वैयाकरण भूषणं | Vaiyakarana Bhushanam | कमला शङ्कर – Kamala Shankar, कोण्ड भट्ट – Kond Bhatt
वैयाकरण भूषणं – एक अनोखी सहायता
वैयाकरण भूषणं ग्रन्थ संस्कृत व्याकरण के अध्ययन में रुचि रखने वालों के लिए एक बेहतरीन सहायक है। श्री प्राणसंकरा त्रिवेदी जी द्वारा लिखा गया यह ग्रन्थ, पाणिनि के अष्टाध्यायी की व्याख्या के साथ-साथ अन्य व्याकरणिक ग्रन्थों की भी चर्चा करता है। भाषा और व्याकरण की समझ को बेहतर बनाने के लिए यह ग्रन्थ बहुत उपयोगी है।
वैयाकरण भूषणं: संस्कृत व्याकरण का अद्भुत भूषण
वैयाकरण भूषणं, श्री प्राणसंकरा त्रिवेदी द्वारा रचित एक अद्वितीय ग्रन्थ है, जो संस्कृत व्याकरण की गहन समझ प्रदान करता है। इस ग्रन्थ में, लेखक ने पाणिनि के अष्टाध्यायी को सरल और सुलभ भाषा में समझाने का प्रयास किया है, साथ ही साथ अन्य प्रसिद्ध व्याकरणिक ग्रन्थों जैसे कि सिद्धान्त कौमुदी और काशिका पर भी प्रकाश डाला है।
इस ग्रन्थ की खास बात यह है कि यह सिर्फ एक व्याकरणिक ग्रन्थ नहीं है, बल्कि संस्कृत भाषा की सौंदर्य को उजागर करता है। लेखक ने संस्कृत शास्त्रों के विभिन्न पहलुओं जैसे कि ध्वनि विज्ञान, धातु विज्ञान, शब्द विज्ञान आदि का विस्तृत विश्लेषण किया है। इस ग्रन्थ को पढ़कर, पाठक न केवल संस्कृत व्याकरण की गहरी समझ हासिल कर सकता है, बल्कि संस्कृत भाषा के प्रति भी और अधिक आकर्षण महसूस कर सकता है।
वैयाकरण भूषणं में कई महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं, जिनमें शामिल हैं:
- पाणिनि के अष्टाध्यायी की सरल और सुलभ व्याख्या: श्री प्राणसंकरा त्रिवेदी ने पाणिनि के अष्टाध्यायी को इस तरह से व्याख्या किया है कि इसे आसानी से समझा जा सके।
- अन्य व्याकरणिक ग्रन्थों की तुलनात्मक चर्चा: ग्रन्थ में सिद्धान्त कौमुदी, काशिका, और अन्य व्याकरणिक ग्रन्थों की तुलनात्मक चर्चा की गई है, जिससे पाठक को विभिन्न व्याकरणिक दृष्टिकोणों की जानकारी मिलती है।
- व्याकरणिक सिद्धांतों का व्यावहारिक अनुप्रयोग: लेखक ने व्याकरणिक सिद्धांतों का व्यावहारिक अनुप्रयोग करके उन्हें और अधिक समझने योग्य बनाया है।
- विस्तृत शब्दावली और उदाहरण: ग्रन्थ में विस्तृत शब्दावली और उदाहरण दिए गए हैं, जो संस्कृत व्याकरण की गहरी समझ प्रदान करते हैं।
वैयाकरण भूषणं संस्कृत के विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और सभी संस्कृत प्रेमियों के लिए एक अनमोल ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ पाठकों को संस्कृत व्याकरण की गहराई से समझ प्रदान करता है और भाषा की सौंदर्य को उजागर करता है।
यह ग्रन्थ आज भी कई विद्वानों और छात्रों द्वारा अध्ययन किया जाता है, और यह संस्कृत व्याकरण के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है।
यहां कुछ संसाधन हैं जो आपको वैयाकरण भूषणं और इसके लेखकों के बारे में अधिक जानने में मदद कर सकते हैं:
- डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया: https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.273927
- ईबुकमेला: https://www.ebookmela.co.in/?s=Vaiyakaranabhushana
- PDF फॉरेस्ट: https://book.pdfforest.in/textbook/?ocaid=in.ernet.dli.2015.273927
वैयाकरण भूषणं एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है जो संस्कृत व्याकरण के अध्ययन में एक नया आयाम लाता है। यह ग्रन्थ पाठकों को संस्कृत भाषा की गहरी समझ और सौंदर्य को उजागर करने में मदद करता है।
Vaiyakaranabhushana by Sri Pranasankara Trivedi |
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Title: | Vaiyakaranabhushana |
Author: | Sri Pranasankara Trivedi |
Subjects: | IIIT |
Language: | san |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 600 |
Added Date: | 2017-01-25 16:22:54 |