[PDF] प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों का आलोचनात्मक अध्ययन | Premchand Ke Upanyason Aur Kahaniyon Ka Aalochnatmak Adhyyan | शीला गुप्त - Sheela Gupt | eBookmela

प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों का आलोचनात्मक अध्ययन | Premchand Ke Upanyason Aur Kahaniyon Ka Aalochnatmak Adhyyan | शीला गुप्त – Sheela Gupt

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प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों का आलोचनात्मक अध्ययन: एक गहन विश्लेषण

“प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों का आलोचनात्मक अध्ययन” शीला गुप्त द्वारा लिखी गई एक शानदार पुस्तक है जो हिंदी साहित्य के सबसे महान लेखकों में से एक, प्रेमचंद के काम की गहराई से जाँच करती है। गुप्त जी ने प्रेमचंद की रचनाओं का विश्लेषण आलोचनात्मक दृष्टिकोण से किया है, उनके लेखन में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को प्रस्तुत करने की शैली को उजागर किया है।

प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों का आलोचनात्मक अध्ययन: एक विस्तृत विवरण

प्रेमचंद, हिंदी साहित्य का एक शिखर:

प्रेमचंद (1880-1936), हिंदी साहित्य के महानतम लेखकों में से एक थे। उन्हें ‘नवयुग का सर्जक’ और ‘हिंदी साहित्य का पितामह’ माना जाता है। उनके उपन्यासों और कहानियों में भारतीय समाज का यथार्थपूर्ण चित्रण दिखता है। वह समाज की सच्चाइयों, अन्याय, शोषण, और सामाजिक कुरीतियों को प्रस्तुत करते हुए अपने पाठकों को सोचने पर मजबूर करते थे।

पुस्तक में प्रेमचंद के लेखन का विश्लेषण:

शीला गुप्त की “प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों का आलोचनात्मक अध्ययन” पुस्तक प्रेमचंद के लेखन का गहन विश्लेषण पेश करती है। यह पुस्तक प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह पुस्तक प्रेमचंद के साहित्य की विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करती है, जैसे उनके लेखन का समाजिक और राजनीतिक परिदृश्य, उनके पात्रों का विकास, और उनकी भाषा और शैली।

प्रमुख विषय:

  • प्रेमचंद का सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण: गुप्त जी प्रेमचंद के लेखन में उपस्थित सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों का विश्लेषण करते हुए उनके दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हैं। उनके उपन्यासों और कहानियों में समाज की अन्याय और शोषण के विरुद्ध उनकी आवाज स्पष्ट रूप से सुनाई देती है।
  • प्रेमचंद के पात्र: गुप्त जी प्रेमचंद के पात्रों का विश्लेषण करते हुए उनके चरित्र विकास और उनके सामाजिक परिदृश्य में उनकी भूमिका को स्पष्ट करते हैं। उनके पात्र जीवंत और यथार्थवादी हैं, और उनकी जीवन कथाएं पढ़ने वाले को छू जाती हैं।
  • प्रेमचंद की भाषा और शैली: गुप्त जी प्रेमचंद की भाषा और शैली का विस्तृत विश्लेषण पेश करते हैं। उनकी भाषा सरल और प्रभावी है, और उनकी शैली पढ़ने में आनंददायक है।

अध्ययन का महत्व:

यह पुस्तक प्रेमचंद के लेखन को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह पुस्तक विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, और साहित्य प्रेमियों के लिए बहुत उपयोगी है। यह पुस्तक प्रेमचंद के लेखन का एक गहन विश्लेषण पेश करती है, जो उनकी रचनाओं को और भी बेहतर रूप से समझने में मदद करती है।

निष्कर्ष:

“प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों का आलोचनात्मक अध्ययन” शीला गुप्त द्वारा लिखी गई एक महत्वपूर्ण और उपयोगी पुस्तक है। यह पुस्तक प्रेमचंद के लेखन का एक गहन विश्लेषण पेश करती है, जो उनकी रचनाओं को और भी बेहतर रूप से समझने में मदद करती है। यह पुस्तक विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, और साहित्य प्रेमियों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

संदर्भ:

  • प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों का आलोचनात्मक अध्ययन: शीला गुप्त
  • प्रेमचंद की जीवनी: स्रोत लिंक
  • प्रेमचंद की रचनाएँ: स्रोत लिंक

Premchand Kay Upnayas Aour Kahanaia by Sheela Gupt

Title: Premchand Kay Upnayas Aour Kahanaia
Author: Sheela Gupt
Subjects: IIIT
Language: hin
Premchand Kay Upnayas Aour Kahanaia
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 600
Added Date: 2017-01-21 04:53:11

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