श्री एकविंशतिस्थान प्रकरणम् | Shri Ekavinshatisthana Prakaranam | सिद्धसेन सूरी – Siddhadsen Suri
श्री एकविंशतिस्थान प्रकरणम् – एक अद्भुत रचना
सिद्धसेन सूरी द्वारा रचित ‘श्री एकविंशतिस्थान प्रकरणम्’ एक ऐसा ग्रन्थ है जो ज्ञान और विद्वता का सार समेटे हुए है। इस ग्रन्थ में प्रस्तुत किए गए विचारों ने सदियों से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है, और आज भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है।
यह ग्रन्थ जैन धर्म की नींव को मजबूत करता है, और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है। सिद्धसेन सूरी के स्पष्ट और सरल भाषा ने इसे सभी वर्गों के लोगों के लिए सुलभ बनाया है।
अगर आप जैन धर्म, दर्शन, या जीवन के सच्चे अर्थ को जानना चाहते हैं, तो ‘श्री एकविंशतिस्थान प्रकरणम्’ आपके लिए एक अनिवार्य ग्रन्थ है।
श्री एकविंशतिस्थान प्रकरणम्: जैन दर्शन का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ
श्री एकविंशतिस्थान प्रकरणम् एक महत्वपूर्ण जैन धार्मिक ग्रन्थ है जिसे सिद्धसेन सूरी ने लिखा था। इस ग्रन्थ को जैन धर्म के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है, विशेष रूप से जैन दर्शन, आचार-व्यवहार और जीवन-दर्शन।
लेखक: सिद्धसेन सूरी, जो एक प्रसिद्ध जैन मुनि और लेखक थे, ने इस ग्रन्थ की रचना 12वीं शताब्दी में की थी। वे जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के थे और अपनी विद्वता और ज्ञान के लिए जाने जाते थे।
विषय-वस्तु: ‘श्री एकविंशतिस्थान प्रकरणम्’ जैन धर्म के 21 स्थानों (Ekavinshatisthana) का विस्तार से वर्णन करता है। ये स्थान जैन दर्शन के प्रमुख सिद्धांतों और अवधारणाओं को दर्शाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- त्रिरत्न: जैन धर्म के तीन रत्न (सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक आचरण)
- आत्मा: आत्मा की प्रकृति, उसके गुण और उसके पुनर्जन्म की प्रक्रिया
- कर्म: कर्म के नियम, इसके प्रकार और कर्मों के फल
- मोक्ष: मोक्ष की प्राप्ति, इसके लक्षण और मोक्ष प्राप्त करने के मार्ग
- अहिंसा: अहिंसा का महत्व, जीव हिंसा का परिणाम और जीवों के प्रति करुणा
- तीर्थंकर: तीर्थंकरों का महत्व, उनके गुण और उनकी शिक्षाएँ
- धर्म: जैन धर्म के प्रमुख नियमों और आचार-व्यवहार का वर्णन
महत्व: ‘श्री एकविंशतिस्थान प्रकरणम्’ का महत्व निम्नलिखित कारणों से है:
- दर्शन का स्पष्टीकरण: यह ग्रन्थ जैन दर्शन के विभिन्न सिद्धांतों को स्पष्ट और सुलभ भाषा में प्रस्तुत करता है।
- आचार-व्यवहार का मार्गदर्शन: ग्रन्थ जैन धर्म के आचार-व्यवहार के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
- जीवन-दर्शन का प्रेरणा स्रोत: ‘श्री एकविंशतिस्थान प्रकरणम्’ जीवन के सच्चे अर्थ को समझने और आध्यात्मिक प्रगति के लिए प्रेरणा देता है।
उपलब्धता: ‘श्री एकविंशतिस्थान प्रकरणम्’ विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है, जिनमें संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी आदि शामिल हैं। यह ग्रन्थ ऑनलाइन और पुस्तक विक्रेताओं से भी उपलब्ध है।
निष्कर्ष: ‘श्री एकविंशतिस्थान प्रकरणम्’ जैन धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली ग्रन्थ है। इसमें जैन दर्शन, आचार-व्यवहार और जीवन-दर्शन की गहरी समझ दी गई है। यह ग्रन्थ जैन धर्म के अध्येता, दर्शन के छात्रों, और जीवन के सच्चे अर्थ को जानने की इच्छा रखने वाले सभी लोगों के लिए एक अनिवार्य ग्रन्थ है।
संदर्भ:
आप यह भी पढ़ सकते हैं:
- जैन धर्म का इतिहास
- जैन धर्म के मूल सिद्धांत
- जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथ
यह जानकारी आपकी रुचि के लिए है। यदि आप जैन धर्म के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आप किसी जैन मंदिर या जैन धर्म के किसी शिक्षक से संपर्क कर सकते हैं।
Shri Ekvishatisthanprakaranam by Suri,sidhsena |
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Title: | Shri Ekvishatisthanprakaranam |
Author: | Suri,sidhsena |
Subjects: | C-DAK |
Language: | san |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 300 |
Added Date: | 2017-01-20 21:53:36 |