भुवनेशलौकिक न्यायसाहस्त्री | Bhavanesha Laukika Nyaya Sahastri | ठाकुरदत्त शर्मा – Thakur Dutt Sharma
“भुवनेशलौकिक न्यायसाहस्त्री” – एक अद्वितीय न्यायशास्त्र का संग्रह
यह पुस्तक, “भुवनेशलौकिक न्यायसाहस्त्री,” प्राचीन काल के विद्वान, ठाकुरदत्त शर्मा द्वारा रचित, न्यायशास्त्र के क्षेत्र में एक अमूल्य योगदान है। इसमें न्याय के विभिन्न पहलुओं को सम्मोहक ढंग से समझाया गया है, जो इस क्षेत्र के विद्वानों और छात्रों के लिए एक अनिवार्य पाठ बनती है।
“Bhavanesha Laukika Nyaya Sahastri” – A Unique Compilation of Legal Principles
This book, “Bhavanesha Laukika Nyaya Sahastri,” written by the ancient scholar Thakur Dutt Sharma, is a valuable contribution to the field of jurisprudence. It explores various aspects of justice in a compelling way, making it a must-read for scholars and students of this field.
“भुवनेशलौकिक न्यायसाहस्त्री” – भारतीय न्यायशास्त्र का एक अनमोल खजाना
“भुवनेशलौकिक न्यायसाहस्त्री” ठाकुरदत्त शर्मा द्वारा रचित, एक ऐसा ग्रंथ है जो प्राचीन भारत के न्यायशास्त्र की समृद्ध विरासत को उजागर करता है। यह पुस्तक अपने समय की न्यायिक और सामाजिक विचारों को समझने के लिए एक अमूल्य स्रोत है, जो न्यायशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए एक अनिवार्य पाठ माना जाता है।
पुस्तक में उपस्थित मुख्य विषय हैं:
- न्याय के विभिन्न पहलू: पुस्तक न्याय के विभिन्न आयामों को विश्लेषण करती है, जैसे व्यक्तिगत न्याय, सामाजिक न्याय, और राजनीतिक न्याय।
- धर्म और न्याय का संबंध: लेखक धर्म और न्याय के अटूट संबंध पर प्रकाश डालते हैं और धर्म के मूल्यों के माध्यम से न्याय को प्राप्त करने पर जोर देते हैं।
- न्यायिक व्यवस्था: पुस्तक प्राचीन भारत की न्यायिक व्यवस्था का विश्लेषण करती है और उस समय के न्याय व्यवस्था के मूल सिद्धांतों और प्रथाओं पर चर्चा करती है।
- समाज में न्याय: लेखक समाज में न्याय के महत्व पर जोर देते हैं और समझाते हैं कि कैसे समाज में न्याय के बिना शांति और समृद्धि संभव नहीं है।
- नैतिकता और न्याय: पुस्तक नैतिकता और न्याय के गहरे संबंध पर प्रकाश डालती है और समझाती है कि कैसे नैतिक मूल्य न्याय के प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
“भुवनेशलौकिक न्यायसाहस्त्री” को क्यों पढ़ना चाहिए:
- भारतीय न्यायशास्त्र का गहन अध्ययन: पुस्तक भारतीय न्यायशास्त्र की समृद्ध विरासत को समझने का एक अनमोल अवसर प्रदान करती है।
- न्याय के विभिन्न आयामों का विश्लेषण: पुस्तक न्याय के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करती है और इस विषय की गहरी समझ प्रदान करती है।
- धर्म और न्याय का संबंध: पुस्तक धर्म और न्याय के संबंध को समझने में मदद करती है और इस विषय पर नई दृष्टिकोण प्रदान करती है।
- शास्त्रीय ग्रंथों का अध्ययन: पुस्तक प्राचीन भारतीय ग्रंथों का अध्ययन करने का एक अवसर प्रदान करती है और उनके ज्ञान से लाभान्वित करती है।
पुस्तक को कौन पढ़ सकता है:
- न्यायशास्त्र के विद्यार्थी
- विद्वान
- न्याय व्यवस्था से जुड़े व्यक्ति
- जो न्याय के मूल सिद्धांतों को समझना चाहते हैं
कहां से डाउनलोड करें:
आप “भुवनेशलौकिक न्यायसाहस्त्री” को PDF प्रारूप में ऑनलाइन डाउनलोड कर सकते हैं । इसके लिए आप कई ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग कर सकते हैं, जैसे DLI (Digital Library of India) या JaiGyan.
निष्कर्ष:
“भुवनेशलौकिक न्यायसाहस्त्री” एक अमूल्य ग्रंथ है जो न्यायशास्त्र के विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए एक अनिवार्य पाठ है। यह पुस्तक न्याय के विभिन्न आयामों को समझने का एक अवसर प्रदान करती है और भारतीय न्यायशास्त्र की समृद्ध विरासत को उजागर करती है।
संदर्भ:
Keywords: भुवनेशलौकिक न्यायसाहस्त्री, Bhavanesha Laukika Nyaya Sahastri, ठाकुरदत्त शर्मा, Thakur Dutt Sharma, PDF, free, download
Bhuvane Shaloki Kanyay Sahastri by P. Thakur Datt Sharma |
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Title: | Bhuvane Shaloki Kanyay Sahastri |
Author: | P. Thakur Datt Sharma |
Subjects: | Banasthali |
Language: | san |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 300 |
Added Date: | 2017-01-22 20:26:35 |