[PDF] भारतीय संस्कृति के विस्तार की कहानी | Bhartiya Sanskriti Ke Vistar Ki Kahani | eBookmela

भारतीय संस्कृति के विस्तार की कहानी | Bhartiya Sanskriti Ke Vistar Ki Kahani

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एक अद्भुत यात्रा भारतीय संस्कृति के विस्तार में

“भारतीय संस्कृति के विस्तार की कहानी” एक अद्भुत यात्रा है, जो हमें अपनी संस्कृति के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराती है। लेखक की भाषा सरल और सहज है, जिससे इस विषय में रुचि रखने वाला कोई भी व्यक्ति इसे आसानी से समझ सकता है। इस पुस्तक ने मुझे भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत और उसके विश्व-व्यापी प्रभाव को नए सिरे से समझने में मदद की।

भारतीय संस्कृति के विस्तार की कहानी | Bhartiya Sanskriti Ke Vistar Ki Kahani

भारतीय संस्कृति अपनी समृद्धता और विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यह एक ऐसा सांस्कृतिक धरोहर है जो सदियों से चली आ रही है और विभिन्न सभ्यताओं और विचारधाराओं के साथ बातचीत करते हुए विकसित हुई है। यह लेख भारतीय संस्कृति के विकास की कहानी को समझने का प्रयास करता है और यह कैसे विश्व के विभिन्न हिस्सों में फैला और अपना प्रभाव स्थापित किया।

भारतीय संस्कृति की जड़ें:

भारतीय संस्कृति सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी है, जो लगभग 3300 ईसा पूर्व में फली फूली। इस सभ्यता के अवशेष सिंधु नदी के किनारे पाए गए हैं, जो आज पाकिस्तान और भारत के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। सिंधु घाटी सभ्यता अपने नगरीय योजना, नागरिक सुविधाओं और व्यापार के लिए जानी जाती थी। इस सभ्यता के लोग अपनी धार्मिक विश्वासों और कला के लिए भी प्रसिद्ध थे।

वेद काल:

सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बाद, भारत में एक नया काल आया, जिसे वेद काल कहा जाता है। वेद चार पवित्र ग्रंथ हैं जो हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों को परिभाषित करते हैं। वेद काल में, आर्य लोग भारत में आए और अपनी संस्कृति और भाषा का प्रभाव डाला। इस काल में, हिंदू धर्म का विकास हुआ, जिसमें ब्रह्मांड, ईश्वर और आत्मा के विचार प्रमुख थे। इस काल में समाज की वर्ग व्यवस्था का विकास हुआ, जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र शामिल थे।

मौर्य काल:

ईसा पूर्व 322 से 185 तक चलने वाला मौर्य काल भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण काल था। मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल में, बौद्ध धर्म का विस्तार हुआ और अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अनेक स्तंभों और स्तूपों का निर्माण कराया। मौर्य काल में शिक्षा, कला और वास्तुकला का विकास हुआ।

गुप्त काल:

चौथी से छठी शताब्दी तक चलने वाला गुप्त काल भारत के इतिहास में “स्वर्ण युग” के रूप में जाना जाता है। गुप्त शासकों ने शिक्षा, कला और विज्ञान का प्रोत्साहन दिया। इस काल में नाट्य शास्त्र, कामसूत्र, और अनेक विद्वानों के ग्रंथों का लेखन हुआ। गुप्त काल में बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म दोनों का विस्तार हुआ।

मुगल काल:

16वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक चलने वाला मुगल काल भारत में एक नए सांस्कृतिक युग का प्रारंभ था। मुगल सम्राटों ने अपनी कला, वास्तुकला और संस्कृति का प्रभाव डाला। ताजमहल और रेड फोर्ट जैसे ऐतिहासिक स्मारक मुगल काल की शान और शौहरत का प्रतीक हैं। मुगल काल में हिंदू और मुस्लिम संस्कृतियों का मिश्रण हुआ और एक नई संस्कृति का विकास हुआ।

ब्रिटिश राज:

18वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपना प्रभाव स्थापित करना शुरू किया और 19वीं शताब्दी में पूरे भारत पर ब्रिटिश राज स्थापित हो गया। ब्रिटिश राज ने भारतीय संस्कृति पर काफी प्रभाव डाला। ब्रिटिश शासन ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था, न्यायिक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था में बदलाव लाए।

स्वतंत्रता के बाद:

1947 में भारत स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्रता के बाद, भारत ने अपनी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने के लिए अनेक कदम उठाए। भारतीय संस्कृति आज भी अपनी विविधता और समृद्धता के लिए जानी जाती है।

भारतीय संस्कृति का विश्व पर प्रभाव:

भारतीय संस्कृति का विश्व पर काफी प्रभाव है। योग, आयुर्वेद, ध्यान और अनेक दर्शन शास्त्र जैसे विचार विश्व के अनेक देशों में प्रचलित हैं। भारतीय फिल्मों, संगीत और नृत्य का भी विश्व भर में प्रभाव है।

भारतीय संस्कृति की खासियतें:

  • विविधता: भारतीय संस्कृति अपनी विविधता के लिए जानी जाती है। यह एक ऐसी संस्कृति है जो अपनी विभिन्न भाषाओं, धर्मों, परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए प्रसिद्ध है।
  • आध्यात्मिकता: भारतीय संस्कृति आध्यात्मिकता पर आधारित है। धर्म और आध्यात्मिकता भारतीय जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।
  • परंपरा: भारतीय संस्कृति अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए जानी जाती है। ये परंपराएं पीढ़ी से पीढ़ी तक चली आ रही हैं और भारतीय समाज के सांस्कृतिक बनावट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
  • अहिंसा: अहिंसा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। यह सिखाता है कि सभी प्राणियों के प्रति दया और करुणा का भाव रखना चाहिए।
  • सहिष्णुता: भारतीय संस्कृति सहिष्णुता के लिए जानी जाती है। भारत हमेशा विभिन्न धर्मों, जातियों और संस्कृतियों का घर रहा है और सभी के प्रति सहिष्णुता का भाव रखा है।

निष्कर्ष:

भारतीय संस्कृति अपनी समृद्ध इतिहास, विविधता और आध्यात्मिकता के लिए जानी जाती है। यह एक ऐसी संस्कृति है जो सदियों से चली आ रही है और अपने प्रभाव को विश्व में स्थापित करती रही है। आज भी, भारतीय संस्कृति अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए जानी जाती है और यह विश्व के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।

संदर्भ:

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Bhartiya Sanskriti Ke Vistar Ki Kahani by Uppadhaya Bhagwat Saran

Title: Bhartiya Sanskriti Ke Vistar Ki Kahani
Author: Uppadhaya Bhagwat Saran
Subjects: Banasthali
Language: hin
Bhartiya Sanskriti Ke Vistar Ki Kahani
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 300
Added Date: 2017-01-15 18:00:34

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