जो अपने अच्छे कर्मों के फलस्वरूप स्वर्ग में रहते हैं।
  2. मनुष्य: मनुष्य जो अपने कर्मों के अनुसार नरक, स्वर्ग या मृत्युलोक में जन्म लेते हैं।
  3. तिर्यंच: पशु, जो अपने कर्मों के अनुसार जन्म लेते हैं।
  4. नरक: नरक में रहने वाले प्राणी जो अपने बुरे कर्मों के फलस्वरूप दुःख भोगते हैं।
  5. प्रेत: प्रेत जो अपने कर्मों के कारण भूख, प्यास और दुःख से पीड़ित होते हैं।
  6. पक्षी: पक्षी जो अपने कर्मों के अनुसार जन्म लेते हैं।
  7. मत्स्य: मछली जो अपने कर्मों के अनुसार जन्म लेते हैं।
  8. कीट: कीट जो अपने कर्मों के अनुसार जन्म लेते हैं।
  9. वनस्पति: पेड़-पौधे जो अपने कर्मों के अनुसार जन्म लेते हैं।
  10. असुर: असुर जो अपने बुरे कर्मों के कारण नरक में रहते हैं।

मुख्य शिक्षाएं:

  • कर्म सिद्धांत: ग्रंथ कर्म सिद्धांत पर जोर देता है, जिसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के कर्म उसके भविष्य का निर्णय लेते हैं।
  • नैतिक मूल्यों का महत्व: दशवैकालिक सूत्र नैतिक मूल्यों का महत्व बताता है और समाज में सद्भाव और शांति स्थापित करने के लिए नैतिक जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • मोक्ष का मार्ग: ग्रंथ मोक्ष प्राप्ति के लिए धर्म, कर्म और ज्ञान के महत्व को उजागर करता है।
  • जीवन के अर्थ की समझ: दशवैकालिक सूत्र जीवन के अर्थ को समझने में मदद करता है और व्यक्ति को अपने जीवन का उद्देश्य ढूंढने के लिए प्रोत्साहित करता है।

ग्रंथ का प्रभाव:

दशवैकालिक सूत्र ने बहुत से लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। यह ग्रंथ लोगों को अपने कर्मों के प्रति जागरूक करता है और उन्हें नैतिक और धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करता है।

अनुवाद और उपलब्धता:

दशवैकालिक सूत्र के अनुवाद विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध हैं। इस ग्रंथ को आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से पढ़ सकते हैं। यह ग्रंथ आज भी लोगों को अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है।

निष्कर्ष:

दशवैकालिक सूत्र एक ऐसा ग्रंथ है जो आज भी प्रासंगिक है। यह ग्रंथ नैतिक मूल्यों, कर्म सिद्धांत और मोक्ष प्राप्ति के महत्व को समझने में मदद करता है। यह ग्रंथ सभी धर्मों के लोगों के लिए उपयोगी है और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करता है।

संदर्भ:

  1. Jains and Jainism
  2. Karma in Jainism
  3. The Ten Vaisaliks: A Guide to Understanding the Different Realms of Existence in Jainism

डाउनलोड करने के लिए:

  • आप दशवैकालिक सूत्र का PDF संस्करण मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।
  • यह ग्रंथ कई ऑनलाइन लाइब्रेरी में उपलब्ध है।
  • यह ग्रंथ विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं पर भी उपलब्ध है।

दशवैकालिक सूत्र का अध्ययन आपको जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करेगा और आपको नैतिक और धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

Dashvaikaliksutra by Rishiji, Muni Shri Amolak

Title: Dashvaikaliksutra
Author: Rishiji, Muni Shri Amolak
Subjects: Banasthali
Language: hin
Dashvaikaliksutra
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 300
Added Date: 2017-01-17 16:54:28

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