ब्रह्मावर्त क्षेत्र की लोक कलाए एवं लोक संगीत वैशिष्टय | Brahmavart Kshetra Ki Lok Kalain Avam Lok Sangeet | आन्श्वना सक्सेना – Anshwana Saxena
ब्रह्मावर्त क्षेत्र की लोक कलाए एवं लोक संगीत वैशिष्टय: एक सम्मोहक यात्रा
यह पुस्तक ब्रह्मावर्त क्षेत्र की समृद्ध लोक कलाओं और लोक संगीत को गहराई से उजागर करती है। लेखक, आन्श्वना सक्सेना, इस क्षेत्र की कला और संस्कृति को जीवंत भाषा और समृद्ध विवरणों के साथ पेश करते हैं। विभिन्न लोकगीतों, नृत्यों, और शिल्पों का वर्णन उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और सांस्कृतिक महत्व के साथ किया गया है। पुस्तक में विभिन्न प्रकार की तस्वीरों और रेखाचित्रों का समावेश किया गया है जो पाठकों को इस क्षेत्र की समृद्ध कला और संस्कृति के बारे में और अधिक समझ प्रदान करता है। ब्रह्मावर्त क्षेत्र के प्रति उत्साही पाठकों के लिए यह पुस्तक एक अनमोल खजाना है।
ब्रह्मावर्त क्षेत्र की लोक कलाएँ एवं लोक संगीत: एक गहन खोज
ब्रह्मावर्त क्षेत्र, प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, अपनी समृद्ध संस्कृति और कला परंपराओं के लिए जाना जाता है। “ब्रह्मावर्त क्षेत्र की लोक कलाएँ एवं लोक संगीत” पुस्तक, आन्श्वना सक्सेना द्वारा लिखी गई, इस क्षेत्र की लोक कलाओं और लोक संगीत के विशिष्ट पहलुओं का एक गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक ब्रह्मावर्त क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास, सामाजिक संरचना और जनजीवन को समझने में एक मूल्यवान मार्गदर्शक बनती है।
पुस्तक में विभिन्न प्रकार की लोक कलाएँ, नृत्य और संगीत शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं:
- लोकगीत: यह पुस्तक विभिन्न प्रकार के लोकगीतों, जैसे कि भजन, लोकगीत, और सामाजिक गीतों का वर्णन करती है जो इस क्षेत्र की जनजीवन, जीवन शैली और सामाजिक मूल्यों को दर्शाते हैं।
- नृत्य: ब्रह्मावर्त क्षेत्र की नृत्य परंपराएँ, जैसे कि झूला नृत्य, डांडिया नृत्य और फाग नृत्य, अपनी अनूठी शैली और संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं। पुस्तक इन नृत्यों के उत्पत्ति, महत्व और प्रदर्शन की शैलियों पर प्रकाश डालती है।
- शिल्प: ब्रह्मावर्त क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के शिल्प, जैसे कि मिट्टी के बर्तन, लकड़ी के शिल्प, और वस्त्र कलाएँ, अपनी अनूठी तकनीकों और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए जाने जाते हैं। पुस्तक इन शिल्पों के इतिहास, सांस्कृतिक महत्व और उनकी कलात्मकता का गहराई से विश्लेषण करती है।
पुस्तक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा की गई है:
- ब्रह्मावर्त क्षेत्र की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: पुस्तक ब्रह्मावर्त क्षेत्र के ऐतिहासिक विकास, सांस्कृतिक प्रभावों और विभिन्न राज्यों के शासनकाल का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करती है।
- सामाजिक संरचना: पुस्तक ब्रह्मावर्त क्षेत्र की सामाजिक संरचना, जातियों, व्यवसायों और परंपराओं के महत्व पर प्रकाश डालती है।
- जनजीवन: पुस्तक ब्रह्मावर्त क्षेत्र के ग्रामीण और शहरी जीवन, रीति-रिवाजों, त्योहारों और समारोहों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
“ब्रह्मावर्त क्षेत्र की लोक कलाएँ एवं लोक संगीत” की सबसे उल्लेखनीय विशेषता है, इसकी शोध आधारित जानकारी और विभिन्न लोक कलाओं और लोक संगीत के बारे में विस्तृत विवरण। पुस्तक में विभिन्न प्रकार की तस्वीरें और रेखाचित्रों का समावेश किया गया है जो पाठकों को इस क्षेत्र की समृद्ध कला और संस्कृति के बारे में और अधिक समझ प्रदान करता है।
यह पुस्तक विभिन्न समूहों के लिए उपयोगी है, जिनमें शामिल हैं:
- शोधकर्ता: ब्रह्मावर्त क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास और लोक कलाओं में रुचि रखने वाले शोधकर्ताओं के लिए यह पुस्तक एक अनमोल संसाधन है।
- छात्र: भारत की कला और संस्कृति की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह पुस्तक एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
- संगीत और कला प्रेमी: ब्रह्मावर्त क्षेत्र की लोक कलाओं और लोक संगीत में रुचि रखने वाले संगीत और कला प्रेमियों के लिए यह पुस्तक एक आकर्षक और ज्ञानवर्धक अनुभव प्रदान करेगी।
- सामान्य जनता: ब्रह्मावर्त क्षेत्र की समृद्ध कला और संस्कृति के बारे में जानने के इच्छुक सभी के लिए यह पुस्तक एक मूल्यवान स्रोत है।
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संदर्भ:
- [संदर्भ 1 का लिंक]
- [संदर्भ 2 का लिंक]
- [संदर्भ 3 का लिंक]
निष्कर्ष:
“ब्रह्मावर्त क्षेत्र की लोक कलाएँ एवं लोक संगीत” पुस्तक, आन्श्वना सक्सेना द्वारा लिखी गई, ब्रह्मावर्त क्षेत्र की समृद्ध कला और संस्कृति को जीवंत भाषा और समृद्ध विवरणों के साथ पेश करती है। यह पुस्तक इस क्षेत्र की कला और संस्कृति को समझने में एक मूल्यवान मार्गदर्शक है और सभी के लिए एक अनमोल खजाना है जो इस क्षेत्र की समृद्ध विरासत को जानना चाहते हैं।
Brahmavart Kshetra Ki Lok Kalain Avam Lok Sangeet by Aanshwana Saxena |
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Title: | Brahmavart Kshetra Ki Lok Kalain Avam Lok Sangeet |
Author: | Aanshwana Saxena |
Subjects: | IIIT |
Language: | hin |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 600 |
Added Date: | 2017-01-26 20:49:49 |