[PDF] अथ बलिदान निषेध | Ath Balidan Nishedh | वैष्णव परमहंस जानकी वल्लभदास - Vaishnav Paramhans Janki Vallabhdas | eBookmela

अथ बलिदान निषेध | Ath Balidan Nishedh | वैष्णव परमहंस जानकी वल्लभदास – Vaishnav Paramhans Janki Vallabhdas

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अथ बलिदान निषेध: वैष्णव परमहंस जानकी वल्लभदास की अद्भुत शिक्षा

“अथ बलिदान निषेध” एक ऐसा ग्रंथ है जो वैष्णव परमहंस जानकी वल्लभदास की गहन शिक्षाओं को दर्शाता है। यह ग्रंथ त्याग और बलिदान के विषय में नई परिभाषा देता है। इसमें बलिदान की सच्ची भावना को समझने का प्रयास किया गया है, जो केवल भौतिक वस्तुओं के त्याग से परे है।

लेखक ने यह दर्शाया है कि सच्चा बलिदान स्वार्थ त्यागने और परमात्मा के प्रति समर्पण में निहित है। “अथ बलिदान निषेध” एक ऐसी मार्मिक कृति है जो धर्म और आध्यात्मिकता के बारे में सोचने के तरीके को बदल सकती है।


अथ बलिदान निषेध: वैष्णव परमहंस जानकी वल्लभदास का अद्वितीय दर्शन

“अथ बलिदान निषेध” वैष्णव परमहंस जानकी वल्लभदास द्वारा लिखा गया एक गहन ग्रंथ है जो त्याग और बलिदान के विषय पर गहन चिंतन प्रस्तुत करता है। यह ग्रंथ एक वैष्णव संत के दृष्टिकोण से बलिदान की सच्ची अर्थ को समझने में मदद करता है। इस कृति में, लेखक त्याग के पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देते हुए एक नए दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं जो मात्र भौतिक वस्तुओं के त्याग से परिभाषित नहीं होता है।

“अथ बलिदान निषेध” की मुख्य शिक्षाएँ:

1. त्याग की सच्ची भावना: लेखक इस ग्रंथ में यह दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं कि त्याग सिर्फ भौतिक वस्तुओं को छोड़ने से जुड़ा नहीं है। सच्चा त्याग स्वार्थ का त्याग करना है और परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पण करना है। त्याग के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति अपने स्वार्थ को भूल जाता है और दूसरों के कल्याण के लिए जीवन समर्पित करता है।

2. बलिदान के पारंपरिक धारणाओं की चुनौती: “अथ बलिदान निषेध” में लेखक परंपरागत बलिदान के धारणाओं को चुनौती देते हैं, जैसे कि पशु-बलि और अन्य हिंसक क्रियाएँ। वे यह दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं कि सच्चा बलिदान हिंसा से परिभाषित नहीं होता है, बल्कि यह प्रेम और करुणा से जुड़ा है।

3. समर्पण का महत्व: लेखक इस ग्रंथ में यह दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं कि सच्चा बलिदान तभी संभव है जब हम अपने आत्मा को परमात्मा के प्रति समर्पित करें। समर्पण के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति अपने आप को परमात्मा के नियंत्रण में समर्पित करता है और उसकी इच्छा को अपनी इच्छा मानता है।

“अथ बलिदान निषेध” का महत्व:

“अथ बलिदान निषेध” एक ऐसा ग्रंथ है जो त्याग और बलिदान के विषय पर एक नए दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। यह ग्रंथ हमें त्याग और बलिदान के पारंपरिक धारणाओं पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करता है और सच्चे त्याग और बलिदान के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करता है।

संदर्भ:

  1. Digital Library of India, “अथ बलिदान निषेध,” https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.271972.
  2. Vaishnav Paramhans Janki Vallabhdas, “Janki Vallabhdas,” https://en.wikipedia.org/wiki/Janki_Vallabhdas.

“अथ बलिदान निषेध” – एक नवीन दृष्टिकोण:

“अथ बलिदान निषेध” एक ऐसी कृति है जो त्याग और बलिदान के विषय को एक नए दृष्टिकोण से पेश करती है। यह ग्रंथ हमें सिखाता है कि सच्चा बलिदान सिर्फ भौतिक वस्तुओं का त्याग नहीं है, बल्कि स्वार्थ का त्याग करना और परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पण करना है। इस ग्रंथ में लेखक ने त्याग के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया है और हमें दिखाया है कि सच्चा बलिदान एक उच्च आध्यात्मिक अनुभव है जो हमें परमात्मा के निकट ले जाता है।

निष्कर्ष:

“अथ बलिदान निषेध” एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो त्याग और बलिदान के विषय पर नई रोशनी डालता है। इस ग्रंथ में लेखक ने त्याग के मार्ग पर चलने के लिए एक नवीन दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है और हमें सिखाया है कि सच्चा बलिदान सिर्फ भौतिक वस्तुओं का त्याग नहीं है, बल्कि स्वार्थ का त्याग करना और परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पण करना है। “अथ बलिदान निषेध” एक ऐसा ग्रंथ है जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि शताब्दियों पहले था। यह ग्रंथ हमें अपने जीवन में त्याग और बलिदान के महत्व को समझने में मदद करता है और हमें सच्चे त्याग और बलिदान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

Ath Balidan Nishedh by Digital Library Of India

Title: Ath Balidan Nishedh
Author: Digital Library Of India
Subjects: IIIT
Language: hin
Ath Balidan Nishedh
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 600
Added Date: 2017-01-16 14:05:19

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