प्राचीन मुद्रा | Prachin Mudra | राखालदास वंद्योपाध्याय – Rakhaldas Vandyopadhyay
प्राचीन मुद्रा : एक अद्भुत ग्रंथ
यह पुस्तक प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति के बारे में जानने के लिए एक अनमोल खजाना है। मुद्राओं के माध्यम से, हम प्राचीन समय की अर्थव्यवस्था, कला, और समाज की झलक देख सकते हैं। इसके अलावा, पुस्तक में दिए गए चित्र और विवरण मुद्राओं के अध्ययन को और भी रोमांचक बनाते हैं।
प्राचीन मुद्रा: भारतीय इतिहास की खोज
“प्राचीन मुद्रा” – यह नाम सुनते ही हमारे मन में प्राचीन भारत की तस्वीर उभरती है, जहाँ राजाओं के शासनकाल, सभ्यता के विकास, और व्यापार के जाल बिछे हुए थे। यह पुस्तक, Aujha, Gaurishankar, Heerashankar द्वारा लिखी गई, भारतीय इतिहास के इस महत्वपूर्ण पहलू को उजागर करती है। मुद्राओं के माध्यम से, हम प्राचीन भारत की सभ्यता, कला, और अर्थव्यवस्था की गहराई में उतर सकते हैं।
मुद्राएँ: इतिहास की खामोश गवाह
मुद्राएँ सिर्फ पैसे ही नहीं हैं; वे इतिहास की खामोश गवाह हैं। ये छोटे से छोटे धातु के टुकड़े हमें राजाओं के शासनकाल, प्राचीन समय की कला, व्यापार के विस्तार, और सामाजिक जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। “प्राचीन मुद्रा” इस पहलू को विशेष रूप से उजागर करती है, मुद्राओं के इतिहास को विशिष्ट रूप से वर्णित करते हुए।
पुस्तक का विशेषताएँ
- विशिष्ट विश्लेषण: “प्राचीन मुद्रा” सिर्फ मुद्राओं का संक्षिप्त वर्णन नहीं करती है, बल्कि उनका विशिष्ट विश्लेषण करती है। इसमें मुद्राओं के इतिहास, निर्माण, प्रकार, और समाज में उनके महत्व पर गहन चर्चा की गई है।
- चित्रों का प्रयोग: पुस्तक में अनेक चित्रों का प्रयोग किया गया है जो पाठक को मुद्राओं के अध्ययन में मदद करते हैं। ये चित्र मुद्राओं के डिजाइन, अक्षरों, और प्रतीकों को सहज रूप से समझने में सहायक होते हैं।
- विद्वतापूर्ण शैली: पुस्तक की शैली बहुत ही विद्वतापूर्ण है, पर पाठक के लिए सुगम भी। यह शैली पाठक को प्राचीन मुद्राओं के विषय में गहन ज्ञान प्रदान करती है बिना किसी जटिलता के।
“प्राचीन मुद्रा” को पढ़ने के फायदे
- इतिहास की गहरी समझ: पुस्तक पाठक को प्राचीन भारत के इतिहास की गहरी समझ प्रदान करती है। मुद्राओं के माध्यम से हम प्राचीन समय की अर्थव्यवस्था, कला, और समाज की झलक देख सकते हैं।
- नए ज्ञान का आर्जन: पुस्तक पाठक को नए ज्ञान का आर्जन करने का अवसर प्रदान करती है। इसमें मुद्राओं के बारे में ऐसी जानकारी दी गई है जो शायद पाठक को पहले नहीं पता थी।
- शोध कार्य के लिए महत्वपूर्ण: इतिहास, पुरातत्व, और अर्थशास्त्र के छात्रों के लिए “प्राचीन मुद्रा” एक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ है। इसमें प्राचीन मुद्राओं के बारे में विशिष्ट और विद्वतापूर्ण जानकारी दी गई है जो उनके शोध कार्य में बहुत उपयोगी हो सकती है।
“प्राचीन मुद्रा” के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- पुस्तक में प्राचीन भारत की विभिन्न कालीन मुद्राओं का वर्णन किया गया है, जिसमें मौर्य काल, शक काल, और गुप्त काल की मुद्राएँ शामिल हैं।
- पुस्तक में मुद्राओं के निर्माण, प्रकार, और महत्व के बारे में विशिष्ट जानकारी दी गई है।
- पुस्तक का भाषा सरल और सुगम है, जो किसी भी पाठक के लिए समझने में आसान है।
- पुस्तक में चित्रों का प्रयोग पाठक के लिए अध्ययन को और भी रोमांचक बनाता है।
निष्कर्ष
“प्राचीन मुद्रा” सिर्फ एक पुस्तक नहीं है, बल्कि प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति की खोज का एक अवसर है। यह पुस्तक पाठक को मुद्राओं के माध्यम से प्राचीन समय की अर्थव्यवस्था, कला, और समाज की गहरी समझ प्रदान करती है। यह पुस्तक इतिहास, पुरातत्व, और अर्थशास्त्र के छात्रों और प्राचीन भारत के इतिहास में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक अनमोल खजाना है।
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संदर्भ
यह पुस्तक आप के लिए एक अनमोल खजाना हो सकती है!
Prachin Mudra by Aujha, Gaurishankar, Heerashankar |
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Title: | Prachin Mudra |
Author: | Aujha, Gaurishankar, Heerashankar |
Subjects: | Banasthali |
Language: | hin |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 300 |
Added Date: | 2017-01-20 09:47:17 |