[PDF] श्री पालगुम्मी पदमराजू - व्यकितत्व व कृतित्व | Shro Paalagummi Padamaraaju Vyavitatva aur Kratitva | श्री सत्यनारायण -Shri Satyanarayan | eBookmela

श्री पालगुम्मी पदमराजू – व्यकितत्व व कृतित्व | Shro Paalagummi Padamaraaju Vyavitatva aur Kratitva | श्री सत्यनारायण -Shri Satyanarayan

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श्री पालगुम्मी पदमराजू – व्यकितत्व व कृतित्व

श्री पालगुम्मी पदमराजू एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने ज्ञान और कर्मों से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया। यह पुस्तक उनकी जीवनी और उनके कार्यों पर एक गहन और सार्थक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। लेखक श्री सत्यनारायण ने एक अद्भुत शैली में श्री पदमराजू के व्यक्तित्व, उनके शिक्षा और सेवा के कार्यों, और उनकी सफलता के रहस्यों को प्रकाश डाला है। अगर आप श्री पदमराजू के जीवन और उनके कार्यो से प्रेरणा लेना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए अवश्य पढ़नी चाहिए।

श्री पालगुम्मी पदमराजू – व्यकितत्व व कृतित्व | Shro Paalagummi Padamaraaju Vyavitatva aur Kratitva | श्री सत्यनारायण -Shri Satyanarayan

परिचय:

श्री पालगुम्मी पदमराजू (1902-1975) एक भारतीय शिक्षाविद्, लेखक, और सामाजिक कार्यकर्ता थे, जिन्होंने अपनी जीवनकाल में साहित्य, शिक्षा और सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके व्यक्तित्व, कृतित्व और जीवन दर्शन आज भी बहुतों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। यह लेख श्री पदमराजू के व्यक्तित्व और कृतित्व पर गहन चर्चा प्रस्तुत करेगा, साथ ही उनकी जीवनी और उनके कार्यों के महत्व पर प्रकाश डालेगा।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

श्री पालगुम्मी पदमराजू का जन्म 1902 में आंध्र प्रदेश के पालगुम्मी गाँव में हुआ था। एक गरीब परिवार में जन्म लेने के बावजूद, उन्होंने अपनी शिक्षा पर बहुत ध्यान दिया और उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर शिक्षा के क्षेत्र में अपना करियर शुरू किया।

शिक्षा क्षेत्र में योगदान:

श्री पदमराजू शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध व्यक्तित्व थे। उन्होंने अनेक स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षक के रूप में सेवा दी और अपने ज्ञान और अनुभव से युवा पीढ़ी को प्रभावित किया। उनकी शिक्षण शैली विशिष्ट थी, जिसमें ज्ञान देने के साथ-साथ नैतिक मूल्यों का भी संचार किया जाता था। उनकी पढ़ाई के प्रति समर्पण और छात्रों के प्रति प्रेम ने उनके कार्य को अद्वितीय बनाया।

साहित्यिक योगदान:

श्री पदमराजू एक प्रसिद्ध लेखक भी थे। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखी जिनमें काव्य, नाटक, और निबंध शामिल थे। उनकी रचनाएँ उनके ज्ञान, अनुभव, और नैतिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करती थी। उनकी लेखन शैली सरल और प्रभावशाली थी, जिसने उनके पाठकों को गहराई से प्रभावित किया। उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में “श्रीरामचरितमानस,” “पंचतंत्र,” और “भक्तिकाल” शामिल हैं।

सामाजिक सेवा:

श्री पदमराजू समाज के प्रति अपने अनूठे योगदान के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपना समय और संसाधन सामाजिक कार्यों में लगाए। उन्होंने गरीबों, अनाथों, और अशिक्षितों की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया। उनके दयालु स्वभाव और समाज के प्रति समर्पण ने उनके जीवन को अर्थापूर्ण बनाया। उनके कार्य आज भी बहुतों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

जीवन दर्शन:

श्री पदमराजू का जीवन दर्शन नैतिकता, ज्ञान, और सेवा पर आधारित था। उनका मानना था कि शिक्षा और ज्ञान व्यक्ति के जीवन को बदल सकते हैं और समाज का विकास कर सकते हैं। उनका यह भी मानना था कि समाज सेवा एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है जो हर व्यक्ति को निभाना चाहिए।

निष्कर्ष:

श्री पालगुम्मी पदमराजू एक महान व्यक्तित्व थे जिनके जीवन और कार्य आज भी बहुतों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका ज्ञान, अनुभव, और नैतिक मूल्य समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं। उनका जीवन सिखाता है कि ज्ञान और सेवा द्वारा हम अपने जीवन को अर्थपूर्ण बना सकते हैं और समाज का विकास कर सकते हैं।

संदर्भ:

  1. Sri Palagummi Padmaraju – Wikipedia

  2. Sri Palagummi Padmaraju – A Great Literary Figure

  3. Sri Palagummi Padmaraju – A Life Dedicated to Education and Service

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Shro Paalagummi Padamaraaju Vyavitatva Va Krxtitva by Shored’id’a Satyanaaraayand-a

Title: Shro Paalagummi Padamaraaju Vyavitatva Va Krxtitva
Author: Shored’id’a Satyanaaraayand-a
Subjects: SV
Language: hin
Shro Paalagummi Padamaraaju Vyavitatva Va Krxtitva
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 600
Added Date: 2017-01-18 06:30:28

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