[PDF] व्याकरण महाभाष्यम् - खण्ड 3 | Vyakaranam Mahabhashyam - Vol. 3 | एफ़० कीलहोर्न - F. Kielhorn, भगवत पतञ्जलि - Bhagawat Patanjali, हरगोविन्द दास - Hargovind Das | eBookmela

व्याकरण महाभाष्यम् – खण्ड 3 | Vyakaranam Mahabhashyam – Vol. 3 | एफ़० कीलहोर्न – F. Kielhorn, भगवत पतञ्जलि – Bhagawat Patanjali, हरगोविन्द दास – Hargovind Das

0

व्याकरण महाभाष्यम् – खण्ड 3: एक अनमोल खजाना

यह पुस्तक व्याकरण के क्षेत्र में एक सच्चा खजाना है। हरगोविन्द दास द्वारा संकलित, यह भगवत पतञ्जलि के व्याकरण महाभाष्य के तीसरे खंड का उत्तम अनुवाद है। खंड में पतंजलि के व्याकरण सिद्धांतों के गहन विश्लेषण और विस्तृत व्याख्या है। यह भाषा विज्ञान के छात्रों, संस्कृत के अध्येताओं और सभी ज्ञान प्रेमी लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

व्याकरण महाभाष्यम् – खण्ड 3: पतंजलि के व्याकरण का गहन विश्लेषण

“व्याकरण महाभाष्यम् – खण्ड 3” एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जो पतंजलि के व्याकरण को गहराई से समझने में सहायक है। यह पतंजलि के व्याकरण सिद्धांतों पर F. Kielhorn के महत्वपूर्ण अनुवाद पर आधारित है। पतंजलि के व्याकरण के सटीक विश्लेषण और आधुनिक व्याख्याओं के साथ, यह पुस्तक संस्कृत व्याकरण के अध्ययन में एक अनिवार्य साधन बन गई है।

पतंजलि और व्याकरण महाभाष्य: एक समीक्षा

पतंजलि एक महान व्याकरणाचार्य थे जिन्होंने संस्कृत भाषा के व्याकरण को नई ऊंचाई दे दी। उनका “व्याकरण महाभाष्यम्” पणिनी के अष्टाध्यायी पर एक महत्वपूर्ण टीका है, जो संस्कृत व्याकरण की नींव माना जाता है। यह महाभाष्य पतंजलि की अद्वितीय बुद्धि, व्याख्या क्षमता, और भाषा के प्रति समर्पण का प्रमाण है।

“व्याकरण महाभाष्यम् – खण्ड 3” : एक अनमोल रत्न

यह खंड पतंजलि के व्याकरण के अनेक महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर विस्तृत चर्चा करता है। इसमें वर्ण वर्णन, धातु वर्णन, समास, कारक और अनेक अन्य विषयों का गहन विश्लेषण है। हरगोविन्द दास ने इस खंड का अनुवाद बहुत ही सुंदर और समझने में आसान बनाया है। इस पुस्तक का पाठ करने से संस्कृत व्याकरण के प्रति आपका प्रेम और समझ बढ़ेगा।

“व्याकरण महाभाष्यम् – खण्ड 3” का महत्व

यह पुस्तक सिर्फ एक व्याकरण की टीका नहीं है, बल्कि यह भाषा, विचार, और संस्कृति के इतिहास को समझने का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसके माध्यम से आप पतंजलि की अद्वितीय बुद्धि और व्याकरण के प्रति समर्पण को समझ सकते हैं।

निष्कर्ष:

“व्याकरण महाभाष्यम् – खण्ड 3” संस्कृत व्याकरण के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसमें पतंजलि के व्याकरण के गहन विश्लेषण और व्याख्या है। यह पुस्तक भाषा विज्ञान के छात्रों, संस्कृत के अध्येताओं और सभी ज्ञान प्रेमी लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

संदर्भ:

  • “व्याकरण महाभाष्यम् – खण्ड 3” (1885) by S.P. Hargovinddas.
  • “A Descriptive Grammar of the Sanskrit Language” (1876) by F. Kielhorn, available on Archive.org.

टीका: यह ब्लॉग पोस्ट “व्याकरण महाभाष्यम् – खण्ड 3” की महत्ता और उपयोगिता को समझाने का प्रयास करता है। यह पुस्तक सबसे महत्वपूर्ण संस्कृत व्याकरण ग्रंथों में से एक है और इसकी गहन अध्ययन से आप संस्कृत भाषा और व्याकरण के प्रति अपना ज्ञान और समझ बढ़ा सकते हैं।

The Vyakarana Mahabhashya Of Patanjali Vol Iii 1885 by S P Hargovinddas

Title: The Vyakarana Mahabhashya Of Patanjali Vol Iii 1885
Author: S P Hargovinddas
Subjects: IIIT
Language: san
व्याकरण महाभाष्यम् - खण्ड 3 | Vyakaranam Mahabhashyam - Vol. 3 
 |  एफ़० कीलहोर्न - F. Kielhorn, भगवत पतञ्जलि - Bhagawat Patanjali, हरगोविन्द दास - Hargovind Das
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 600
Added Date: 2017-01-20 08:36:50

We will be happy to hear your thoughts

Leave a reply

eBookmela
Logo