[PDF] दिगम्बर जैनग्रन्थकर्त्ता और उनके ग्रन्थ | Digambar Jainagranthakartta Aur Unke Grantha | नाथूराम प्रेमी - Nathuram Premi | eBookmela

दिगम्बर जैनग्रन्थकर्त्ता और उनके ग्रन्थ | Digambar Jainagranthakartta Aur Unke Grantha | नाथूराम प्रेमी – Nathuram Premi

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दिगंबर जैन ग्रन्थकर्त्ता और उनके ग्रन्थ – एक अनमोल खजाना

“दिगंबर जैन ग्रन्थकर्त्ता और उनके ग्रन्थ” नामक यह पुस्तक जैन धर्म के इतिहास और साहित्य के लिए एक अमूल्य योगदान है। नाथूराम प्रेमी जी ने इस पुस्तक में दिगंबर जैन धर्म के प्रसिद्ध ग्रन्थकारों और उनके कार्यों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया है। पुस्तक की भाषा सरल और सहज है, जो इसे सभी पाठकों के लिए समझने में आसान बनाती है। यह पुस्तक जैन धर्म के अध्ययन के लिए एक आवश्यक मार्गदर्शक है और इसे हर जैन साहित्य प्रेमी को अवश्य पढ़ना चाहिए।

दिगम्बर जैनग्रन्थकर्त्ता और उनके ग्रन्थ | Digambar Jainagranthakartta Aur Unke Grantha

प्रस्तावना:

जैन धर्म की प्राचीनता और ज्ञान-परंपरा को समझने के लिए जैन ग्रन्थों का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है। दिगम्बर जैन धर्म के प्राचीनकाल से आज तक कई विद्वानों ने अपने ज्ञान और अनुभव को ग्रन्थों में संग्रहीत किया है। ये ग्रन्थ धर्म, दर्शन, ज्ञान, कला, संगीत और अन्य विषयों पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

दिगम्बर जैन ग्रन्थकारों का योगदान:

दिगम्बर जैन धर्म में अनेक ग्रन्थकारों ने अपने कार्यों द्वारा धर्म और ज्ञान के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनमें कुछ प्रमुख ग्रन्थकारों के नाम और उनके प्रमुख ग्रन्थ निम्न प्रकार हैं:

  1. मुनि सुधर्म स्वामी: “सूत्रकृतांग” नामक ग्रन्थ के लेखक थे जो जैन धर्म के प्रमुख ग्रन्थों में से एक है। यह ग्रन्थ जैन धर्म के सिद्धांतों और विचारों को विस्तार से वर्णित करता है।
  2. आचार्य भद्रबाहु: “कलपसूत्र” और “निशाथसूत्र” जैसे महत्वपूर्ण ग्रन्थों के लेखक थे। इन ग्रन्थों में जैन धर्म के इतिहास और महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों का वर्णन है।
  3. आचार्य उमास्वामी: “तत्वार्थसूत्र” नामक ग्रन्थ के लेखक थे जो जैन दर्शन का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में जैन दर्शन के मुख्य सिद्धांतों की व्याख्या की गई है।
  4. आचार्य सिद्धसेन दिवाकर: “सिद्धसेन दिवाकर” नामक ग्रन्थ के लेखक थे जो जैन धर्म के नैतिक सिद्धांतों और आचरण पर आधारित है।

नाथूराम प्रेमी का महत्वपूर्ण योगदान:

नाथूराम प्रेमी जैन साहित्य के एक प्रसिद्ध विद्वान और लेखक थे। उनकी पुस्तक “दिगम्बर जैनग्रन्थकर्त्ता और उनके ग्रन्थ” जैन धर्म के साहित्य के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है। इस पुस्तक में उन्होंने दिगम्बर जैन धर्म के प्रमुख ग्रन्थकारों और उनके कार्यों का विश्लेषण किया है। उनकी शोध और व्याख्या जैन साहित्य के इतिहास और विचारों को समझने में सहायक है।

“दिगम्बर जैनग्रन्थकर्त्ता और उनके ग्रन्थ” पुस्तक का महत्व:

यह पुस्तक दिगम्बर जैन धर्म के साहित्य के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह पुस्तक जैन धर्म के इतिहास और विकास को समझने में सहायक है। इस पुस्तक में नाथूराम प्रेमी जी ने विभिन्न ग्रन्थकारों के कार्यों का विस्तृत वर्णन किया है और उनके कार्यों के महत्व को स्पष्ट किया है।

निष्कर्ष:

“दिगम्बर जैनग्रन्थकर्त्ता और उनके ग्रन्थ” नामक यह पुस्तक जैन धर्म के इतिहास और साहित्य को समझने के लिए एक अमूल्य खजाना है। नाथूराम प्रेमी जी का यह कार्य जैन धर्म के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह पुस्तक जैन धर्म के विद्वानों, छात्रों और सामान्य पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

संदर्भ:

  1. जैन धर्म का इतिहास
  2. दिगंबर जैन धर्म
  3. नाथूराम प्रेमी
  4. कलपसूत्र
  5. तत्वार्थसूत्र
  6. सिद्धसेन दिवाकर
  7. मुनि सुधर्म स्वामी
  8. आचार्य भद्रबाहु

यह पुस्तक मुफ्त में डाउनलोड की जा सकती है यहाँ से

Digambarjaingrantkarta Or Unke Granth by Nathuram Premi

Title: Digambarjaingrantkarta Or Unke Granth
Author: Nathuram Premi
Subjects: Banasthali
Language: san
दिगम्बर जैनग्रन्थकर्त्ता और उनके ग्रन्थ | Digambar Jainagranthakartta Aur Unke Grantha 
 |  नाथूराम प्रेमी - Nathuram Premi
Collection: digitallibraryindia, JaiGyan
BooK PPI: 300
Added Date: 2017-01-16 16:24:18

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