शृङ्गार प्रकाश – खण्ड 2 | Shringara Prakash – Vol. 2 | जी० आर० जोसयर – G. R. Josyer, श्री भोजराज – Sri Bhojraj
महाराजा भोजराज के श्रींगार प्रकाश खंड 2 का अध्ययन करना एक सुखद अनुभव है।
जी० आर० जोसयर द्वारा संपादित यह ग्रंथ, श्री भोजराज की रचनाओं का एक महत्वपूर्ण संग्रह है, जो भारतीय संस्कृति और कला के प्रति उनका गहरा प्रेम दर्शाता है। इस खंड में शामिल प्रकाशाओं से हमें उनके समय के समाज और रीति-रिवाजों की झलक मिलती है। भाषा सरल और सुंदर है, जिससे यह ग्रंथ पढ़ने में काफी आनंददायक है।
महाराजा भोजराज का श्रींगारप्रकाश: एक अद्भुत कलाकृति का अनुशीलन
श्रींगारप्रकाश, महाराजा भोजराज द्वारा रचित एक अद्भुत रचना है जो भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति की गहरी समझ का प्रमाण है। यह ग्रंथ 14 प्रकाशों में विभाजित है, जो विभिन्न विषयों पर प्रकाश डालते हैं, जिनमें प्रेम, सौंदर्य, संगीत, नृत्य, और अन्य कलाएँ शामिल हैं।
श्रींगारप्रकाश के दूसरे खंड में प्रकाश 9 से 14 तक शामिल हैं, जो इस ग्रंथ के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं। जी.आर. जोसयर द्वारा संपादित यह संस्करण, शास्त्रीय पाठ के साथ-साथ व्याख्या, टिप्पणी, और विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिससे पाठक को इस कलाकृति को अधिक गहराई से समझने में मदद मिलती है।
श्रींगारप्रकाश के दूसरे खंड में शामिल प्रकाशों के विषय:
- प्रकाश 9: प्रेम के विभिन्न रूपों, नायक-नायिका के स्वभाव और प्रेम-संबंधों पर चर्चा
- प्रकाश 10: प्रेम के चरण, वियोग-सहना, और प्रेम की अभिव्यक्ति पर विस्तृत चर्चा
- प्रकाश 11: संगीत के सिद्धांतों, रागों, तालों, और संगीत-निर्माण पर प्रकाश
- प्रकाश 12: नृत्य के विभिन्न रूपों, नृत्य-शैली, और नृत्य-सौंदर्य पर विस्तृत वर्णन
- प्रकाश 13: रस-सौंदर्य पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न रसों की विवेचना
- प्रकाश 14: नाटक-लेखन के सिद्धांतों, पात्रों, नाट्य-प्रदर्शन, और नाट्य-सौंदर्य पर चर्चा
इस खंड में शामिल महत्वपूर्ण विशेषताएं:
- शास्त्रीय पाठ: जोसयर ने श्रींगारप्रकाश के शास्त्रीय पाठ को अत्यंत सावधानी से प्रस्तुत किया है, जिससे पाठक मूल पाठ से परिचित हो सकें।
- व्याख्या और विश्लेषण: प्रत्येक प्रकाश की विस्तृत व्याख्या और विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है, जिससे पाठक को इस कलाकृति की गहराई से समझने में मदद मिलती है।
- टिप्पणी: पाठ में प्रयुक्त शब्दों, अवधारणाओं, और प्रतीकों की व्याख्या दी गई है, जिससे पाठक को पाठ को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है।
- संदर्भ सूची: ग्रंथ में विभिन्न ग्रंथों, शास्त्रों, और विचारकों के उद्धरणों को उचित रूप से संदर्भित किया गया है, जिससे पाठक को इस कलाकृति की विस्तृत व्याख्या और विश्लेषण में मदद मिलती है।
श्रींगारप्रकाश: एक सांस्कृतिक खजाना
श्रींगारप्रकाश महाराजा भोजराज की एक अद्भुत कलाकृति है, जो भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति की गहरी समझ का प्रमाण है। यह ग्रंथ न केवल कला के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालता है, बल्कि मानव मन और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी विचार करता है। इस खंड में शामिल प्रकाशों के माध्यम से, पाठक श्रींगारप्रकाश की समृद्धता और गहराई को महसूस कर सकते हैं।
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श्रींगारप्रकाश एक अद्भुत रचना है जो आपकी रूचि को अवश्य ही आकर्षित करेगा।
संदर्भ:
- Digital Library of India
- PDF Forest
- JaiGyan
- [Amazon India](https://www.amazon.in/s?k=Maharaja Bhojaraja%E2%80%99s+Sringaraprakasha+Vol.-ii+Prakashas+9+To+14&i=stripbooks&tag=228309-21)
Maharaja Bhojaraja’s Sringaraprakasha Vol.-ii Prakashas 9 To 14 by Josyer, G. R. |
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Title: | Maharaja Bhojaraja’s Sringaraprakasha Vol.-ii Prakashas 9 To 14 |
Author: | Josyer, G. R. |
Subjects: | Banasthali |
Language: | san |
Collection: | digitallibraryindia, JaiGyan |
BooK PPI: | 300 |
Added Date: | 2017-01-15 05:53:37 |