[PDF] निखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन | Nikhil Bharatiya Ayurved Maha Sammelan | उपेन्द्रनाथ दास - Upendranath Das | eBookmela

निखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन | Nikhil Bharatiya Ayurved Maha Sammelan | उपेन्द्रनाथ दास – Upendranath Das

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यह किताब आयुर्वेद के क्षेत्र में गहरी रुचि रखने वालों के लिए एक अनमोल खजाना है। इसमें आयुर्वेद के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी गई है। इस किताब को पढ़कर आप आयुर्वेद के बारे में नयी-नयी बातें सीखेंगे और यह जान पाएंगे कि यह प्राचीन चिकित्सा पद्धति आज भी कितनी प्रासंगिक है।

“निखिल भारतीय आयुर्वेद महा सम्मेलन”: आयुर्वेद के पुनर्जागरण का प्रमाण

आयुर्वेद, प्राचीन भारत की एक समृद्ध चिकित्सा प्रणाली, सदियों से मानव स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देती रही है। “निखिल भारतीय आयुर्वेद महा सम्मेलन” इसी आयुर्वेदिक ज्ञान के पुनर्जागरण का प्रमाण है, जो 1930 के दशक में उपेन्द्रनाथ दास के नेतृत्व में शुरू हुआ। इस लेख में हम इस सम्मेलन के इतिहास, उद्देश्यों और आयुर्वेद को बढ़ावा देने में इसके योगदान को समझेंगे।

उपेन्द्रनाथ दास: आयुर्वेद के पुनर्जागरण के अग्रणी

उपेन्द्रनाथ दास एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक, शिक्षक और समाजसेवी थे जिन्होंने आयुर्वेद के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका मानना था कि आयुर्वेद सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है जो मानव जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करती है। उन्होंने आयुर्वेद के ज्ञान को लोकप्रिय बनाने और इसके व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए।

निखिल भारतीय आयुर्वेद महा सम्मेलन: उद्देश्य और गतिविधियाँ

निखिल भारतीय आयुर्वेद महा सम्मेलन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेदिक ज्ञान को संरक्षित करना, इसका प्रचार-प्रसार करना और इसे आधुनिक समय की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित करना था। सम्मेलन ने विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से इस उद्देश्य को प्राप्त करने का प्रयास किया:

  • शोध और विकास: सम्मेलन ने आयुर्वेदिक औषधियों के शोध और विकास पर जोर दिया, नए औषधीय पौधों की खोज की और आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए नए तरीके विकसित किए।
  • शिक्षा और प्रशिक्षण: सम्मेलन ने आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया। इसने कई आयुर्वेदिक कॉलेज और संस्थानों की स्थापना की और योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सकों का प्रशिक्षण दिया।
  • जन जागरूकता: सम्मेलन ने जनता को आयुर्वेद के महत्व और लाभों के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए। इसने आयुर्वेदिक चिकित्सा के बारे में पुस्तकें, पत्रिकाएँ और अन्य प्रकाशन प्रकाशित किए।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सम्मेलन ने आयुर्वेद के ज्ञान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैलाने के लिए अन्य देशों के आयुर्वेदिक संगठनों के साथ सहयोग किया।

आयुर्वेद के विकास में सम्मेलन का योगदान

निखिल भारतीय आयुर्वेद महा सम्मेलन ने आयुर्वेद के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह सम्मेलन आयुर्वेदिक ज्ञान के संरक्षण और प्रसार का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। इसने आयुर्वेदिक शिक्षा, शोध और चिकित्सा के क्षेत्र में नए मानकों को स्थापित किया है। आज, आयुर्वेद वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय हो रहा है, और निखिल भारतीय आयुर्वेद महा सम्मेलन को इस लोकप्रियता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय जाता है।

आयुर्वेद का भविष्य

आयुर्वेद के भविष्य उज्जवल है। आधुनिक विज्ञान द्वारा आयुर्वेदिक औषधियों और उपचारों की प्रभावशीलता को सिद्ध किया जा रहा है। निखिल भारतीय आयुर्वेद महा सम्मेलन जैसे संगठन इस क्षेत्र में नए शोध और विकास को प्रोत्साहित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक ज्ञान का संरक्षण और प्रसार जारी रखकर, हम मानवता को एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन प्रदान कर सकते हैं।

संदर्भ:

नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। चिकित्सा संबंधी किसी भी सलाह के लिए कृपया किसी योग्य चिकित्सक से संपर्क करें।

Nikhil Bharatiya Ayurved Maha Sammelan by Not Available

Title: Nikhil Bharatiya Ayurved Maha Sammelan
Author: Not Available
Subjects: Banasthali
Language: hin
Nikhil Bharatiya Ayurved Maha Sammelan
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 300
Added Date: 2017-01-20 05:07:16

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