[PDF] प्राचीन भारत में युद्ध कला के पहलू | Some Aspects of The Art of war in Ancient India | दिनेश कुमार केसरवानी - Dinesh Kumar Kesarvani | eBookmela

प्राचीन भारत में युद्ध कला के पहलू | Some Aspects of The Art of war in Ancient India | दिनेश कुमार केसरवानी – Dinesh Kumar Kesarvani

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प्राचीन भारत में युद्ध कला के पहलू | Some Aspects of The Art of war in Ancient India

यह किताब प्राचीन भारत में युद्ध कला के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती है। इसमें युद्ध की रणनीति, युद्ध नीति, युद्ध के उपकरण और सैनिकों के प्रशिक्षण जैसे विषयों पर विस्तृत जानकारी दी गई है।

लेखक ने प्राचीन भारतीय ग्रंथों का गहन अध्ययन किया है और इस किताब में उनके ज्ञान को सरल और आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया है। यह किताब उन सभी के लिए उपयोगी है जो प्राचीन भारतीय इतिहास और सैन्य कला में रुचि रखते हैं।

प्राचीन भारत में युद्ध कला के कुछ पहलू | Some Aspects of The Art of war in Ancient India

परिचय:
भारत का इतिहास युद्ध और शांति के बीच लगातार संघर्ष से भरा हुआ है। प्राचीन भारतीय सभ्यता ने युद्ध कला में उल्लेखनीय योगदान दिया और युद्ध की रणनीति और नीति को विकसित किया। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में युद्ध कला के विभिन्न पहलुओं का वर्णन मिलता है, जो युद्ध की तैयारी, युद्ध की रणनीति, युद्ध की नीति और सैनिकों के प्रशिक्षण को विस्तार से बताते हैं।

युद्ध की रणनीति:
प्राचीन भारत में युद्ध की रणनीति के केंद्र में “चातुर्याण” (चार प्रकार की रणनीति) का सिद्धांत था। ये रणनीतियाँ थीं:

  • सामान्य रणनीति: यह सबसे सामान्य और सीधी रणनीति थी, जिसमें शत्रु के साथ प्रत्यक्ष युद्ध किया जाता था।
  • उपाय रणनीति: इस रणनीति में शत्रु को धोखा देने, छल या भ्रम का उपयोग करके विजयी होने का प्रयास किया जाता था।
  • विभाग रणनीति: इस रणनीति में शत्रु की सेना को कई भागों में बांटकर विजय प्राप्त करने का प्रयास किया जाता था।
  • संधि रणनीति: इस रणनीति में शत्रु से संधि करके युद्ध को टालने का प्रयास किया जाता था।

युद्ध नीति:
प्राचीन भारतीयों का मानना था कि युद्ध केवल अंतिम उपाय होना चाहिए। वे शांति और सौहार्द को प्राथमिकता देते थे। युद्ध की नीति में न्याय, सत्य और अहिंसा जैसे मूल्य भी महत्वपूर्ण थे।

युद्ध के उपकरण:
प्राचीन भारत में कई प्रकार के युद्ध के उपकरण का उपयोग किया जाता था। इनमें तलवारें, भाले, धनुष और बाण, कवच, हेलमेट और गदा जैसे हथियार शामिल थे। कुछ लोग हाथियों और रथों का भी युद्ध में उपयोग करते थे।

सैनिकों का प्रशिक्षण:
सैनिकों का प्रशिक्षण प्राचीन भारत में एक महत्वपूर्ण भाग था। सैनिकों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कठोर प्रशिक्षण दिया जाता था। उनको युद्ध कला में निपुण बनाने के लिए युद्ध कौशल का भी प्रशिक्षण दिया जाता था।

प्रमुख ग्रंथ:
प्राचीन भारत में युद्ध कला पर कई प्रमुख ग्रंथ लिखे गए हैं। इनमें “अर्थशास्त्र”, “मनुस्मृति”, “कामसूत्र” और “नाट्यशास्त्र” जैसे ग्रंथ शामिल हैं। इन ग्रंथों में युद्ध की रणनीति, नीति और उपकरणों के वर्णन के साथ-साथ सैनिकों के प्रशिक्षण के बारे में भी जानकारी दी गई है।

निष्कर्ष:
प्राचीन भारत में युद्ध कला का विकास उल्लेखनीय था। प्राचीन भारतीयों ने युद्ध की रणनीति, नीति और उपकरणों में उल्लेखनीय योगदान दिया। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में युद्ध कला के विभिन्न पहलुओं का वर्णन मिलता है, जो आज भी उपयोगी और प्रासंगिक है।

संदर्भ:

नोट:
यह लेख प्राचीन भारत में युद्ध कला के कुछ मुख्य पहलुओं का संक्षिप्त विवरण है। इस विषय पर और जानकारी प्राचीन भारतीय ग्रंथों और इतिहास के विद्वानों के काम से प्राप्त की जा सकती है।

Snyen Drel V Dalai Lama Vol1 by ashok

Title: Snyen Drel V Dalai Lama Vol1
Author: ashok
Subjects: IIIT
Language: hin
Snyen Drel V Dalai Lama Vol1
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 600
Added Date: 2017-01-21 13:47:35

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