[PDF] दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि | Digambaratv Or Digambar Muni | कामताप्रसाद जैन - Kamtaprasad Jain | eBookmela

दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि | Digambaratv Or Digambar Muni | कामताप्रसाद जैन – Kamtaprasad Jain

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दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि: कामताप्रसाद जैन की “1827 दिगम्बर ऑर दिगम्बर मुनि”

यह पुस्तक दिगंबर मुनियों के जीवन और उनकी शिक्षाओं पर प्रकाश डालती है। लेखक की भाषा सरल और प्रवाहयुक्त है, जो पाठक को मुनियों के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करती है। पुस्तक में उल्लेखित ऐतिहासिक तथ्य और कहानियाँ दिगंबर संप्रदाय के अतीत और वर्तमान को जोड़ती हैं।

दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि: एक गहन विश्लेषण

जैन धर्म के दो प्रमुख संप्रदाय हैं – दिगंबर और श्वेतांबर। दिगंबर संप्रदाय अपने नग्न रहने की परंपरा के लिए जाना जाता है, जो उनके धार्मिक विश्वास का एक प्रमुख अंग है। यह परंपरा “दिगम्बर” नाम का आधार है, जिसका अर्थ “आकाश के वस्त्र में रहने वाला” है।

“1827 दिगम्बर ऑर दिगम्बर मुनि” लेखक कामताप्रसाद जैन द्वारा लिखी गई पुस्तक है, जो दिगम्बर मुनियों के जीवन और उनकी शिक्षाओं पर प्रकाश डालती है। यह पुस्तक दिगंबर संप्रदाय के इतिहास, उनके धार्मिक विचारों, और उनके जीवन शैली के बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करती है।

दिगम्बर संप्रदाय का इतिहास

दिगंबर संप्रदाय जैन धर्म के प्राचीन समय से चला आ रहा है। यह मान्यता है कि इस संप्रदाय की स्थापना पहले तीर्थंकर ऋषभदेव ने की थी। इस संप्रदाय के अनुयायी अपने धार्मिक विश्वासों को निष्ठा से पालन करते हैं और उनके जीवन मुनियों की शिक्षाओं पर आधारित होते हैं।

दिगंबर मुनियों की शिक्षाएँ

दिगंबर मुनि अपने अनुयायियों को अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह (संपत्ति का त्याग) के पांच मूल सिद्धांतों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ये सिद्धांत एक आध्यात्मिक जीवन और मोक्ष (मुक्ति) के लिए मार्ग प्रदान करते हैं।

दिगम्बरत्व का दर्शन

दिगम्बर संप्रदाय का दर्शन अत्यंत कठोर और तपस्या पर आधारित है। वे मानते हैं कि सच्चा धार्मिक जीवन केवल तब संभव है जब व्यक्ति सभी भौतिक संपत्तियों का त्याग कर दे। दिगंबर मुनि नग्न रहते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि कपड़े काम और वासना को प्रोत्साहित करते हैं।

दिगम्बरत्व का सामाजिक प्रभाव

दिगंबर संप्रदाय का सामाजिक जीवन बहुत सरल और नियमित है। वे विवाह और परिवार का त्याग करते हैं, और अपने समय का अधिकांश भाग ध्यान और आध्यात्मिक अध्ययन में बिताते हैं। वे अपने अनुयायियों को सामाजिक जीवन में न्याय, समानता, और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

“1827 दिगम्बर ऑर दिगम्बर मुनि” की समीक्षा

“1827 दिगम्बर ऑर दिगम्बर मुनि” एक उत्कृष्ट पुस्तक है जो दिगंबर संप्रदाय के जीवन और शिक्षाओं को समझने में मदद करती है। लेखक की भाषा सरल और प्रवाहयुक्त है, जो पाठक को आसानी से इस विषय को समझने में मदद करती है। पुस्तक में उल्लेखित ऐतिहासिक तथ्य और कहानियाँ दिगंबर संप्रदाय के अतीत और वर्तमान को जोड़ती हैं।

निष्कर्ष

“1827 दिगम्बर ऑर दिगम्बर मुनि” एक मूल्यवान पुस्तक है जो दिगंबर संप्रदाय के इतिहास, उनके धार्मिक विचारों, और उनके जीवन शैली के बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करती है। यह पुस्तक जैन धर्म के इतिहास और फिलॉसफी में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

संदर्भ

  1. जैन धर्म का इतिहास
  2. दिगम्बर संप्रदाय
  3. श्वेतांबर संप्रदाय
  4. जैन धर्म के पांच मूल सिद्धांत

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1827 Digambar Or Digambar Muni by Jain,babu Kamata Prasad

Title: 1827 Digambar Or Digambar Muni
Author: Jain,babu Kamata Prasad
Subjects: Banasthali
Language: hin
1827 Digambar Or Digambar Muni
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 300
Added Date: 2017-01-21 08:44:57

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