नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः | Nrisimha Prasada – Vyavaharasaara | दलपतिराज – Dalpatiraj, विनायक शास्त्री टिल्लू – Vinayak Shastri Tillu
नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः
एक अद्भुत ग्रंथ! ‘नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः’ मुझे बहुत पसंद आया। इसमें व्यवहार संबंधी बहुत महत्वपूर्ण बातें बहुत ही सुंदर और सरल भाषा में लिखी गई हैं। यह ग्रंथ न केवल व्यवहार संबंधित ज्ञान देता है बल्कि जीवन के मूल्यों को भी समझने में मदद करता है।
नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः: एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका
‘नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः’ एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है, जो व्यवहार के मूलभूत सिद्धांतों पर प्रकाश डालता है। इस ग्रंथ के लेखक गोपीनाथ कविराज हैं, जो व्यवहार शास्त्र के जाने-माने विद्वान थे। इस ग्रंथ में व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार, नैतिकता, धर्म, कर्तव्य, और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई है।
इस ग्रंथ की खासियत यह है कि यह सिद्धांतों को व्यावहारिक जीवन से जोड़ता है। इसमें कई उदाहरण और कथाएँ दी गई हैं, जो सामान्य व्यक्ति के लिए ग्रंथ को समझने में सहायक हैं। इस ग्रंथ में वर्णित सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं, और इन सिद्धांतों को अपनाकर हम अपने जीवन को और बेहतर बना सकते हैं।
नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः के कुछ प्रमुख बिंदु:
- नैतिकता और धर्म: ग्रंथ नैतिकता और धर्म के महत्व पर जोर देता है। यह बताता है कि नैतिकता और धर्म व्यक्ति के जीवन को कैसे सफल और सार्थक बना सकते हैं।
- व्यक्तिगत विकास: इस ग्रंथ में व्यक्तिगत विकास के बारे में बहुत महत्वपूर्ण बातें कही गई हैं। यह बताता है कि व्यक्ति अपने चरित्र, ज्ञान, और कर्मों को कैसे सुधार सकता है।
- सामाजिक सद्भाव: ग्रंथ सामाजिक सद्भाव के महत्व पर भी प्रकाश डालता है। यह बताता है कि कैसे समाज में सभी व्यक्तियों के बीच सद्भाव और एकता कायम की जा सकती है।
- व्यवहार के नियम: ग्रंथ में व्यवहार के कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं। ये नियम समाज में सौहार्द और सुचारू व्यवहार के लिए महत्वपूर्ण हैं।
नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः को कैसे पढ़ें:
इस ग्रंथ को पढ़ने के लिए आप संस्कृत भाषा का ज्ञान होना जरूरी है। अगर आप संस्कृत भाषा नहीं जानते, तो आप इसके अनुवाद का सहारा ले सकते हैं। इसके कई अनुवाद विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध हैं।
नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः का महत्व:
‘नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः’ एक अद्भुत ग्रंथ है, जो आज भी प्रासंगिक है। यह ग्रंथ आपको अपने व्यवहार को सुधारने, अपने जीवन को सार्थक बनाने, और समाज में एक बेहतर व्यक्ति बनने में मदद कर सकता है।
नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः को कहाँ से प्राप्त करें:
आप इस ग्रंथ को ऑनलाइन या किसी भी पुस्तक की दुकान से प्राप्त कर सकते हैं। इस ग्रंथ का PDF संस्करण भी मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है। आप Google पर “नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः PDF” टाइप करके इस ग्रंथ का PDF संस्करण डाउनलोड कर सकते हैं।
इस ग्रंथ में उल्लेखनीय व्यक्तित्व:
- दलपतिराज – दलपतिराज एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान थे। उन्होंने ‘नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः’ को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- विनायक शास्त्री टिल्लू – विनायक शास्त्री टिल्लू संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान थे। उन्होंने ‘नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः’ का सम्पादन और टिप्पणी की।
संदर्भ:
- Nrisimha Prasada Vyavahara Sara – DLI
- [नृसिंहप्रसादः – व्यवहारसारः – ईमेल संस्करण](https://www.ebookmela.co.in/?s=The Nrisimha Prasada Vyavahara Sara 1934)
ध्यान दें: यह लेख संस्कृत साहित्य के प्रति रुचि जगाने के लिए लिखा गया है। यदि आप संस्कृत साहित्य के अधिक जानकारी चाहते हैं, तो आप किसी विद्वान से संपर्क कर सकते हैं।
The Nrisimha Prasada Vyavahara Sara 1934 by Gopi Natha Kaviraja |
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Title: | The Nrisimha Prasada Vyavahara Sara 1934 |
Author: | Gopi Natha Kaviraja |
Subjects: | IIIT |
Language: | san |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 600 |
Added Date: | 2017-01-26 01:49:01 |