विक्रमोर्वशीय | Vikramorvashiya | महाकवि कालिदास – Mahakavi Kalidas
विक्रमोर्वशीय – एक शानदार नाटक
“विक्रमोर्वशीय” कालिदास जी के द्वारा लिखा गया एक अद्भुत नाटक है। नाटक के अंदर प्रेम, विरह, और सौंदर्य का सुंदर चित्रण किया गया है। यह नाटक समझने में आसान है और कई बार पढ़ने के बाद भी आनंद देता है।
विक्रमोर्वशीय: महाकवि कालिदास की एक अनूठी रचना
महाकवि कालिदास, संस्कृत साहित्य के स्वर्ण युग के शिखर पर खड़े थे। उनके नाटकों, महाकाव्यों और लघुकथाओं ने संस्कृत साहित्य को नई ऊंचाइयाँ प्रदान की। इनमें से एक अद्वितीय रचना है “विक्रमोर्वशीय”, जो एक प्रेम कहानी, रोमांच और राजनीति का मिश्रण है।
कहानी का सार:
विक्रमोर्वशीय नाटक में राजा पुरुरवा और अप्सरा उर्वशी की प्रेम कहानी को चित्रित किया गया है। उर्वशी, स्वर्ग की अप्सरा है, जो राजा पुरुरवा के प्रेम में पड़ जाती है। लेकिन उनके प्रेम के बीच कई बाधाएँ आती हैं, जो उनके विरह का कारण बनती हैं। उर्वशी को राजा पुरुरवा के प्रति अपनी आस्था, भक्ति और प्रेम की अग्नि से एक साधारण अप्सरा से मनुष्य रूप में बदलने की इच्छा होती है।
नाटक की विशेषताएं:
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प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण: कालिदास ने नाटक में प्राकृतिक सौंदर्य का बेहतरीन चित्रण किया है। प्रकृति के चित्रण के माध्यम से, नाटक में एक भावुकता और संवेदनशीलता आ जाती है।
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प्रेम की अमरता: उर्वशी और पुरुरवा के प्रेम की अमरता को नाटक में सुंदर रूप से चित्रित किया गया है। यह प्रेम अलौकिक प्रेम की एक मिसाल है।
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राजनीतिक संघर्ष: नाटक में राजनीतिक संघर्ष और शक्ति के खेल को भी दिखाया गया है, जो उस समय के सामाजिक और राजनीतिक परिवेश को दर्शाता है।
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भाषा और शैली: कालिदास ने नाटक में संस्कृत भाषा की सुंदरता और कलात्मकता को दर्शाया है। नाटक की भाषा सरल और प्रभावी है, जिसमें सटीकता और लालित्य है।
विक्रमोर्वशीय का साहित्यिक महत्व:
विक्रमोर्वशीय नाटक, कालिदास की प्रतिभा का प्रमाण है। यह नाटक अपनी अद्वितीय कहानी, प्रेम की अमरता और प्राकृतिक सौंदर्य के चित्रण के लिए प्रसिद्ध है। यह नाटक अनेक युगों से पाठकों और दर्शकों को अपना मोहक आकर्षण देता आया है।
विक्रमोर्वशीय का PDF संस्करण:
आप “विक्रमोर्वशीय” नाटक का PDF संस्करण https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.284211 से मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
विक्रमोर्वशीय एक अद्वितीय नाटक है जो प्रेम, सौंदर्य और राजनीति का सुंदर मिश्रण है। यह नाटक महाकवि कालिदास की प्रतिभा का प्रमाण है और आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि प्राचीन समय में था।
The Vikramorvasiyam A Sanskrit Play Xvi by Kalidas |
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Title: | The Vikramorvasiyam A Sanskrit Play Xvi |
Author: | Kalidas |
Subjects: | IIIT |
Language: | san |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 600 |
Added Date: | 2017-01-24 01:07:40 |