वाल्मीकीय रामायणम् – उत्तरकाण्डम् | Valmikiya Ramayanam – Uttarakandam | पीताम्बरदत्त शास्त्री – Pitambardutt Shastri, महर्षि वाल्मीकि – Maharshi valmiki, विश्वबन्धु शास्त्री – Vishwabandhu Shastri
वाल्मीकीय रामायणम् – उत्तरकाण्डम् | Valmikiya Ramayanam – Uttarakandam
यह उत्तरकाण्ड का बेहतरीन संस्करण है, जो पीताम्बरदत्त शास्त्री द्वारा भाषांतरित किया गया है। शास्त्रीजी की सरल और प्रभावशाली भाषा के साथ, महर्षि वाल्मीकि की कविता जीवंत हो जाती है। विश्वबन्धु शास्त्री जी की टिप्पणियाँ पाठ को समझने और गहराई से जानने में बहुत मददगार हैं।
वाल्मीकीय रामायणम् – उत्तरकाण्डम्: एका शानदार संस्करण
वाल्मीकी रामायणम, हिंदू धर्म का एक महान ग्रंथ है, जो रामायण की कहानी बताता है। यह ग्रंथ सात कांडों में विभाजित है, जिनमें से उत्तरकाण्ड सबसे छोटा, लेकिन महत्वपूर्ण है। यह कांड, रामायण की कहानी के बाद के घटनाक्रम को बयान करता है, जिसमें श्री राम का पृथ्वी से स्वर्ग लौटना और अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं शामिल हैं।
इस संस्करण को पीताम्बरदत्त शास्त्री द्वारा भाषांतरित किया गया है। शास्त्रीजी एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान थे और उनका भाषांतर बहुत ही सरल और प्रभावशाली है। इस संस्करण में विश्वबन्धु शास्त्री जी की टिप्पणियाँ भी शामिल हैं, जो पाठ को समझने और गहराई से जानने में बहुत मददगार हैं।
उत्तरकाण्ड के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:
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रामायण की कहानी के बाद के घटनाक्रम: उत्तरकाण्ड में रामायण की कहानी के बाद के घटनाक्रम को बयान किया गया है, जिसमें श्री राम का पृथ्वी से स्वर्ग लौटना, अयोध्या में उनका राज्याभिषेक, और कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं शामिल हैं।
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श्री राम का स्वर्ग लौटना: उत्तरकाण्ड में श्री राम का पृथ्वी से स्वर्ग लौटना का वर्णन किया गया है। उनके साथ सीता जी और लक्ष्मण जी भी स्वर्ग लौटते हैं।
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अयोध्या में राज्याभिषेक: श्री राम के स्वर्ग लौटने के बाद उनके बेटे कुश और लव अयोध्या के राजकुमार घोषित होते हैं। यह भी बताया जाता है कि श्री राम का राज्याभिषेक किस तरह से हुआ था।
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महर्षि वाल्मीकि की लेखन शैली: महर्षि वाल्मीकि की लेखन शैली बहुत ही अद्भुत है। वे कहानी को बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण ढंग से बयान करते हैं। उनकी कविता बहुत ही मनमोहक और ज्ञानवर्धक है।
यह संस्करण क्यों महत्वपूर्ण है?
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सरल भाषा: शास्त्रीजी की भाषा बहुत ही सरल है, जिससे पाठ को समझना बहुत आसान हो जाता है।
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प्रभावशाली भाषांतर: शास्त्रीजी ने महर्षि वाल्मीकि की कविता का बहुत ही प्रभावशाली भाषांतर किया है। उनके भाषांतर से कविता और भी अधिक जीवंत हो जाती है।
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विश्वबन्धु शास्त्री जी की टिप्पणियाँ: विश्वबन्धु शास्त्री जी की टिप्पणियाँ पाठ को समझने और गहराई से जानने में बहुत मददगार हैं। वे पाठ के महत्व को स्पष्ट करते हैं और उसके सामाजिक और धार्मिक महत्व को समझाते हैं।
यह संस्करण किसे पढ़ना चाहिए?
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रामायण के शौकीन लोगों को: यदि आप रामायण के शौकीन हैं, तो यह संस्करण आपके लिए बहुत अच्छा विकल्प है।
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संस्कृत साहित्य के छात्रों को: संस्कृत साहित्य के छात्रों के लिए यह संस्करण बहुत ही उपयोगी है। यह संस्कृत साहित्य के गहन अध्ययन में मदद करता है।
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धार्मिक ग्रंथों के प्रेमियों को: यदि आप धार्मिक ग्रंथों के प्रेमी हैं, तो यह संस्करण आपके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प है। यह ग्रंथ आपको धार्मिक ज्ञान प्रदान करता है और आपके आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।
निष्कर्ष:
यह संस्करण वाल्मीकीय रामायणम् के उत्तरकाण्ड का एक बहुत ही अच्छा संस्करण है। पीताम्बरदत्त शास्त्री जी का भाषांतर सरल और प्रभावशाली है, और विश्वबन्धु शास्त्री जी की टिप्पणियाँ पाठ को समझने में बहुत मददगार हैं। यदि आप रामायण के शौकीन हैं, तो यह संस्करण आपके लिए एक अच्छा विकल्प है।
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संदर्भ:
नोट: इस ब्लॉग पोस्ट में संदर्भ के तौर पर उपरोक्त वेबसाइटों का उपयोग किया गया है।
Raamaayana Of Vaalmiki Uttara Kanda by Bhagavad_datta |
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Title: | Raamaayana Of Vaalmiki Uttara Kanda |
Author: | Bhagavad_datta |
Subjects: | City |
Language: | san |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 400 |
Added Date: | 2017-01-23 14:47:56 |