यशस्तिलकम् – पूर्वखण्डम् | Yashastilakam – Purvakhandam | केदारनाथ शर्मा – Kedarnath Sharma, वासुदेव शर्मा – Vasudev Sharma, सोमदेव सूरी – Somdeva Suri
यशस्तिलकम् – पूर्वखण्डम्: एक शानदार साहित्यिक यात्रा
यह संस्कृत साहित्य का एक अद्भुत रत्न है, जो अपनी कथा, दर्शन और भाषा की सुंदरता से पाठक को मोहित कर लेता है। पूर्वखण्डम्, अपनी रमणीय शैली और गहन अर्थों से भरपूर, एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है। हर पृष्ठ पर आप एक नया आयाम खोजेंगे जो आपको जगत, जीवन और आत्मा की गहराई में ले जाएगा।
यशस्तिलकम् – पूर्वखण्डम्: एक अनूठा साहित्यिक रत्न
यशस्तिलकम्, जैन कवि सोमदेव सूरी द्वारा रचित संस्कृत भाषा की एक महान महाकाव्य है, जिसका महत्व और लोकप्रियता सदियों से बनी हुई है। यह महाकाव्य अपनी अनूठी कथा, साहित्यिक शैली और जटिल दर्शन के लिए प्रसिद्ध है।
यशस्तिलकम् के दो भाग हैं: पूर्वखण्डम् और उत्तरखण्डम्। पूर्वखण्डम् एक अद्भुत कहानी है जो किंग विक्रमादित्य और उनके राज्य उज्जयिनी के साथ जुड़ी हुई है। कहानी उनकी राजनीतिक कुशलता और न्याय के प्रति समर्पण के इर्द-गिर्द घूमती है।
लेखक और रचना का इतिहास
यशस्तिलकम् के लेखक, सोमदेव सूरी, 12वीं शताब्दी में जैन धर्म के एक प्रख्यात विद्वान और कवि थे। उन्होंने इस महाकाव्य को राजस्थान के जोधपुर में रचित किया था। यशस्तिलकम् के लेखन का उद्देश्य जैन धर्म के सिद्धांतों को प्रसारित करना था और राजा विक्रमादित्य के चरित्र के माध्यम से नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना था।
पूर्वखण्डम् की कथा
पूर्वखण्डम् की कहानी किंग विक्रमादित्य और उनकी राजधानी उज्जयिनी से शुरू होती है। कहानी में विक्रमादित्य के विभिन्न प्रकार के परीक्षणों और उनके न्याय के प्रति समर्पण को दिखाया गया है। वह अपनी बुद्धि, साहस और न्याय के माध्यम से अपने राज्य को सुरक्षित रखता है। पूर्वखण्डम् में कई प्रसिद्ध कथाएँ जैसे “सिंहस्वामी” और “बेताल की कहानाएँ” का उल्लेख है।
यशस्तिलकम् का साहित्यिक महत्व
यशस्तिलकम् अपनी साहित्यिक शैली के लिए प्रसिद्ध है। यह एक प्रसिद्ध “काव्य” है, जिसका अर्थ है कि यह एक अच्छे कविता में रचा गया है। सोमदेव सूरी ने अपनी कविता में एक बहुत ही सटीक और रमणीय भाषा का इस्तेमाल किया है। उनकी शब्दावली और छंदों का चयन बहुत ही सुंदर है और यह पाठक के मन पर एक गहरा प्रभाव छोड़ता है।
यशस्तिलकम् का दर्शन
यशस्तिलकम् में जैन धर्म के सिद्धांतों को प्रमुखता से दिखाया गया है। यह काव्य नैतिक मूल्यों, अहिंसा और कर्म के सिद्धांत पर जोर देता है। यह पाठक को समाज में नैतिकता और न्याय के महत्व को समझने में मदद करता है।
यशस्तिलकम् के लोकप्रियता
यशस्तिलकम् की लोकप्रियता का कारण इसकी कहानी की आकर्षकता और नैतिक मूल्यों का प्रभाव है। यह काव्य आज भी बहुत ही प्रभावशाली है और यह एक अद्भुत साहित्यिक रत्न है जो सदियों से पाठकों को मोहित करता आ रहा है।
यशस्तिलकम् के अनुवाद
यशस्तिलकम् का अनुवाद अनेक भाषाओं में किया गया है जैसे हिंदी, अंग्रेजी और मराठी। इस काव्य के अनुवाद ने इसके लोकप्रियता को और बढ़ाया है और यह अब विश्व भर के पाठकों के लिए उपलब्ध है।
यशस्तिलकम् – पूर्वखण्डम् को कैसे डाउनलोड करें
यशस्तिलकम् – पूर्वखण्डम् का पीडीएफ फाइल आप कई वेबसाइटों से मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं। आप इंटरनेट पर “यशस्तिलकम् – पूर्वखण्डम् पीडीएफ डाउनलोड” सर्च करके इस काव्य की कॉपी प्राप्त कर सकते हैं।
यशस्तिलकम् का अध्ययन करने के फायदे
यशस्तिलकम् का अध्ययन करने से आपको निम्नलिखित फायदे होंगे:
- आप संस्कृत भाषा और साहित्य के बारे में जानेंगे।
- आप जैन धर्म के सिद्धांतों को समझेंगे।
- आप नैतिक मूल्यों और कर्म के महत्व को समझेंगे।
- आप एक अद्भुत कहानी का आनंद लेंगे।
निष्कर्ष
यशस्तिलकम् – पूर्वखण्डम् एक अद्भुत साहित्यिक रत्न है जो अपनी कथा, दर्शन और भाषा की सुंदरता से पाठक को मोहित कर लेता है। यह काव्य आज भी बहुत ही प्रभावशाली है और यह एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है।
संदर्भ
- https://en.wikipedia.org/wiki/Yashastilaka
- https://www.jainsamaj.org/library/books/yashastilakam.html
- https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.486180
Part 1 by M.P. Sivadatta |
|
Title: | Part 1 |
Author: | M.P. Sivadatta |
Subjects: | IIIT |
Language: | san |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 600 |
Added Date: | 2017-01-26 02:07:20 |