[PDF] चीन की सांस्कृतिक क्रांति | Chin Ki Sanskritik Kranti | अज्ञात - Unknown | eBookmela

चीन की सांस्कृतिक क्रांति | Chin Ki Sanskritik Kranti | अज्ञात – Unknown

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चीन की सांस्कृतिक क्रांति: एक अद्भुत समीक्षा

यह पुस्तक चीन की सांस्कृतिक क्रांति को एक नई रोशनी में प्रस्तुत करती है। लेखक, अमर कुमार पांडे, इस क्रांति के विभिन्न पहलुओं को बेहद गहनता से पेश करते हुए, इस घटना के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिणामों का विस्तृत विश्लेषण करते हैं। पुस्तक के लेखन शैली में स्पष्टता और सुगमता है, जो पाठक को इस जटिल इतिहास को समझने में बहुत मदद करता है।

चीन की सांस्कृतिक क्रांति: एक ऐतिहासिक झलक

चीन की सांस्कृतिक क्रांति (1966-1976), चीन के इतिहास की एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना थी जिसने इस देश को गहराई से प्रभावित किया। यह एक समय था जब चीन के समाज में बड़े बदलाव आए और जिसने देश को राजनीतिक और सामाजिक अशांति में डूबा दिया।

कारण और शुरुआत:

चीन की सांस्कृतिक क्रांति की जड़ें माओत्से तुंग के नेतृत्व में चीन के राजनीतिक दृश्य में उनके विरोधियों के प्रभाव को कम करने की इच्छा में थी। माओ ने यह मानते थे कि चीन में “बुर्जुआ” तत्व और “पूंजीवादी” प्रवृत्तियाँ फैल रही हैं और उन्होंने इन प्रवृत्तियों का विरोध करने के लिए सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत की।

लाल गार्ड और सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत:

1966 में माओ ने “सांस्कृतिक क्रांति” की घोषणा की और “लाल गार्ड” नामक एक विद्यार्थी समूह का गठन किया जिसका लक्ष्य “पुराने विचारों, पुराने संस्कृति, पुराने रीति-रिवाजों और पुराने आदतों” को नष्ट करना था। लाल गार्ड ने विश्वविद्यालयों और विभिन्न संस्थानों में विरोध प्रदर्शन और हिंसा शुरू कर दी, और वे शिक्षकों, अधिकारियों, और अन्य लोगों को अपने विचारों के विरोधी मानते थे, पर हमला करने लगे।

बड़े पैमाने पर अशांति और व्यवधान:

लाल गार्ड के कार्यों से चीन में बड़े पैमाने पर अशांति और व्यवधान फ़ैल गए। विश्वविद्यालय और फ़ैक्टरी बंद हो गए, और समाज में अराजकता फैल गई। कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया, पीटा गया, और यहाँ तक कि मौत भी दे दी गई।

सांस्कृतिक क्रांति का अंत:

1976 में माओ की मृत्यु के बाद चीन की सांस्कृतिक क्रांति का अंत हो गया। माओ के उत्तराधिकारी हुआओ गुओफ़ेंग ने लाल गार्ड को भंग कर दिया और चीन के राजनीतिक और आर्थिक ढाँचे को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया। हालांकि सांस्कृतिक क्रांति के बुरे परिणाम आज भी चीन में दिखाई दे रहे हैं।

सांस्कृतिक क्रांति के परिणाम:

  • राजनीतिक अस्थिरता: सांस्कृतिक क्रांति ने चीन में राजनीतिक अस्थिरता पैदा की और चीन के राजनीतिक ढाँचे को बिलकुल नष्ट कर दिया।
  • अर्थव्यवस्था का पतन: सांस्कृतिक क्रांति के कारण चीन की अर्थव्यवस्था का बहुत नुकसान हुआ। फ़ैक्टरी बंद हो गई, कृषि उत्पादन कम हो गया, और चीन में गरीबी का प्रसार हुआ।
  • समाज में विभाजन: सांस्कृतिक क्रांति ने चीन के समाज में विभाजन पैदा किया और लोगों को दूसरे लोगों पर संदेह करने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • शिक्षा का पतन: सांस्कृतिक क्रांति में विश्वविद्यालय बंद हो गए और शिक्षा को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ।
  • सांस्कृतिक विनाश: सांस्कृतिक क्रांति के दौरान चीन की सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने का प्रयास किया गया। मंदिर, संग्रहालय, और पुस्तकालय तबाह हो गए।

सांस्कृतिक क्रांति का अध्ययन और इसका महत्व:

चीन की सांस्कृतिक क्रांति का अध्ययन इस देश के इतिहास को समझने के लिए बहुत जरूरी है। यह एक उदाहरण है कि कैसे राजनीतिक आंदोलन समाज को नष्ट कर सकते हैं और कैसे लोगों के जीवन पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है।

लेखक द्वारा निष्कर्ष:

“चीन की सांस्कृतिक क्रांति” में लेखक ने चीन की सांस्कृतिक क्रांति के बारे में गहन शोध किया है और इस घटना के विभिन्न पहलुओं को बहुत स्पष्टता से पेश किया है। पुस्तक पाठक के लिए चीन की सांस्कृतिक क्रांति को समझने का एक उत्तम साधन है।

अन्य स्रोत:

निष्कर्ष:

चीन की सांस्कृतिक क्रांति एक जटिल घटना थी जिसके बहुत से कारण और परिणाम थे। यह पुस्तक पाठक को इस घटना को समझने में मदद करती है और इसके सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिणामों को प्रकाश में लाती है। यह पुस्तक चीन के इतिहास में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

China Ki Sanskritik Kranti by Amar Kumar Panday

Title: China Ki Sanskritik Kranti
Author: Amar Kumar Panday
Subjects: IIIT
Language: hin
China Ki Sanskritik Kranti
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 600
Added Date: 2017-01-20 11:36:56

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