देव और बिहारी | Dev Aur Bihari | कृष्णबिहारी मिश्र – KrishnaBihari Mishra
“देव और बिहारी” एक अद्भुत रचना है, जो एक पाठक को हिंदी साहित्य के गहन अध्ययन में ले जाती है। कृष्णबिहारी मिश्र ने भाषा और शैली के साथ अद्भुत प्रयोग किया है, जो इस पुस्तक को और अधिक आकर्षक बनाता है।
देव और बिहारी: तुलनात्मक और आलोचनात्मक दृष्टिकोण
कृष्णबिहारी मिश्र द्वारा लिखित “देव और बिहारी” एक महत्वपूर्ण तुलनात्मक और आलोचनात्मक कृति है जो हिंदी साहित्य के दो महान कवियों, सूरदास और बिहारी लाल के कामों की गहराई से पड़ताल करती है। यह पुस्तक न केवल उनके कामों के बीच समानताओं और अंतरों का विश्लेषण करती है बल्कि उनकी रचनात्मकता और कलात्मकता के मूल्यांकन पर भी प्रकाश डालती है।
सूरदास और बिहारी: दो अलग-अलग रास्ते
सूरदास और बिहारी लाल, दोनों हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित नाम हैं जिन्होंने अपनी अनूठी शैलियों और विषयों के माध्यम से एक अमिट छाप छोड़ी है। सूरदास, भक्ति काल के प्रमुख कवि, अपनी भक्ति भावना और कृष्ण के प्रति अनूठे प्रेम के लिए जाने जाते हैं। उनकी रचनाओं में कृष्ण की लीलाओं का चित्रण, भक्ति की गहनता, और मानवीय भावनाओं का अद्भुत संयोजन देखने को मिलता है।
वहीं दूसरी ओर, बिहारी लाल, रीति काल के प्रमुख कवि, अपने प्रेम विषयक रचनाओं और सूक्तियों के लिए जाने जाते हैं। उनकी शैली कविता में नीति, शिष्टाचार और जीवन के दर्शन को दर्शाती है। उनकी रचनाओं में प्रेम की विविधता, मानवीय मनोविज्ञान की सूक्ष्मता, और भाषा की कलात्मकता साफ तौर पर नज़र आती है।
“देव और बिहारी” में क्या है?
कृष्णबिहारी मिश्र की “देव और बिहारी” इस बात पर प्रकाश डालती है कि सूरदास और बिहारी लाल, दोनों ने अपनी कला और रचनात्मकता के माध्यम से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। पुस्तक में उनके कामों के बीच प्रमुख समानताएँ और अंतरों का विश्लेषण किया गया है, जैसे:
- भाषा और शैली: सूरदास की भाषा सरल और भावपूर्ण है, जबकि बिहारी की भाषा अलंकारिक और नीतिपरक।
- विषय वस्तु: सूरदास भक्ति भावना से ओतप्रोत हैं, जबकि बिहारी प्रेम और जीवन-दर्शन को उजागर करते हैं।
- काव्य रचना: सूरदास की कविताएँ प्राणवान और भावुक हैं, जबकि बिहारी की कविताएँ नीतिपरक और विचारोत्तेजक।
इस पुस्तक में दोनों कवियों की रचनाओं की तुलनात्मक और आलोचनात्मक विश्लेषण के माध्यम से, कृष्णबिहारी मिश्र हिंदी साहित्य की समृद्धता और कविताओं में छिपे अर्थों का खुलासा करते हैं।
“देव और बिहारी” का महत्व
“देव और बिहारी” हिंदी साहित्य में तुलनात्मक अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह दो महान कवियों के कामों को सांस्कृतिक और साहित्यिक परिप्रेक्ष्य में पेश करती है, और हिंदी भाषा के विकास पर प्रकाश डालती है। यह पुस्तक हिंदी साहित्य के छात्रों और साहित्य प्रेमियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
“देव और बिहारी” का निष्कर्ष
“देव और बिहारी” एक आकर्षक और ज्ञानवर्धक पुस्तक है जो हिंदी साहित्य की समृद्धि का अनुभव करने का एक अनोखा अवसर प्रदान करती है। यह पुस्तक कविताओं की गहराई में उतरने और उनकी अर्थपूर्ण सौंदर्य को समझने में सहायक होती है।
संदर्भ:
नोट:
- यह ब्लॉग पोस्ट “देव और बिहारी” पुस्तक के बारे में विशिष्ट जानकारी और अतिरिक्त संदर्भों को शामिल करने के लिए अपने विवेक से संशोधित और विस्तारित की जा सकती है।
Dev Aur Vihar (tulnatmak Aur Alochan) by Shri Kirshan Bihar |
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Title: | Dev Aur Vihar (tulnatmak Aur Alochan) |
Author: | Shri Kirshan Bihar |
Subjects: | Banasthali |
Language: | hin |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 300 |
Added Date: | 2017-01-19 12:16:24 |